Amroha Lok Sabha Seat : अमरोहा लोकसभा सीट पर 12 प्रत्याशी मैदान में, भाजपा- गठबंधन और बसपा से यह हैं उम्मीदवार- जानिए सारे समीकरण
Amroha Election 2024 जिला निर्वाचन अधिकारी राजेश कुमार त्यागी ने बताया कि अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं आती हैं। इनमें अमरोहा धनौरा हसनपुर व नौगावां सादात में चुनाव कराने की जिम्मेदारी हमारी है जबकि गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा में चुनाव हापुड़ प्रशासन कराएगा। जिले की चारों विधानसभाओं में 910 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। जिनके 1486 बूथों पर मतदान होगा।
जागरण संवाददाता, अमरोहा: पिछले कई दिनों से प्रत्याशियों व राजनीतिक दलों के नेताओं में चल रही जुबानी जंग के बीच मुकाबले का आखिरी रण आज सजेगा। जिस पार्टी और प्रत्याशी के पक्ष में जितनी वोटर सेना जुटेगी, वही नतीजों के दिन राजनीति का सिकंदर बनेगा। खैर, यह तो रही सियासी बात।
आम आंखों से देखें तो जनता के लिए लोकसभा चुनाव का यह अवसर लोकतंत्र के भव्य उत्सव, उल्लास का है। एक शब्द में बांधे तो लोकोत्सव से कमतर बिल्कुल नहीं है। वजह...? पूरी प्रकि्रया में एक बार फिर मतदाता ही तो प्रत्याशियों के भाग्यविधाता बनने को तैयार खड़े हैं। यही कारण है कि पूरी प्रशासनिक मशीनरी लोकोत्सव को सफल बनाने के लिए मैदान में है।
जमीन के कारोबार की दुनिया से राजनीति में आए
भाजपा प्रत्याशी चौधरी कंवर सिंह तंवर। चुनाव चिन्ह कमल का फूल। उम्र 63 साल। पिता का नाम हुकम चंद्र तंवर। वह दिल्ली के महरौली के रहने वाले हैं और जमीन के कारोबार करते हैं। मां नारायणी देवी की प्रेरणा से समाजसेवा में लगे। मां के नाम पर ही दिल्ली में निश्शुल्क डिस्पेंसरी शुरू की।कांग्रेस से दो बार लोकसभा चुनाव लड़े। विफलता हाथ लगने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में अमरोहा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और सांसद चुने गए। इसके बाद दूसरी बार वर्ष 2019 में फिर उनको पराजय का सामना करना पड़ा। हर साल वह 151 निर्धन कन्याओं के निश्शुल्क विवाह कराते हैं। गरीबों के उपचार को दो एंबुलेंस का संचालन कराया है। मेधावी बच्चों के लिए सरस्वती विद्या मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। भाजपा ने तीसरी बार उनको अपना प्रत्याशी बनाया है।
पढ़ाई पूरी करने के बाद राजनीति में हुए सक्रिय
सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी कुंवर दानिश अली। उनका चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा है। उनकी उम्र-48 साल है और पिता का नाम जाफर अली है। वह हापुड़ जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया केंद्रीय विश्वविद्यालय से बीएससी के बाद राजनीति विज्ञान से एमए किया है।सक्रिय राजनीत में आने से पूर्व वह पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के काफी करीब रहे। यहीं उन्होंने बारीकी से सियासत का ककहरा सीखा। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन होने के बाद देवगौड़ा की सिफारिश पर बसपा ने इन्हें अपना उम्मीदवार बनाया। राजनीति में वह किस्मत के धनी साबित हुए।
पहली बार में ही 63 हजार से अधिक मतों जीत हासिल की। संसद सत्र के दौरान दिल्ली के भाजपा सांसद विधूड़ी की इनके खिलाफ तल्ख बयानबाजी ने उनको सुर्खियाें में ला दिया। बसपा ने जहां इन्हें पार्टी से निलंबित किया वहीं इन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। संसद में सबसे अधिक उपस्थिति व सवाल उठाने में इनका नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
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