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Ayodhya Diwali 2023: इस बार 24 लाख दीयों से जगमग होगी राम नगरी, 51 घाटों पर दीपोत्सव से बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड

2017 में प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छोटी दीपावली के दिन मेगा इवेंट के रूप में दीपोत्सव की शुरुआत की। पहले संस्करण में ही रामकी पैड़ी पर रिकार्ड एक लाख 87 हजार दीप जले। अयोध्या के डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिवाली पर 24 लाख दीपक जलाकर अयोध्या के घाटों को रोशन करने की तैयारी शुरू कर दी है।

By Raghuvar SharanEdited By: Shubham SharmaUpdated: Thu, 09 Nov 2023 05:15 AM (IST)
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इस बार 24 लाख दीयों से जगमग होगी राम नगरी।

रघुवरशरण, अयोध्या। दीपोत्सव युगों पूर्व श्रीराम की लंका विजय की स्मृति में मनाया जाता है। दीपोत्सव का प्रत्येक संस्करण भव्यता का प्रतिमान गढ़ने वाला रहा है। सातवें संस्करण तक यह उत्सव भव्यता के अनेकानेक कीर्तिमान का परिचायक बन कर प्रस्तुत हो रहा है। रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के साथ संपूर्ण रामनगरी को दिव्यता प्रदान करने का अभियान चल रहा है और 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में रामलला का विग्रह नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होगा। ऐसे में रामनगरी विजयोल्लास की स्मृति से निहाल हो रही है।

21 लाख दीए से बनेगा विश्व रिकॉर्ड 

अयोध्या के डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिवाली पर 24 लाख दीपक जलाकर अयोध्या के घाटों को रोशन करने की तैयारी शुरू कर दी है, यूनिवर्सिटी के वॉलंटियर्स ने बताया कि 'अयोध्या दीपोत्सव' को ऐतिहासिक बनाने के लिए राम की पैड़ी और चौधरी चरण सिंह के 51 घाटों पर दिए जलाए जाएंगे. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने 21 लाख दीए जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य रखा है।

गौरतलब है कि 2017 में प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छोटी दीपावली के दिन मेगा इवेंट के रूप में दीपोत्सव की शुरुआत की। पहले संस्करण में ही रामकी पैड़ी पर रिकार्ड एक लाख 87 हजार दीप जले। पुष्पक विमान के प्रतीक हेलीकाप्टर से सरयू तट पर राम, सीता एवं लक्ष्मण के स्वरूप उतरे। योगी ने सरयू तट पर ही स्थित मुक्ताकाशीय रंगमंच रामकथापार्क में भगवान राम के स्वरूप का तिलक किया।

पहली बार में ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड हुई शामिल

इसके बाद प्रत्येक संस्करण के साथ दीपोत्सव की यह परिपाटी स्वर्णिम शिखर की ओर उन्मुख है। दूसरा संस्करण उत्सव की परिपाटी को शिखर प्रदान करने वाला बना। पूर्व के कार्यक्रमों का पूरी गरिमा से पालन किए जाने के साथ प्रज्ज्वलित दीपों की संख्या तीन लाख 11 हजार तक जा पहुंची और सर्वाधिक दीप जलने के साथ रामनगरी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुई।

सुदर्शन पटनायक जैसे शीर्ष कलाकार ने सरयू की रज से भगवान राम और हनुमान की मनोहारी मूर्ति बनाई। मुख्य अतिथि के तौर पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की पत्नी किम युंग सूक की मौजूदगी एवं रामकथा पार्क के मंच से इंडोनेशिया, थाईलैंड, मॉरीशस, श्रीलंका आदि देशों के कलाकारों की रामलीला पर आधारित प्रस्तुति से आयोजन की व्यापकता परिभाषित हुई।

भव्यता के उच्च प्रतिमान स्थापित 

दीपोत्सव का तीसरा संस्करण भव्यता के और उच्च प्रतिमान स्थापित करने वाला बना। इस बार रामकी पैड़ी परिसर में एक साथ चार लाख से अधिक दीप रोशन हुए। चौथे दीपोत्सव में पैड़ी परिसर में ही छह लाख छह हजार दीप जलाए गए। जबकि एक लाख 51 हजार दीप 15 अन्य पौराणिक स्थलों पर प्रज्ज्वलित किए गए। दीपोत्सव का पांचवा संस्करण उत्सवधर्मिता का और भी नया अध्याय प्रशस्त करने वाला सिद्ध हुआ। इस बार कुल नौ लाख 41 हजार दीप दीप जलाए गए।

जबकि दीपोत्सव के छठें संस्करण में अकेले पैड़ी परिसर में ही 15 लाख दीप जलाए गए। जबकि संपूर्ण नगरी में जलाए जाने वाले दीपों की संख्या 18 लाख से अधिक थी। इस बार 21 लाख दीपों के साथ अयोध्या के दीपोत्सव को लगातार छठवीं बार गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज कराने की तैयारी है। इतनी बड़ी संख्या में दीपों को प्रज्वलित करने की जिम्मेदारी 25 हजार स्वयंसेवियों को सौंपी गयी है।

इनमें से अधिकांश अवध विश्वविद्यालय के छात्र हैं। वे अनुशासन एवं समर्पण की मिसाल बनकर बुधवार से ही दीप संयोजन की तैयारी में लग गए हैं। पहले दिन ही 24 लाख दीप जलाए जाने के लक्ष्य के सापेक्ष पैड़ी परिसर में 17 से 18 लाख दीप यथास्थान संयोजित कर दिए गए। दीपोत्सव का मुख्य आयोजन 11 अक्टूबर को है।

जलाए जाएंगे 1.51 लाख गोबर से बने दीए

पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट कर उन्हें 1.51 लाख गोबर से बने दीपक (गोदीप) भेंट किए। यह गोदीप अयोध्या दीपोत्सव में जगमगाएंगे। पशुधन मंत्री ने सभी विधायकों व विधान परिषद सदस्यों से भी अपील की है कि वह गोदीप जलाकर लक्ष्मी-गणेश पूजन करें और अपने क्षेत्र के लोगों को भी गोबर से बने गोदीप एवं लक्ष्मी गणेश की पूजा के लिए प्रोत्साहित करें।

धर्मपाल सिंह ने प्रदेश की जनता से भी अपील की है कि मिट्टी के दीपकों के साथ-साथ गाय के पवित्र गोबर से बने दीपकों से दीपावली का पर्व मनाया जाए। उन्होंने कहा है कि भारतीय सभ्यता और आस्था के अनुसार गाय पूजनीय एवं दर्शनीय है इसलिए उन्हें "गौ माता" कहा जाता है।

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