Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर के निर्माण की गति फिर होगी तेज, बढ़ाई जाएगी श्रमिकों की संख्या
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में तेजी लाने के लिए श्रमिकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में लगभग 1600 श्रमिक कार्य कर रहे हैं लेकिन मंदिर के स्तंभों पर मूर्तियों की आइकनोग्राफी के लिए कुशल श्रमिकों की आवश्यकता है। कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टुब्रो श्रमिकों की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों से संपर्क साधेगी। यदि समय रहते श्रमिक नहीं बढ़ाए गए तो कार्य जून 2025 तक पूर्ण नहीं हो पाएगा।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। करोड़ों सनातनियों की आकांक्षाओं के अनुरूप राम मंदिर का निर्माण फिर से तेज करने के लिए श्रमिकों की संख्या शीघ्र बढ़ाई जाएगी। कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टुब्रो श्रमिकों की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों से संपर्क साधेगी। अभी छुट्टी पर घर गए श्रमिकों की वापसी की प्रतीक्षा की जा रही है। सोमवार से श्रमिक आने शुरू हो जाएंगे। कार्यदायी संस्था के अभियंताओं का कहना है कि मंदिर निर्माण में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होने से कुछ अड़चन आ रही है, लेकिन इसे शीघ्र समाप्त कर लिया जाएगा।
लगभग 70 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर में छह देवी-देवताओं व सप्तर्षियों के मंदिरों के साथ राम मंदिर के मुख्य शिखर व परकोटे का निर्माण चल रहा है। इसी बीच दीपावली का पर्व आ जाने से बड़ी संख्या में श्रमिक अवकाश पर चले गए तो कार्य बंद नहीं हुआ, पर प्रभावित जरूर हो गया। मंदिर निर्माण समिति की बैठक आहूत हुई तो समीक्षा में श्रमिकों की संख्या अपर्याप्त मिली और राम मंदिर सहित समस्त कार्यों की गति एक माह पीछे पाई गई।
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1800 कुशल श्रमिकों की है आवश्यकता
इस कारण माना गया कि यदि समय रहते श्रमिक नहीं बढ़ाए गए तो कार्य जून 2025 तक पूर्ण नहीं हो पाएगा। समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने निर्माण की डेडलाइन तीन माह बढ़ाते हुए सितंबर 2025 तो कर दिया है, लेकिन एलएंडटी को श्रमिक बढ़ाने को कहा गया है।
निर्माण में जुटे अभियंता बताते हैं कि समस्त कार्यों को समय पर पूर्ण करने के लिए लगभग 1800 कुशल श्रमिकों की आवश्यकता है। वर्तमान में लगभग 1600 श्रमिक कार्य कर रहे थे। इन्हीं में से बड़ी संख्या में श्रमिक छुट्टी पर गए हैं। इनके समय पर वापस आ जाने के बाद बाधा खत्म हो जाएगी। सोमवार से राजस्थान, मध्य प्रदेश व गुजरात के श्रमिक लौटने लगेंगे। इनके अलावा लगभग 200 श्रमिक और बढ़ाए जाएंगे।
कार्यदायी संस्था के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि मंदिर के स्तंभों पर मूर्तियों की आइकनोग्राफी (नक्काशी) बारीक कार्य होने के कारण इसमें कुशल श्रमिक की ही आवश्यकता है। इस कारण थोड़ी बाधा आ रही है। उधर, समीक्षा में कम मोटाई के मिले पत्थरों को शीघ्र बदल कर 25 से 30 मिलीमीटर वाले लगा दिए जाएंगे। कुछ स्थानों पर 15 से 20 मिमी. मोटाई वाले पत्थर लगे होने से अध्यक्ष ने इन्हें बदलने को कहा है। यद्यपि यह दीवार में नहीं, बल्कि छत में बताया जा रहा है।
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