Ram Mandir: सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही प्रारंभ होगा प्राण प्रतिष्ठा का विधान, गर्भगृह में इस दिन पहुंचेगा रामलला का विग्रह
राजा राम की नगरी अयोध्या को पांच सौ वर्षों की लंबी प्रतिक्षा के बाद रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। एक ओर राम मंदिर में तैयारियां चल रही हैं तो दूसरी ओर अयोध्या के कोने कोने का रंग रोगन किया जा रहा है। 15 जनवरी को सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही प्राण प्रतिष्ठा का विधान शुरु हो जाएगी।
प्रवीण तिवारी, अयोध्या। नवनिर्मित राममंदिर के भव्य-दिव्य गर्भगृह में 22 जनवरी को रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसके लिए पहली बार भगवान का विग्रह 15 जनवरी को गर्भगृह में ले जाया जाएगा। 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा का विधान प्रारंभ होगा। इसमें विग्रह का अधिवास अनुष्ठान कराया जाएगा।
इन वैदिक क्रियाओं से विग्रह में जीवन को प्रतिष्ठित करने का उपक्रम होता है। अधिवास में विग्रह को जीवन कारक अनाज, पानी, फलाें में रखा जाता है। यह विधान मकर संक्राति को सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही प्रारंभ होगा। वर्तमान समय में सूर्यदेव दक्षिणायण हैं। आचार्य संजय वैदिक कहते हैं कि ट्रस्ट को प्राण प्रतिष्ठा से पहले विग्रह के वैदिक विधान संबंधित समस्त उपचार करने होंगे।
कम से कम तीन दिन के पूजन के उपरांत विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। काशी के वैदिक विद्वान पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजन कराएंगे। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अलग-अलग शिलाओं से तीन विग्रहों का निर्माण कराया है। देश के प्रख्यात मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कर्नाटक की श्याम शिला से एक विग्रह, बी. सत्यनारायण ने राजस्थान की श्वेत शिला और गणेश भट्ट ने भी कर्नाटक की दूसरी श्याम रंग की शिला से बाल स्वरूप रामलला का विग्रह तैयार किया है।
अभी इन विग्रहों को सुरक्षित रखा गया है। 28 दिसंबर से प्रारंभ होने वाली मंदिर निर्माण समिति की बैठक में गर्भगृह में स्थापना के लिए विग्रह का चयन किया जा सकता है। जनवरी के पहले सप्ताह में ट्रस्ट इस संबंध में घोषणा कर सकता है।
मकर संक्रांति के तुरंत बाद ही रामलला के विग्रह को गर्भगृह में ले जाकर प्राण प्रतिष्ठा का विधान प्रारंभ कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया से जुड़े एक वैदिक विशेषज्ञ बताते हैं कि गर्भगृह में चयनित विग्रह काे सुरक्षित रखा जाएगा। इस दौरान सिर्फ आचार्यगण ही गर्भगृह में प्रवेश कर पायेंगे।
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