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Kisan Diwas: जैविक विधि से सहफसली खेती कर कमा रहे लाखों रूपये सालाना, राज्यपाल से मिल चुकी है प्रशंसा

किसान दिवस पर हम प्रगतिशील किसानों को याद कर रहे हैं जिन्होंने अपने प्रयोगों से कृषि को नई दिशा दी। ऐसे ही अमरोहा के एक किसान हैं राजवीर सिंह ने जो जैविक विधि से सहफसली खेती कर सालाना लाखों रूपये की कमाई कर रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nirmal PareekUpdated: Fri, 23 Dec 2022 05:05 PM (IST)
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अमरोहा के किसान राजवीर सिंह जैविक विधि से खेती कर कमा रहे हैं लाखों रूपये सालाना
राहुल शर्मा, अमरोहा: किसान के स्वरूप में यदि झुर्रियां वाली दुर्बल काया की कल्पना कर रहे तो उसे भूल जाइए। वे जमीन के टुकड़े पर आश्रित रहकर सिर्फ जीवन-यापन के संसाधन नहीं तलाश रहे, देश की अर्थव्यवस्था को गति दे रहे हैं। उनके नये प्रयोग और विज्ञान का सदुपयोग खेती को लाभकारी व्यापार के रूप में स्थापित कर रहे हैं। युवाओं में कृषि के प्रति बढ़ती रुचि इसे प्रमाणित करती है। आज 23 दिसंबर को देशभर में किसान दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर हम आपको उन किसानों की प्रेरणास्रोत कहानियां बता रहे हैं जिन्होंने परपम्परागत खेती से हटकर नई तकनीक से खेती करना चुना है और कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं। इस कड़ी में एसे ही एक किसान की कहानी लेकर आए हैं जिनका नाम है राजवीर सिंह, यह गांव चकारसी का वह नाम है जो अब आसपास के क्षेत्र में किसानों की जुबां पर रहता है। उनके सिखाए हुनर के बूते किसान अपनी आय दोगुना करने में जुटे हैं। पहले तो वह किसानों को खेती में इंजीनियरिंग सिखाकर पैदावार को बढ़ाने का तरीका बताते थे, अब अपनी ही जमीन में अपने तजुर्बे आजमा रहे हैं।

सालाना सात से आठ लाख रुपये तक आय

उन्होंने जैविक विधि से सहफसली खेती कर अधिक कमाई की राह निकाली है। पहले सालाना तीन से चार लाख रुपये आय होती थी, अब सात से आठ लाख रुपये तक आय हो रही है। जनवरी वर्ष 2003 को वे कृषि विभाग की यूपी एग्रो शाखा में डिविजन इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त हुए। रसायनिक खाद की वजह से बढ़ रही बीमारियों को देखते हुए उन्होंने वर्ष 2009 में जैविक विधि से सहफसली खेती करने का निर्णय लिया। दस बीघा जमीन में गेहूं व सब्जियां उगाईं। पहले साल मुनाफा नहीं हुआ लेकिन, दूसरे साल आमदनी बढ़ गई। फायदा होने पर पूरी तीन हेक्टेयर जमीन में जैविक विधि से सहफसली खेती की। गन्ने के साथ उड़द, सरसों, मूंग, केला व पपीता आदि की फसल लेते हैं। उपज को दिल्ली, हापुड़, गाजियाबाद आदि मंडियों में बेचते हैं।

राजवीर से प्रेरणा लेकर कई किसानों ने शुरू की जैविक खेती

किसान राजवीर बताते हैं कि अब उनको देखकर गांव व आस पड़ोस के गांवों के 45 किसानों ने भी जैविक तकनीक को अपनाया है। पहले जैविक खेती में प्रति बीघा 800 रुपये की लागत आती थी। इसमें जैविक खाद के साथ ही फसल को कीटों से बचाने के लिए जैविक विधि से नीम आदि का घोल तैयार कर छिड़काव किया गया। रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने पर 2000 रुपये प्रति बीघा लागत आ रही थी। कीटनाशक दवाईयों का भरपूर प्रयोग करते थे। इस समय जैविक विधि से खेती करने पर प्रति बीघा 1000 रुपये लागत आ रही है जबकि रसायनिक विधि से खेती करने पर 2500 से 3000 रुपये तक लागत आ रही है।

राज्यपाल से मिली थी प्रशंसा

दैनिक जागरण के बान-सोत नदी संरक्षण अभियान के तहत पुनर्जीवित की गई बान नदी को देखने के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वर्ष 2020 में बीलना पहुंचीं थीं। जहां पर राजवीर सिंह की खेतीबाड़ी करने का तरीका तत्कालीन जिलाधिकारी उमेश मिश्र ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को बताया था। राज्यपाल ने उनको सराहा था और अफसरों को उनका सहयोग करते रहने का निर्देश दिया था।

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