Ram Mandir: गर्भगृह में प्रतिष्ठित होंगे काले पत्थर से बने राम के बालस्वरूप, ट्रस्ट महासचिव चंपतराय ने मूर्ति के बारे में किया इशारा
कारसेवकपुरम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान चंपतराय ने कहा कि स्थापना के लिए रामलला की तीन मूर्तियां निर्मित कराई गई हैं। इनमें से दो श्यामवर्णी शिला से निर्मित हैं और एक संगमरमर से। इससे स्पष्ट हो गया है कि संगमरमर से निर्मित मूर्ति के गर्भगृह में स्थापित होने की संभावना नहीं है। रामलला के विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में 11 दंपती यजमान की भूमिका का निर्वहन करेंगे।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में रामलला की स्थापित होने वाली मूर्ति के बारे में अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने शनिवार को इसका संकेत कर दिया। उन्होंने कहा कि जो मूर्ति स्थापित होगी, वह पांच वर्ष के बालक की छवि तथा राजपुत्र की गरिमा के अनुरूप होगी। यह काले पत्थर से निर्मित की गई है।
भूतल में अकेले रामलला की मूर्ति स्थापित होगी
कारसेवकपुरम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान चंपतराय ने कहा कि स्थापना के लिए रामलला की तीन मूर्तियां निर्मित कराई गई हैं। इनमें से दो श्यामवर्णी शिला से निर्मित हैं और एक संगमरमर से। इससे स्पष्ट हो गया है कि संगमरमर से निर्मित मूर्ति के गर्भगृह में स्थापित होने की संभावना नहीं है। चंपतराय ने दोहराया कि भूतल में अकेले रामलला की मूर्ति स्थापित होगी, किंतु प्रथम तल पर श्रीराम के साथ सीता, तीनों भाई एवं हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित होगी। चंपतराय ने अपना यह संदेश 'एक्स' पर भी साझा किया है।
प्राण प्रतिष्ठा पूजन में होंगे 11 यजमान, कई ट्रस्टी भी शामिल
रामलला के विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में 11 दंपती यजमान की भूमिका का निर्वहन करेंगे। इसमें विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरएन सिंह सहित ट्रस्ट के कुछ सदस्यों के भी नाम शामिल हैं। हालांकि अभी यजमानों के नामों की औपचारिक घोषणा होनी शेष है। ट्रस्ट से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि एक दो नहीं बल्कि इस पूजा में 11 यजमान होंगे। वाराणसी से आचार्यों के आगमन के साथ ही यजमानों के नामों पर चर्चा होने लगी है। इन यजमानों को लगभग 10 दिन तक कुछ नियमों का पालन करना होगा।यजमानों को बाहरी भोजन व धूम्रपान त्यागना होगा
काशी के विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरि को पत्र भेजकर यजमानों के लिए कुछ नियमों का उल्लेख किया है। इसके मुताबिक, यजमानों को नित्य सुबह स्नान करना होगा। बाहरी भोजन व धूमपान त्यागना होगा। पुरुष यजमान सिला हुआ सूती वस्त्र नहीं पहनेंगे। पत्नियां लहंगा, चोली जैसी सिले वस्त्र पहन सकेंगी। स्वेटर, ऊनी, शाल, कंबल धारण कर सकेंगे।
नित्य का पूजन करने के पहले यजमान फलाहार कर सकते हैं। गरम व शीतल शुद्ध जल ग्रहण कर सकते हैं। नित्य पूजन के बाद दिन में फलाहार किया जा सकेगा। शयन आरती के बाद सात्विक भोजन, सेंधा नमक का प्रयोग कर सकेंगे। हल्दी, राई, सरसों, उड़द, मूली, बैंगन, लहसुन, प्याज, मदिरा, मांस, अंडा, तेल से बना पदार्थ, गुड़, भुजिया, चावल, चना वर्जित है। औषधि व तांबूल ले सकते हैं।
भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकेंगे
खाने पीने की चीजें भगवान को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकेंगे। दोपहर में पहले ब्राह्मणों को भोजन करा कर यजमान को भोजन करना होगा। चारपाई पर बैठना सोना वर्जित है। पुरुष व महिला को आसन के लिए कंबल का प्रयोग करना होगा। संपूर्ण कार्य होने के पहले रोजाना बिछौना पर बैठना तथा नित्य दाढ़ी व नख निकालना वर्जित है।
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