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'जिनके दो से अधिक बच्चे हैं उसको ना मिले सरकारी सुविधाएं, वोट का अधिकार भी हो समाप्त' स्वामी यतींद्र आनंद गिरि का बयान

UP Politics कहा कि देश में मदरसों का कोई औचित्य नहीं है। मदरसे कट्टरवाद की शिक्षा देते हैं। मदरसों को मिलने वाला सरकारी अनुदान समाप्त किया जाए। उन्होंने दो बच्चों का कानून बनाए जाने की पैरवी की। कहा कि जिस परिवार में दो से अधिक बच्चे हैं तो उसकी तमाम सरकारी सुविधाएं और वोट का अधिकार भी समाप्त कर दिया जाए।

By Asif Ali Edited By: Mohammed Ammar Updated: Thu, 09 May 2024 03:56 PM (IST)
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'जिनके दो से अधिक बच्चे हैं उसको ना मिले सरकारी सुविधाएं, वोट का अधिकार भी हो समाप्त'

जागरण संवाददाता, अमरोहा: जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्र आनंद गिरि जी महाराज ने कहा कि देश में मदरसों का कोई औचित्य नहीं है। इन्हें बंंद किया जाना चाहिए। क्योंकि मदरसों में कट्टरवाद की शिक्षा दी जाती है। कहा कि यह सदी सनातन संस्कृति की है। सनातन धर्म से जातिवाद की कुप्रथा को खत्म किया जाना जरूरी है।

बुधवार को महामंडलेश्वर लखनऊ जाते समय अमरोहा रुके थे। यहां कल्याणपुरा में सर्वेश सैनी के आवास पर उन्होंने अल्प विश्राम किया। सूचना मिलते ही भक्त उनके दर्शन करने पहुंचने लगे। यहां महामंडलेश्वर ने कहा कि युग बदल रहा है। यह सदी सनातन हिंदू संस्कृति की सदी होगी। पूरा विश्व सनातन हिंदू संस्कृति को अपनाने के लिए लालायित हो रहा है। इस्कान जैसी श्री कृष्ण भक्ति की संस्था दुनिया भर के लोगों को भगवान कृष्ण की भक्ति व भगवत गीता की ओर मोड़ रही है।

'सनातन हिंदू धर्म में जाति प्रथा की बुराई समाप्त होनी चाहिए'

हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री में अनेक पाश्चात्य देश के लोग हिंदू सन्यासी होकर हिंदू संस्कृति में ढल गए हैं। कहा कि सनातन हिंदू धर्म में जाति प्रथा की बुराई समाप्त होनी चाहिए। पिछड़े दलितों को समाज में उचित सम्मान मिलना चाहिए। जाति के आधार पर समाज को बांट कर कमजोर किया जा रहा है।

दो बच्चों का कानून बनाए जाने की पैरवी

कहा कि देश में मदरसों का कोई औचित्य नहीं है। मदरसे कट्टरवाद की शिक्षा देते हैं। मदरसों को मिलने वाला सरकारी अनुदान समाप्त किया जाए। उन्होंने दो बच्चों का कानून बनाए जाने की पैरवी की। कहा कि जिस परिवार में दो से अधिक बच्चे हैं तो उसकी तमाम सरकारी सुविधाएं और वोट का अधिकार भी समाप्त कर दिया जाए। उन्होंने श्री राम मंदिर निर्माण को इस युग की महानतम उपलब्धियों में से एक उपलब्धि बताया है।