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यूपी में अधिकारियों ने बिना बैनामा कराए बांट दिया 30 करोड़ का मुआवजा, 1900 एकड़ भूमि का किया गया था अधिग्रहण

UP News उत्तर प्रदेश में अधिकारियों ने बिना बैनामा कराए 30 करोड़ रुपये का मुआवजा बांट दिया। 2013-14 में नाईपुरा खादर और फाजिलपुर गौसाईं गांव में 1900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। अब औद्योगिक इकाइयों को जमीन उपलब्ध कराने की बारी आई तो मामला सामने आया। यूपीसीडा के प्रबंधक ने तीनों सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Mon, 18 Nov 2024 03:23 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
जागरण संवाददाता, अमरोहा। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के अधिकारियों का जमीन के मुआवजे में खेल सामने आया है। 2013-14 में नाईपुरा खादर में 1,756 एकड़ और फाजिलपुर गौसाईं गांव में 151.32 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसके लिए करीब 30 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा गया था, लेकिन जमीन का बैनामा नहीं कराया गया।

अब औद्योगिक इकाइयों को जमीन उपलब्ध कराने की बारी आई, तो पूरा मामला सामने आया है। यूपीसीडा के प्रबंधक गोपाल प्रसाद ने निर्माण खंड-4 अलीगढ़ के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अजीत सिंह, तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक अलीगढ़ तेजवीर सिंह व तत्कालीन अधिशासी अभियंता निर्माण खंड-4 अलीगढ़ के दीपचंद खिलाफ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। तीनों अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

दो गांवों में किया गया था भूमि अधिग्रहण

गजरौला में यूपीसीडी के क्षेत्र में करीब दो दर्जन औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं। 10 वर्ष पूर्व औद्योगिक आस्थान के विस्तार के लिए दो गांवों में भूमि का अधिग्रहण किया गया था। नियमानुसार मुआवजा का भुगतान करने के साथ भूमि का यूपीसीडा के नाम बैनामा भी कराया जाना था।

आरोपित अधिकारियों को जारी किया गया था नोटिस

कुछ माह पहले मामला सामने आने पर निर्माण खंड-11 यूपीसीडा बरेली के वरिष्ठ प्रबंधक राजीव कुमार और क्षेत्रीय प्रबंधक मंसूर कटियार ने जांच कराई। आरोपित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा गया, लेकिन तीनों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। भूमि अधिग्रहण के समय यह क्षेत्र यूपीसीडा के अलीगढ़ कार्यालय के अधीन था। अब बरेली के अधीन है।

यूपीसीडा गजरौला क्षेत्र के प्रबंधक गोपाल प्रसाद का कहना है कि तीनों अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। कितने किसान हैं? इसके बारे में अभी विवरण तैयार किया जा रहा है। इतना जरूर है कि मुआवजा बांटने के बाद भी बैनामे नहीं कराए गए हैं। यह नियम के खिलाफ है।

ऐसे खुला मामला

गजरौला शहर एक साल पहले तक राज्य वन्यजीव बारहसिंघा अभ्यारण (हस्तिनापुर वन सेंक्चुअरी क्षेत्र) के अधीन था। नियम सख्त होने की वजह से उद्योगपति यहां औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को लेकर दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। एक साल पहले क्षेत्र को अभ्यारण की सीमा से बाहर कर दिया गया। यूपीसीडा ने औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार की योजना तैयार की है। इसके लिए जमीन का रिकार्ड खंगाला गया तो मामला खुला।

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