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Ayodhya Deepotsav 2023: जीवंत हो उठा त्रेतायुग, अयोध्या में ऐसा हुआ दीपोत्सव; देखें मनोरम तस्वीरें

Ayodhya Deepotsav 2023 Photos - श्रीराम की वापसी से रामनगरी एक बार पुन निहाल हुई। वे श्रीराम सीता भरत लक्ष्मण और हनुमान नहीं थे। उनके स्वरूप थे। तथापि उन्होंने ‘मानवता की जय’ के प्रतिनिधि प्रसंग का मनोहारी पुनर्स्मरण कराया। संपूर्ण इवेंट भी काफी हद तक नपा-तुला और जीवंतता का परिचायक था। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी ने शोभायात्रा का रथ भी खींचा।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Sat, 11 Nov 2023 10:17 PM (IST)
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Ayodhya Deepotsav 2023: जीवंत हो उठा त्रेतायुग, अयोध्या में ऐसा हुआ दीपोत्सव।

रघुवरशरण, अयोध्या। श्रीराम की वापसी से रामनगरी एक बार पुन: निहाल हुई। वे श्रीराम, सीता, भरत, लक्ष्मण और हनुमान नहीं थे। उनके स्वरूप थे। तथापि उन्होंने ‘मानवता की जय’ के प्रतिनिधि प्रसंग का मनोहारी पुनर्स्मरण कराया। संपूर्ण इवेंट भी काफी हद तक नपा-तुला और जीवंतता का परिचायक था। 

अपराह्न रामकथापार्क में विराजमान लोगों के सिर पर मंडराए हेलीकाप्टर से पुष्पक विमान की प्रतीति होती है और अगले पल सरयू तट पर लैंड करने के साथ श्रीराम, सीता, लक्ष्मण एवं हनुमान के स्वरूप अयोध्या की धरती पर पैर रखा।

जीवंत हो उठी श्रीराम की वापसी

सम्मुख भरत और शत्रुघ्न के स्वरूप पूरी विह्वलता और आह्लाद के साथ भाई, भाभी का स्वागत करते हैं। रामकथा पार्क भी लंका विजय के बाद श्रीराम की वापसी के महापर्व को जीवंत करने के लिए पूरी तरह तैयार हो उठा। 

मुख्यमंत्री योगी ने खींचा रथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सहित कई अन्य मंत्रियों, महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी, विधायक वेदप्रकाश गुप्त एवं रामचंद्र यादव सहित कई अन्य विशिष्ट लोगों के साथ श्रीराम और उनके समकालीन अन्य पात्रों के स्वरूप की अगवानी की और उन्हें त्रेतायुगीन वाहन रथ पर प्रतिष्ठित करा हेलीपैड से रामकथापार्क के मंच तक ले आए। 

केंद्रीय आसन पर श्रीराम और सीता के स्वरूप तथा अन्य पात्रों के स्वरूप अगल-बगल के आसन पर विराजमान होते हैं। हनुमान जी के स्वरूप सेवाभाव की भूमिका के चलते खड़े रहते हैं। यहां राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित अयोध्या के प्रतिनिधि संतों का समाज अभिषेक के साथ राम-सीता के स्वरूप का विधिवत पूजन एवं आरती किया।

यह सब देख रहे लोगों में कुछ की मुग्धता और उनकी आंखों से व्यक्त होती नमी बताती है कि दर्शक कुछ देर के ही लिए सही, युगों का अंतराल पाट कर श्रीराम के दौर को अनुभूत किया और श्रीराम सहित अन्य अनेक पात्रों के संगी-सहचर बनकर निहाल हो उठे।

प्रतीकात्मक राज्याभिषेक में आमंत्रित निष्काम सेवा ट्रस्ट के व्यवस्थापक महंत रामचंद्रदास कहते हैं, यही साधना का मूल है कि हम श्रीराम के सामीप्य और उनसे अभिन्नता की अनुभूति कर सकें और साधना से जुड़ा दीपोत्सव का यह पक्ष विभोर किया। 

अपनी फार्च्यूनर से रामकथापार्क से निकल कर रामकीपैड़ी में सज्जित दीपों के प्रज्वलन का आस्वाद लेने बढ़ रहे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य कहते हैं, दीपोत्सव अयोध्या की आत्मा के साथ अयोध्या की काया को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाने वाला महापर्व है और इसके आनंद में डूबे बिना रहना असंभव है।

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