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Amroha News: व्‍यवसायी ने निकाला कमाई का फार्मूला, यहां गायों से ही निकल रहा गोशाला का पूरा खर्च

दरअसल अजय टंडन की कैलसा रोड पर पशु आहार तैयार करने की फैक्ट्री है। इसके नजदीक ही उनकी एक गोशाला भी है। वह गोशाला में ही गायों के गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार कराते हैं। इसका उपयोग वह खुद जैविक खेती में करते हैं।

By Vivek BajpaiEdited By: Updated: Tue, 18 Oct 2022 09:40 AM (IST)
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प्रशासन अजय टंडन के फार्मूले को सरकारी गोशालाओं में भी लागू कर सकता है। जागरण आर्काइव
अमरोहा, (अनिल अवस्‍थी)। बेसहारा गायों की देखभाल को लेकर मुख्यमंत्री योगी काफी संजीदा हैं। इनकी देखभाल को प्रति गाय प्रतिदिन के हिसाब से 30 रुपये का भुगतान किया जा रहा है। इसके बावजूद चारा व भूसे का इंतजाम करने में अधिकारी हांफ रहे हैं। आसानी से इसकी व्यवस्था कैसे की जाए, इसका उदाहरण शहर के व्यवसायी अजय टंडन ने आदर्श गोशाला स्थापित कर पेश किया है। यहां गाय के दूध व गोबर के साथ ही मूत्र तक का सदुपयोग कर गोशाला का पूरा खर्च निकाला जा रहा है। अब प्रशासन भी इसी तर्ज पर गोशालाओं में बेहतर प्रबंधन की तैयारी में जुट गया है।

गोबर से तैयार कर रहे वर्मी कंपोस्‍ट

दरअसल अजय टंडन की कैलसा रोड पर पशु आहार तैयार करने की फैक्ट्री है। इसके नजदीक ही उनकी एक गोशाला भी है। वह गोशाला में ही गायों के गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार कराते हैं। इसका उपयोग वह खुद जैविक खेती में करते हैं। साथ ही इसकी बिक्री भी करते हैं। शेष गोबर से लकड़ी के बुरादे के साथ ईंधन तैयार किया जाता है। इस ईंधन से उनकी फैक्ट्री का ब्वायलर चलता है। जोकि कोयला व लकड़ी की बचत कराता है।

गोमूत्र से तैयार कर रहे कीटनाश

कई शहरों में तो इस ईंधन का प्रयोग अब शव की अंत्येष्टि के लिए भी होने लगा है। वहीं गोमूत्र से कीटनाशक तैयार कराते हैं। बेहतर फसल तैयार करने में इसका उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इन गायों से प्रतिदिन लगभग 40 लीटर दूध का उत्पादन भी हो रहा है। अजय बताते हैं कि प्रतिदिन एक गाय पर लगभग 110 रुपये खर्च हो रहे हैं। मगर गोउत्पाद के जरिये प्रतिदिन एक गाय से इतनी आमदनी भी हो रही है।

प्रशासन भी अपना सकता है व्‍यवसायी अजय टंडन का फार्मूला 

अजय टंडन के फार्मूले को सरकारी गोशालाओं में भी लागू करने के लिए जिलाधिकारी बीके त्रिपाठी ने बीते शुक्रवार को एक बैठक बुलाई थी। इसमें अजय ने डीएम के सामने ही पशुपालन, उद्यान समेत कृषि विभाग के अधिकारियों को गो उत्पाद के समुचित उपयोग के बारे में बारीकी से जानकारी दी। अब गुरुवार को जिला कृृषि अधिकारी व जिला उद्यान अधिकारी अजय की गोशाला जाकर भौतिक परीक्षण करेंगे। इसके बाद उनके फार्मूले को सरकारी गोशालाओं पर लागू कर गोउत्पादों से ही उसका खर्च निकालने के प्रयास किए जाएंगे। जिलाधिकारी बीके त्रिपाठी ने बताया कि गोउत्पादों के सदुपयोग से आमदनी के बारे में अधिकारियों की टीम पड़ताल करेगी। इसके जरिये गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा।

पशु प्रदर्शनी से मिली सीख

अमरोहा: अजय टंडन बताते हैं कि तीन साल पहले वह लुधियाना के पास जगरांव में लगी पशु प्रदर्शनी में भाग लेने पहुंचे थे। उसमें शामिल एक डेयरी स्वामी ने उन्हें गोउत्पादों के सदुपयोग के बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद उन्होंने यही फार्मूला अपनी गोशाला पर लागू किया। बताया कि गाय का दूध 50 रुपये प्रति लीटर, गोमूत्र से तैयार कीटनाशक 30 रुपये प्रतिलीटर, वर्मी कंपोस्ट सात रुपये प्रति किग्रा व ईंधन साढ़े छह रुपये प्रति किग्रा के भाव से बिक रहे हैं।

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