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मोबाइल को बनाया लाइब्रेरी, 12 घंटे तक की पढ़ाई, आइएएस बनने के जुनून से यक्ष ने पाया लक्ष्य

आइएएस बनने का जुनून। किसान नौनिहाल सिंह के बेटे यक्ष चौधरी ने दो बार पिछड़ने के बाद भी हार नहीं मानी।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 31 May 2022 12:32 AM (IST)
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मोबाइल को बनाया लाइब्रेरी, 12 घंटे तक की पढ़ाई, आइएएस बनने के जुनून से यक्ष ने पाया लक्ष्य

मोबाइल को बनाया लाइब्रेरी, 12 घंटे तक की पढ़ाई, आइएएस बनने के जुनून से यक्ष ने पाया लक्ष्य

जेएनएन, अमरोहा : पढ़ने की लगन थी,आइएएस बनने का जुनून। किसान नौनिहाल सिंह के बेटे यक्ष चौधरी ने दो बार पिछड़ने के बाद भी हार नहीं मानी। वह लक्ष्य की ओर बढ़ते गए। ग्रामीण परिवेश के होने के बाद भी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने छठी रैंक हासिल कर अमरोहा का नाम रोशन किया है। इंटरनेट मीडिया से दूर रहने वाले यक्ष ने मोबाइल को लाइब्रेरी बना लिया और रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। उनके आइएएस बनने से गांव में खुशी का माहौल है। इस सफलता का श्रेय वह खुद की मेहनत व परिवार के सहयोग को देते हैं। जिले के नौगावां सादात के नया गांव निवासी नौनिहाल मूल रूप से किसान हैं। उनके एक ईंट भट्टा भी है। तीन भाई-बहन में सबसे छोटे यक्ष ने गांव के सरस्वती मूंगिया देवी मांटेसरी स्कूल से कक्षा दो व पास के गांव पैगंबरपुर स्थित धर्मपाल सिंह स्कूल से कक्षा आठ तक पढ़ाई की। इसके बाद 10 व 12वीं की पढ़ाई अमरोहा के सरस्वती सर्वोदय एकेडमी से की है। 2017 में आइआइटी गुवाहटी से बीटेक करने वाले यक्ष का सिविल सर्विसेज के लिए यह तीसरा प्रयास था। वर्ष 2019 में उन्हें निराशा मिली। हालांकि इसी वर्ष उनका चयन सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर हो गया। फिर भी उन्होंने आइएएस बनने के लिए प्रयास जारी रखा। 2020 में वह साक्षात्कार से आगे नहीं जा सके। इस बार तीसरे प्रयास में उन्हें कामयाबी मिल गई। बिना मेहनत व लक्ष्य निर्धारित किए सफलता संभव नहीं यक्ष ने बताया कि वह समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं। इसी वजह से उन्होंने आइएएस बनने का लक्ष्य तय किया। उनका कहना है कि बिना मेहनत व लक्ष्य निर्धारित किए सफलता संभव नहीं है। छात्र-छात्राओं को चाहिए कि वह जीवन में आगे बढ़ने के लिए पहले लक्ष्य निर्धारित करें। इसके बाद उसे हासिल करने के लिए नियमित रूप से तैयारी करें। बेटा बना अफसर तो बोले पिता-मेरा जीवन सफल किसान नौनिहाल सिंह का बेटा यक्ष चौधरी अब अफसर बन गया है। बेटे की इस उपलब्धि से स्वजन फूले नहीं समा रहे हैं। पिता के चेहरे की चमक दोगुनी हो गई। बधाई देने वालों की काल रिसीव कर उनसे पूरी आत्मीयता से बात करते रहे। बोले-यक्ष के भीतर कुछ कर गुजरने का जज्बा था। वह पढ़ाई को लेकर शुरू से ही गंभीर रहा है। आज मेरा जीवन सफल हो गया है। मां-सरोज देवी की आंखें खुशी के आंसू से कई बार नम हुई। बोलीं, हमने कभी यक्ष पर पढ़ाई का दबाव नहीं बनाया। बेटे ने जो कुछ किया अपनी इच्छा से किया। मुझे आज खुद पर गर्व हो रहा है कि मैं यक्ष की मां हूं। छोटे भाई की कामयाबी की खबर सुनकर बहन पूजा चौधरी भी आ गई थीं। चहक कर भाई को गले लगाया तथा मिठाई खिलाई। वहीं भाई अमित चौधरी भी भाई की कामयाबी से गदगद हैं। समाचार पत्र पढ़ना दिनचर्या में शामिल यक्ष चौधरी का कहना है कि एक साल कोटा में कोचिंग कर आइआइटी में प्रवेश लिया था। उसके बाद सिविल सर्विस की तैयारी बिना कोचिंग खुद ही की। प्रतिदिन 10 से 12 घंटा पढ़ाई करता था। उनका सिर्फ फेसबुक पर एकाउंट है, लेकिन उसे नहीं चलाते। मोबाइल का प्रयोग उन्होंने लाइब्रेरी के रूप में किया। जिस विषय के बारे में जानकारी करने की जरुरत हुई तो किताबों के साथ मोबाइल से मदद ली। समाचार पत्र पढ़ना उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा है। चित्रकारी करना व बच्चों से बात करना पसंद है। हाईस्कूल परीक्षा में मंडल में रहे थे दूसरे स्थान पर यक्ष ने कक्षा 10 व 12 की परीक्षा अतरासी रोड स्थित सर्वोदय सरस्वती एकेडमी से उत्तीर्ण की थी। स्कूल प्रबंधक नरेश सिंह सिद्धू ने बताया कि यक्ष पढ़ाई में सदैव प्रथम रहे हैं। कक्षा 10वीं के परीक्षाफल में वह मंडल में दूसरे स्थान पर रहे थे। कक्षा 12वीं में स्कूल टापर रहे थे।

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