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रामलला की श्रेष्ठतम मूर्त‍ि की गर्भगृह में होगी प्राण-प्रतिष्ठा, जान‍िए अन्‍य दो प्रत‍िमाओं का क्‍या होगा...?

Ram Mandir Ayodhaya राम मंद‍िर में रामलला की श्रेष्ठतम मूर्त‍ि की गर्भगृह में प्राण-प्रतिष्ठा होगी। जबक‍ि अन्‍य आकार ले रही दो मूर्त‍ियों को भी 75 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर में ही स्थापित किया जाएगा। बता दें क‍ि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुरोध पर तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार इसी वर्ष अप्रैल माह से अयोध्या में ही रामलला की मूर्तियां गढ़ रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Fri, 06 Oct 2023 11:37 AM (IST)
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Ram Mandir: रामलला की श्रेष्ठतम मूर्त‍ि की गर्भगृह में होगी प्राण-प्रतिष्ठा
रघुवरशरण, अयोध्या। नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में 15 से 24 जनवरी के बीच संयोजित प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के बीच रामलला की एक मूर्ति स्थापित की जाएगी, किंतु स्थापना के लिए तीन मूर्तियां निर्मित हो रही हैं। इसमें से जो श्रेष्ठतम होगी, उसे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। बाकी दो मूर्तियों का क्या होगा, इसके लिए बहुत चिंता किए जाने की जरूरत नहीं है।

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य एवं विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष कामेश्वर चौपाल कहते हैं, हम सनातनधर्मी हैं और श्रीराम के अनन्य अनुरागी हैं। ऐसे में इतने यत्न से तैयार की जा रहीं रामलला की मूर्तियों की अवमानना का कोई सवाल ही नहीं उठता। यह ठीक है कि तीन में से जो श्रेष्ठतम मूर्ति होगी, उसकी ही स्थापना गर्भगृह में संभव होगी। तथापि रामलला की बाकी दो मूर्तियों से भी पूरा न्याय होगा। इ

नकी भी प्राण प्रतिष्ठा होगी और नियमित पूजा-सेवा सुनिश्चित होगी और उन्हें 75 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर में ही स्थापित किया जाएगा। इसी माह सात एवं आठ तारीख को प्रस्तावित रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में स्थापना के लिए श्रेष्ठतम मूर्ति का चयन किया जाएगा। बैठक में यह भी तय कर लिया जाएगा कि रामलला की बाकी दो मूर्तियां कहां स्थापित की जाएं।

दिग्गज मूर्तिकार गढ़ रहे रामलला की मूर्ति

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुरोध पर तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार इसी वर्ष अप्रैल माह से अयोध्या में ही रामलला की मूर्तियां गढ़ रहे हैं। मूर्तियां गढ़ने वाले मूर्तिकारों में कर्नाटक के गणेश भट्ट एवं अरुण योगीराज तथा राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय हैं। गणेश भट्ट कर्नाटक की नेल्लिकारू चट्टान (काले पत्थरों) से मूर्ति बना रहे हैं।

नेल्लिकारू चट्टानों को श्याम शिला या कृष्ण शिला के रूप में भी जाना जाता है। उनका रंग भगवान राम एवं कृष्ण की तरह श्यामवर्णी है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज कर्नाटक से ही प्राप्त एक अन्य चट्टान से मूर्ति बना रहे हैं। यह चट्टान भी श्रीराम के अनुरूप श्यामवर्णी है। सत्यनारायण पांडेय मकराना के संगमरमर से रामलला की मूर्ति गढ़ रहे हैं।

रामलला की मूर्ति मुंबई के प्रसिद्ध कलाकार वासुदेव कामथ द्वारा बनाए गए रेखाचित्र पर आधारित है। उन्होंने इसी वर्ष के आरंभ में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को रामलला के पेंसिल से बने कुछ स्केच यानी रेखाचित्र भेंट किए थे। कर्नाटक के करकला नामक कस्बे में जन्मे कामथ मुंबई में पले-बढ़े। उनकी रामायण श्रृंखला की 28 पेंटिंग विश्व स्तर पर प्रशंसित हैं। कामथ पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित अपनी पेंटिंगों के लिए जाने जाते हैं।

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