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Ayodhya: रामनगरी के नाम जुड़ा एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड, 11 प्रदेशों के 250 लोक कलाकारों ने एक मंच से प्रस्तुति का गढ़ा कीर्तिमान

लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान की ओर से तुलसी उद्यान में सोमवार को आयोजित शौर्य पर्व में प्रस्तुति देने वाले 11 प्रदेशों से आए 250 लोक कलाकारों ने रामनगरी को एक और विश्व कीर्तिमान से अभिषिक्त किया। दीपोत्सव के गत सात संस्करण में से छह में एक साथ सर्वाधिक दीप जलाने को लेकर रामनगरी ने पहले ही रिकार्ड बुक में धाक जमा रखी है।

By Raghuvar Sharan Edited By: Prateek Jain Updated: Wed, 20 Mar 2024 06:00 AM (IST)
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वर्ल्ड रिकार्ड्स बुक आफ इंडिया की चीफ एडिटर सुषमा नार्वेकर अतुल द्विवेदी को विश्व कीर्तिमान का प्रमाणपत्र देते हुए। जागरण

संवाद सूत्र, अयोध्या। लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान की ओर से तुलसी उद्यान में सोमवार को आयोजित शौर्य पर्व में प्रस्तुति देने वाले 11 प्रदेशों से आए 250 लोक कलाकारों ने रामनगरी को एक और विश्व कीर्तिमान से अभिषिक्त किया।

दीपोत्सव के गत सात संस्करण में से छह में एक साथ सर्वाधिक दीप जलाने को लेकर रामनगरी ने पहले ही रिकार्ड बुक में धाक जमा रखी है। इस बार कलाकारों ने लोक नृत्य की प्रस्तुति से अयोध्या को चमकाया। यह पहला अवसर था, जब किसी एक मंच पर शौर्य की थीम के साथ इतनी बड़ी संख्या में लोक कलाकारों ने प्रस्तुतियां दीं।

वर्ल्ड रिकार्ड्स बुक आफ इंडिया की टीम थी मौजूद

इस विश्व कीर्तिमान का आकलन करने और कीर्तिमानों के समस्त मानकों की पूर्णता की जांच करने के लिए वर्ल्ड रिकार्ड्स बुक आफ इंडिया की चीफ एडिटर सुषमा नार्वेकर अपनी टीम के साथ उपस्थित थीं।

विश्व कीर्तिमान के समस्त मानकों के परीक्षण की प्रामाणिकता के बाद उन्होंने लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी को प्रमाणपत्र और पदक प्रदान किया। तीन दिवसीय शौर्य पर्व में केरल से लेकर मणिपुर, गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल, तेलंगाना से लेकर झारखंड तक के कलाकार लोकनृत्य की प्रस्तुति के साथ संगीत और उसमें समाविष्ट शौर्य-समर के पुट की इंद्रानुषी छटा बिखेर रहे हैं।

कलाकारों का प्रदर्शन दर्शकों को हतप्रभ करने वाला है। किशोरियों और महिलाओ द्वारा प्रस्तुत गुजरात के तलवार रास और महाराष्ट्र के मर्दानी खेल की प्रस्तुति पर पूरा पांडाल तालियों से गूंज उठा। पंजाब का गतका गुरु गोविंद सिंह जी की युद्ध शैली का स्मरण करा रहा था, तो केरल का कलारीपयट्टू अपने अद्भुत संतुलन और कौशल से जमीनी युद्ध शैली का प्रतिनिधित्व कर रहा था।

ओडिशा के कलाकारों का पिरामिड बनाकर शंख वादन जहां सभी को रोमांचित कर रहा था, वहीं उत्तर प्रदेश का मलखंभ शारीरिक दक्षता और कुशलता से सभी को विस्मित कर रहा था।

इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए प्रो.ओमप्रकाश भारती, केंद्रीय ललितकला अकादमी के सचिव डा. देवेंद्र कुमार त्रिपाठी, सुधीर श्रीवास्तव, रामायण कान्क्लेव के समन्वयक आशुतोष द्विवेदी आदि सहित बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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