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Ayodhya News : नहीं होगी भूमि की दाखिल खारिज, एसडीएम ने लगाई रोक- इस वजह से लिया गया फैसला

एसडीएम ने बताया कि विक्रय की गई भूमि की दाखिल खारिज पर रोक लगा दी गयी है। संज्ञान में आया है 16 सितंबर 2005 को खतौनी में दर्ज आदेश में महंत को प्रबंधक दर्शाया गया। मामले में तहसीलदार न्यायालय को गुमराह किया गया। दैनिक जागरण ने जब इस मामले को उजागर किया तो तहसीलदार ने आदेश को निरस्त करते भूमि को फिर से आश्रम के नाम दर्ज कर दिया था।

By prahlad tiwari Edited By: Mohammed Ammar Updated: Mon, 02 Sep 2024 06:29 PM (IST)
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एसडीएम ने बेची गई आश्रम की भूमि के दाखिल खारिज पर रोक लगा दी है।
संसू, जागरण रुदौली (अयोध्या) कूटरचना कर बेची गई बरौली स्थित पौराणिक हुलास आश्रम की भूमि का मामला अब तूल पकड़ रहा है। कूटरचना करने वाले महंत व अन्य लोगों पर कार्रवाई न होने से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। ग्रामीणों की शिकायत पर तहसील प्रशासन ने संशोधन आदेश को निरस्त कर दिया था। अब एसडीएम ने बेची गई आश्रम की भूमि के दाखिल खारिज पर रोक लगा दी है।

ग्रामीणों ने किया है वाद दाखिल

उधर ग्रामीणों ने कूट रचना कर महंत रामचन्दर दास की तरफ से विक्रय की गई भूमि का बैनामा निरस्त करने के लिए वाद दाखिल किया गया है। बरौली के हुलास आश्रम के नाम लगभग 87 बीघा जमीन दर्ज है। यहां के महंत रामचन्दर दास ने राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर आश्रम की भूमि को अपने नाम दर्ज करा लिया था। इस मामले में तहसीलदार न्यायालय को गुमराह किया गया। दैनिक जागरण ने जब इस मामले को उजागर किया तो तहसीलदार ने आदेश को निरस्त करते भूमि को फिर से आश्रम के नाम दर्ज कर दिया था।

एसडीएम प्रवीण यादव ने बताया कि विक्रय की गई भूमि की दाखिल खारिज पर रोक लगा दी गयी है। संज्ञान में आया है कि 16 सितंबर 2005 को खतौनी में दर्ज आदेश में महंत को प्रबंधक दर्शाया गया। 15 मार्च 2008 को उक्त आदेश को संशोधित कराते हुए प्रबंधक शब्द को अभिलेखों से हटा दिया गया। इन दोनों संशोधन आदेशों की भी जांच की जा रही है।

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