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अयोध्या में रामलला के अलावा इसने खींचा लोगों का ध्यान, सेल्फी लेने को किया विवश… कहलाते हैं सबसे बड़े रामभक्त

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान वहां सिर्फ आमंत्रित अतिथियों के अलावा अन्य का प्रवेश पर प्रतिबंधित था। उसके बाद भी भक्तों के अंदर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान रामनगरी में ही रहकर साक्षी बनने की होड़ लगी रही जो किसी न किसी मार्ग से होकर सरयू तट और राम की पैड़ी तक पहुंच गए।

By Shab Deen Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 22 Jan 2024 02:43 PM (IST)
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अयोध्या में रामलला के अलावा इसने खींचा लोगों का मन।

संवाद सूत्र, अयोध्या। भगवान श्री राम के अनन्य भक्त बजरंगबली के जन्मभूमि किष्किंधा से आया रथ रामनगरी में आस्था केंद्र बना रहा। राम की पैड़ी पर खड़े इस रथ के सामने कोई शीश नवाता है तो कोई सेल्फी के रूप में अपने साथ इसे तस्वीरों में उतार रहा है। 

दो माह पूर्व किष्किंधा से निकला यह रथ राम जन्मभूमि पहुंचने से पहले देश के तमाम मंदिरों ही नहीं माता सीता की जन्मस्थली नेपाल के जनकपुर का भ्रमण करके पहुंचा हैं, जो 25 जनवरी तक भगवान श्रीराम की सेवा में रामनगरी में ही रहेगा।

सरयू तट और राम की पैड़ी तक पहुंचे भक्त

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान वहां सिर्फ आमंत्रित अतिथियों के अलावा अन्य का प्रवेश पर प्रतिबंधित था। उसके बाद भी भक्तों के अंदर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान रामनगरी में ही रहकर साक्षी बनने की होड़ लगी रही, जो किसी न किसी मार्ग से होकर सरयू तट और राम की पैड़ी तक पहुंच गए। 

उसके बाद देशभर के मंदिरों का भ्रमण करते हुए नेपाल में माता सीता के जन्मस्थली जनकपुर से रामनगरी पहुंच रथ का दर्शन कर जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज रहा है।

क्या कहते हैं अभिषेक कृष्ण शास्त्री

हनुमान जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी अभिषेक कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के कोने कोने से अतिथि शामिल होने आ रहे थे। उस शुभ अवसर भगवान हनुमान रामनगरी में कैसे नहीं रहेंगे। 

इसलिए रथ में भगवान राम की हनुमान को गले लगाए रथ को लेकर दो माह पूर्व लेकर राम जन्मभूमि के लिए लेकर निकला था, जो प्रभु श्रीराम की नगरी का भ्रमण कर चुका है। अब रथ के साथ मौजूद सैकड़ों भक्त रामलला का दर्शन करने के बाद वापस किष्किंधा के लिए वापस होंगे।

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