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Ayodhya Ram Mandir: भक्तों के माथे पर अब नहीं लगेगा चंदन, चरणामृत देने पर भी पाबंदी; पढ़ें क्या-क्या बदलाव हुए

राम मंदिर में राम भक्तों के माथे पर अब चंदन नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही चरणामृत देने पर भी पाबंदी लगाई गई है। मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने बताया कि ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र ने उन्हें व अन्य पुजारियों को चंदन लगाने और दक्षिणा लेने से रोका है। भक्तों से दक्षिणा दानपेटिका में ही डलवाने के लिए कहा गया है।

By durga parshad srivastava Edited By: Aysha Sheikh Published: Fri, 21 Jun 2024 08:48 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2024 08:48 PM (IST)
राम भक्तों के माथे पर अब नहीं लगेगा चंदन - जागरण

लवलेश कुमार मिश्र, अयोध्या। नव्य, भव्य व दिव्य मंदिर में विराजमान प्रभु श्रीराम का दर्शन-पूजन करने आने वाले भक्तों के माथे पर अब तिलक नहीं लगेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तत्काल प्रभाव से गर्भगृह के पुजारियों को ऐसा करने से रोक दिया है। साथ ही चरणामृत देने पर भी पाबंदी लगा दी है। अब पुजारियों को मिलने वाली दक्षिणा भी दानपेटिका में रखी जाएगी। ट्रस्ट के इस निर्णय से पुजारियों में रोष है। मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने पुष्टि करते हुए कहा कि ट्रस्ट के निर्णय का पालन किया जाएगा।

भव्य मंदिर में अपने आराध्य के विराजमान होने के बाद 22 जनवरी से ही रामनगरी में प्रतिदिन विभिन्न प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। वह प्रभु श्रीराम के दर्शन के साथ उनके अति करीब जाकर पूजन करने को उत्सुक रहते हैं। यद्यपि मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए ट्रस्ट ने विभिन्न प्रकार की गाइडलाइन जारी की है, परंतु भक्तगण येन-केन-प्रकारेण निकट से भगवान का दर्शन करना चाहते हैं हैं।

इस लालसा में हर कोई वीआइपी दर्शन करने को उत्सुक रहता है। साधारण दर्शन करने वाले भक्तों को पंक्तिबद्ध करके बैरिकेडिंग के अंतर्गत दर्शन कराया जाता है, लेकिन वीआइपी दर्शन करने वाले भक्तों को कुछ और निकट से रामलला के दर्शन का अवसर मिलता है। यहां दर्शन के पश्चात पुजारियों की ओर से उनके मस्तक पर चंदन लगा कर और चरणामृत देकर उन्हें अभिषिक्त किया जाता था।

इससे प्रफुल्लित भक्तगण गर्भगृह के पुजारियों को दान-दक्षिणा दे देते थे। इससे पुजारियों को वेतन के अतिरिक्त आय हो जाती थी। ट्रस्ट ने तत्काल प्रभाव से इसे रोकते हुए पुजारियों से कहा है कि वे भक्तों के माथे पर चंदन न लगाएं और चरणामृत भी न दें। यदि कोई भक्त दान-दक्षिणा दे तो उसे स्वयं न लेकर दानपेटिका में डलवाएं। ट्रस्ट के इस निर्णय के प्रति पुजारियों में रोष है। यद्यपि सभी पुजारी इस निर्देश का पालन करने को तैयार हैं।

गर्भगृह में हैं मुख्य अर्चक सहित दो दर्जन पुजारी 

गर्भगृह में मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास सहित लगभग दो दर्जन पुजारी हैं। ये अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। इनमें पांच पुराने और 21 नए सहायक अर्चक हैं। मुख्य अर्चक को ट्रस्ट प्रतिमाह 35 हजार रुपये और सहायक अर्चकों को 33 हजार रुपये देता है।

ट्रस्ट के सदस्य ने चंदन लगाने से रोका है : सत्येंद्रदास

मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने दैनिक जागरण को बताया कि ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र ने उन्हें व अन्य पुजारियों को चंदन लगाने और दक्षिणा लेने से रोका है। कहा है कि चंदन लगाना चाहें तो लगा सकते हैं, पर भक्तों से दक्षिणा दानपेटिका में ही डलवाएं। इससे पहले उन्होंने चरणामृत देने से भी रोका था। ट्रस्ट का निर्णय है तो जरूर पालन होगा।

मेरा नहीं, ट्रस्ट का सामूहिक निर्णय : डा. अनिल

ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र ने कहा, कोई भी निर्णय व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक रूप से लिया जाता है। मैंने ट्रस्ट के सामूहिक निर्णय के अंतर्गत ही ऐसा करने को कहा है।

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