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Ayodhya Deepotsav 2024: पैड़ी सहित आस्था के अन्य केंद्र भी दीपों की आभा से होंगे आलोकित

Deepotsav 2024 - अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। 30 अक्टूबर को 25 लाख दीप जलाए जाएंगे जो विश्व कीर्तिमान बनाएगा। रामकी पैड़ी पर सातवीं बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज होगा। राम मंदिर कनक भवन हनुमानगढ़ी सूर्यकुंड भरत कुंड सहित अन्य स्थलों पर दीप जलाए जाएंगे। यह दीपोत्सव आस्था एकता और सत्य की जीत का प्रतीक है।

By Raghuvar Sharan Edited By: Shivam Yadav Updated: Fri, 25 Oct 2024 06:19 PM (IST)
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इस बार 25 लाख दीप प्रज्वलित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
रघुवरशरण, अयोध्या। दीपोत्सव की बेला में रामकी पैड़ी लगातार सातवीं बार विश्व कीर्तिमान गढ़ेगी, आस्था के अन्य केंद्र भी इस अवसर पर दीपों की आभा से आलोकित होंगे। 30 अक्टूबर को प्रस्तावित दीपोत्सव में इस बार 25 लाख दीप प्रज्वलित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। 

तैयारियां बता रही हैं कि यह लक्ष्य हासिल करने के साथ रामकी पैड़ी का दीपोत्सव एक बार पुन: गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज होगा। सातवीं बार विश्व कीर्तिमान की अस्मिता प्रतिष्ठित करने के साथ यह अवसर आस्था के चरम आह्लाद का भी परिचायक होगा। 

यह सच्चाई रामनगरी के केंद्रीय प्रभाग से लेकर 84 कोस की परिधि में विस्तृत उसके सीमांत क्षेत्रों तक से परिभाषित होगी, जिस राम मंदिर निर्माण के साथ श्रीराम के लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाए जाने वाले दीपोत्सव का उल्लास शिखर पर है, उसका दीपोत्सव के केंद्र में शामिल होना स्वाभाविक भी है। 

नया आयाम प्रशस्त करेगा दीपोत्सव 

विशेष साज-सज्जा के साथ राम मंदिर परिसर एक लाख दीपों से जगमग हो दीपोत्सव का नया आयाम प्रशस्त करेगा। इसी राम मंदिर के पूरक आस्था के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित कनक भवन और हनुमानगढ़ी भी हजारों दीपों से जगमग हो दीपोत्सव को भव्यता प्रदान करेंगे। 

रामनगरी के आग्नेय कोण पर स्थित सूर्यकुंड वह स्थल है, जहां रामजन्म की पावन बेला में सूर्य देव ने माह भर तक डेरा डाले रखा। अब राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का सदियों पुराना स्वप्न साकार होने के बाद के प्रथम दीपोत्सव की प्रसन्नता भी सूर्य देव के इस स्मारक से प्रकीर्णित होगी।

 

सूर्य कुंड परिसर में 25 हजार दीप जलाए जाने की तैयारी है। सूर्य कुंड से किंचित दाहिने घूम कर दक्षिण दिशा में आठ-10 किलोमीटर आगे जाने पर श्रीराम के प्रति प्रेम के पर्याय भरत की तपस्थली भरत कुंड की अवस्थिति युगों बाद भी विभोर करती है। 

कुंड का शांत जल और आसपास की अमराइयों में समाविष्ट नीरवता भरत के प्रेम की प्रतीक्षा और धैर्य का आभास कराती है। यह असीम प्रतीक्षा बुधवार को दीपोत्सव के साथ थिरकने की तैयारी में यहां 25 हजार दीपों के साथ दीपोत्सव मनाए जाने की योजना है। 

84 कोसी परिक्रमा की परिधि पर स्थित मलकनिया धाम भी पांच हजार दीपों के साथ दीपोत्सव में शामिल होने को तैयार है, तो 84 कोसी परिक्रमा मार्ग का एक अन्य पड़ाव एवं राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ सम्पन्न कराने वाले यशस्वी श्रृंगीऋषि का आश्रम भी हजारों दीपों से जगमग होकर आह्लादित होने की तैयारी में है। 

जिस तमसा को पार कर श्रीराम युगों पूर्व वन को गए थे, उसी तमसा के तट का महादेवाघाट भी लंका विजय के बाद श्रीराम के अयोध्या आने की स्मृति का आनंदोत्सव 21 हजार दीपों के साथ जीवंत करेगा। 

रामनगरी की 84 कोस की ही सीमा में स्थित सुनबा के घने जंगलों में महामंगल करने वाली मां कामाख्या की पीठ भी लाखों दीपों से जगमग होगी। यहां दीपोत्सव के प्रथम संस्करण से ही आह्लाद की भावधारा प्रवाहित होती रही और आठवें संस्करण में यहां एक लाख दीये जलाए जाने की योजना बनाई जा रही है।

मानवता के इतिहास की अप्रतिम घटना: रवींद्र कीर्ति

सनातन संस्कृति की अनेकता में एकता के परिचायक रायगंज स्थित दिगंबर जैन मंदिर से भी दीपोत्सव की आभा-प्रभा का चरम परिलक्षित होगा। दीपोत्सव के पूर्व संस्करणों की तरह इस बार भी जैन मंदिर के विशाल प्रांगण को दीपोत्सव से आच्छादित कराने की तैयारी में लगे जैन मंदिर के पीठाधीश रवींद्रकीर्ति स्वामी के अनुसार श्रीराम की लंका विजय मानवता के इतिहास की अप्रतिम घटना है। 

यह असत्य पर सत्य की जीत एवं अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक-पर्याय महोत्सव है। इसमें भागीदारी करते हुए अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है। जैन मंदिर परिसर में 11 हजार दीप जलाए जाने की तैयारी है।

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