Lok Sabha Election: रालोद की भाजपा संग नजदीकी से दोनों खेमों में हलचल, इस सीट पर दावा कर सकते हैं जयंत चौधरी
सपा-बसपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने से सीट अपने खाते में मानकर टिकट की दावेदारी कर रहे भाजपाईयों की बेचैनी बढ़ गई है। ऐसा ही कुछ हाल रालोद के दावेदारों का भी है। नई सुगबुगाहट से कुछ हताश व निराश हैं तो कुछ रालोद हाईकमान से संपर्क साधने में जुट गए हैं। सियासी पंडित भी सांस थामे नई घोषणा की प्रतीक्षा में लग गए हैं।
अनिल अवस्थी, अमरोहा। सपा-बसपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने से सीट अपने खाते में मानकर टिकट की दावेदारी कर रहे भाजपाईयों की बेचैनी बढ़ गई है। ऐसा ही कुछ हाल रालोद के दावेदारों का भी है। नई सुगबुगाहट से कुछ हताश व निराश हैं तो कुछ रालोद हाईकमान से संपर्क साधने में जुट गए हैं। सियासी पंडित भी सांस थामे नई घोषणा की प्रतीक्षा में लग गए हैं।
सपा-बसपा गठबंधन के भरोसे पिछले लोकसभा चुनाव में अमरोहा सीट भाजपा के हाथ से निकल गई थी। यहां से बसपा दावेदार कुंवर दानिश अली ने भाजपा प्रत्याशी चौधरी कंवर सिंह तंवर को शिकस्त दी थी। इस बार भाजपा हरहाल में इस सीट पर दोबारा कब्जा जमाना चाहती है। वहीं सपा व बसपा के अलग-अलग मैदान में उतरने से भाजपाई इस पर जीत भी निश्चित मान रहे हैं। यही कारण है कि भाजपा से टिकट के दावेदारों की सूची सबसे लंबी है।
अमरोहा सीट पर रालोद की मजबूत दावेदारी
सभी दावेदार आपस में ही एक दूसरे को पटकनी देने के लिए पसीना बहा रहे थे। मगर इसी बीच अचानक भाजपा से राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस खबर ने भाजपाई दावेदारों की नींद हराम कर दी है। वर्ष 2009 में अमरोहा सीट पर लोकदल से देवेंद्र नागपाल जीत भी हासिल कर चुके हैं। इसलिए माना जा रहा है कि रालोद अमरोहा सीट पर भी मजबूती से दावेदारी जताएगी।यह सीट हाथ से निकलती देख भाजपाई के दो-तीन मजबूत दावेदार अपने पुराने रिश्तों की दुहाई देकर रालोद के साथ नजदीकियां बढ़ाने में भी जुट गए हैं। उधर, रालोद से टिकट के दावेदारों में भी बेचैनी बढ़ गई है। हालांकि गठबंधन की अभी घोषण न होने के कारण दोनों दलों के जिम्मेदार अधिकृत रूप से कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं।
गठबंधन से संतुष्ट नहीं टिकट के दावेदार
भाजपा से रालोद के गठबंधन की भले ही अभी घोषणा न हुई हो मगर स्थानीय स्तर के दावेदार इससे संतुष्ट नजर नहीं आ रहे। भाजपा खेमे के धुरंधरों का दावा है कि इस बार निश्चित तौर पर पार्टी प्रत्याशी इस सीट से जीत हासिल करेगा। गठबंधन की दशा में मतदाताओं का एक वर्ग चुनाव चिह्न कमल को छोड़कर दूसरे पर बटन नहीं दबाएगा। इसलिए गठबंधन का कोई बड़ा फायदा पार्टी को होने वाला नहीं है। वहीं रालोद का दावा है कि आइएनडीआइ से गठबंधन की दशा में पार्टी प्रत्याशी को एक विशेष वर्ग के मतदाताओं का साथ मिलने से इस गठबंधन से अधिक लाभ होता।इसे भी पढ़ें: UP Politics: कांग्रेस के गढ़ में अपना कुनबा मजबूत कर रही भाजपा, लोकसभा चुनाव से पहले इन नेताओं ने ली पार्टी की सदस्यता
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