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तीन वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा, 11 महीने में हो गई सुनवाई

अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे जिला शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र ने बताया कि वादी मुकदमा ने थाना बिधूना में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें कहा कि 20 अक्टूबर 2021 को दोपहर 2.30 बजे उसकी तीन वर्षीय नातिन अपने दरवाजे पर खेल रही थी।

By Jagran NewsEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Tue, 14 Feb 2023 06:04 PM (IST)
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तीन वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा, 11 महीने में हो गई सुनवाई
जागरण संवाददाता, औरैया : विशेष न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम मनराज सिंह ने बिधूना थाना क्षेत्र में 16 माह पूर्व एक तीन वर्षीय अबोध बालिका के साथ हैवानियत की हदें पार करने वाले दुष्कर्मी को मृत्युदंड की सजा से दंडित किया। दोषी पर पांच लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया। न्यायालय ने बालिका के साथ घृणित तरीके से दुष्कर्म करने के दोषी का यह कृत्य विरल से विरलतम मानते हुए उसे फांसी पर लटकाए जाने की सजा सुनाई। यह सजा कोर्ट ने 11 माह के विचारण के बाद सुनाई।

दरवाजे पर खेल रही मासूम को ले गया था आरोपी

अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे जिला शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र ने बताया कि वादी मुकदमा ने थाना बिधूना में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें कहा कि 20 अक्टूबर 2021 को दोपहर 2.30 बजे उसकी तीन वर्षीय नातिन अपने दरवाजे पर खेल रही थी। तभी गांव के शिव प्रेम का साला प्रेम नरेश पुत्र भजन लाल शंखवार निवासी धनवाली उसकी नातिन को बिस्कुट खिलाये जाने का लालच देकर ले गया।

कुछ देर बाद शिव प्रेम के कमरे से नातिन के रोने की आवाज सुनाई दी। वह व अन्य लोग भागकर मौके पर गए तो उसकी नातिन निर्वस्त्र शिव प्रेम के कमरे में पड़ी थी। उन लोगों को देखकर आरोपित प्रेम नरेश मौके से भाग गया। पीड़िता के साथ आरोपित ने दुष्कर्म किया था जिससे उसके नाजुक अंगों से खून बह रहा था। वादी की रिपोर्ट पर थाना बिधूना में दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट का उक्त मामला पंजीकृत हुआ। पुलिस ने विवेचना कर मामले में आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। 24 मार्च 2022 को अभियुक्त के खिलाफ आरोप विरचित किए गए। यह मुकदमा विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट में विरचित हुआ।

प्रस्तुत मामले में वादी, चिकित्सक, पीड़िता की मां, पीड़िता व पुलिस कर्मी सहित सात लोगों की गवाही कोर्ट में हुई। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र सिंह तोमर, मृदुल मिश्र ने बहस में अभियुक्त द्वारा अबोध बालिका के साथ हवस की पूर्ति के लिए हैवानियत की हदें पारकर दुष्कर्म करने का पक्ष रखा। यह कृत्य विरल से विरलतम श्रेणी में आता है।

इसलिए उसे कठोर दंड दिया जाए। बचाव पक्ष ने अभियुक्त को निर्दोष बताया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपर जिला जज मनराज सिंह ने प्रस्तुत प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों अपराध की प्रकृति, भयावहता, अपराध का सामाजिक प्रभाव, अपराधों की परिस्थितियों का अवलोकन करने के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला। दोष सिद्ध अभियुक्त ने बिना किसी उकसाने पर अपनी हवस की पूर्ति के लिए मात्र तीन वर्षीय अवोध कन्या के साथ घृणित तरीके से दुष्कर्म किया है। दोष सिद्ध अभियुक्त को अपने द्वारा किए गए अपराध की कोई ग्लानि भी नहीं है।

अभियुक्त का अपराध विरल से विरलतम ममली की श्रेणी में आता है। प्रेम नरेश को मृत्यु दंड व पांच लाख रुपये अर्थदंड से दंडित किया। दोषी की गर्दन में फांसी लगाकर फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। अर्थदंड अदा न करने पर उसे एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। अर्थदंड में से आधी धनराशि पीड़िता को अदा करने का भी आदेश न्यायालय ने दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि घटना के 16 माह व विचारण कार्रवाई के 11 माह में दोषी को न्यायालय ने उसके किए की सजा दे दी।

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