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स्कूल में बिरयानी लाने का मामला: विवाद के बीच स्कूल प्रबंधक ने ज्वाइन की BJP, DM करेंगे स्कूल की जांच

हिल्टन कॉन्वेंट स्कूल में बिरयानी लाने को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले की जांच मुरादाबाद के डीएम को सौंपी है। डीएम से 10 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। इस बीच स्कूल प्रबंधक अनुराग सैनी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है जिससे सियासत और तेज हो गई है।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Thu, 12 Sep 2024 09:12 PM (IST)
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तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

जागरण संवाददाता, अमरोहा। हिल्टन कान्वेंट स्कूल में मांसाहार लाने को लेकर उत्पन्न विवाद का पटाक्षेप नहीं हो रहा है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता सद्दाम मुजीब की शिकायत पर मुरादाबाद के डीएम को इसकी जांच सौंपी है। डीएम से 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है।

सद्दाम ने आयोग से पांच सितंबर को शिकायत की थी। इसके अलावा बाल कल्याण समिति ने भी स्कूल प्रबंधक और प्रधानाचार्य को नोटिस भेजकर तीन दिन में कार्यालय में उपस्थित होकर जवाब मांगा है। विवाद के बीच स्कूल प्रबंधक अनुराग सैनी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इसे लेकर सियासत और तेज हो गई है।

तीन सितंबर को कक्षा तीन के मुस्लिम छात्र द्वारा स्कूल में मांसाहार लाने व धार्मिक टिप्पणी करने के आरोप को लेकर छात्र की मां साबरा और स्कूल प्रधानाचार्य अवनीश शर्मा के बीच नोकझोंक हुई। साबरा का आरोप था, उसके बेटे को स्कूल से निकाल दिया गया। उसे कमरे में बंद कर प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानाचार्य पर बेटे को आतंकवादी कहने का भी आरोप लगाया था।

जबकि प्रधानाचार्य अन्य छात्रों के अभिभावकों को आपत्ति होने की बात कह रहे थे। उन्होंने साबरा के तीन बच्चों के स्कूल में पढ़ने और उनकी फीस जमा न होने की बात भी कही थी। इसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने पर मामला तूल पकड़ता चला गया।

डीएम आरके त्यागी के निर्देश पर डीआइओएस और बीएसए ने संयुक्त जांच टीम का गठन किया। टीम छात्र की मां, प्रधानाचार्य और करीब 20 बच्चों के अभिभावकों से बात कर चुकी है।

हालांकि, अभी इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को नहीं सौंपी गई है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अतुलेश भारद्वाज ने बताया कि इस मामले में आज नोटिस भेजकर प्रबंधक व प्रधानाचार्य को तीन दिन के भीतर कार्यालय में उपस्थित होकर जवाब देने को कहा गया है।

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