रामनगरी के साथ बदलेगी भरत की तपोभूमि, 50 करोड़ की लागत से त्रेतायुगीन अरण्य की अनुभूति कराएगी यह विरासत
Ayodhya News राम मंदिर के साथ ही रामनगरी का चौतरफा विकास चल रहा है। इसी क्रम में श्रीराम के अनुज भरत की तपोभूमि को स्वर्णिम बनाने का ब्लूप्रिंट भी तैयार है। यह वही स्थल है। जहां भरत ने 14 वर्षों तक तपस्या की थी। इसी स्थल से भगवान राम के वन जाने के बाद भरत ने तपस्यारत रहते हुए अयोध्या का राज्य संचालित किया था।
प्रमोद दुबे, अयोध्या। राम मंदिर के साथ ही रामनगरी का चौतरफा विकास चल रहा है। इसी क्रम में श्रीराम के अनुज भरत की तपोभूमि को स्वर्णिम बनाने का ब्लूप्रिंट भी तैयार है। यह वही स्थल है। जहां भरत ने 14 वर्षों तक तपस्या की थी। इसी स्थल से भगवान राम के वन जाने के बाद भरत ने तपस्यारत रहते हुए अयोध्या का राज्य संचालित किया था।
अब भव्य राम मंदिर व रामनगरी की तरह इस स्थल के भी कायाकल्प के लिए 50 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है। कायाकल्प से भरतकुंड स्वर्णिम अतीत के अनुरूप विकसित होगा, जो श्रद्धालुओं को त्रेतायुगीन अरण्य की अनुभूति कराएगा।
शासन की तरफ से भरतकुंड की सीमा में भव्य भरत द्वार के अलावा नंदीग्राम के राम-भरत मिलाप मंदिर से भरतकुंड के सौ मीटर लंबे व 40 मीटर चौड़े क्षेत्र में भरत के जीवन से जुड़े छह प्रमुख प्रसंगों को उत्कीर्ण करने का खाका तैयार किया गया है।
तपोभूमि के जीर्णोद्धार को लेकर वर्ष 2020 में सांसद लल्लू सिंह ने प्रस्ताव सौंपा था। उसके बाद शासन की तरफ से स्थल की महत्ता को देखते हुए प्रस्तावित योजना को मंजूरी दी गई है। स्थल को विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण व माडल तैयार करने की जिम्मेदारी विकास प्राधिकरण को दी गई है। तैयार माडल में स्थल को आकार देने के लिए कुल 25 एकड़ भूमि की जरूरत है। इस स्थल का परिसर पहले से ही 20 एकड़ से अधिक भूक्षेत्र में विस्तृत है।
माडल में मानव शरीर की तरह ग्रीन कारीडोर होगा फुटपाथ
मंदिर से सरोवर तक बनने वाले सौ मीटर के फुटपाथ को मानव शरीर की तरह बनाया जाएगा। शरीर में होने वाली नाड़ी इड़ा व पिंगला के साथ शरीर में पाए जाने वाले छह चक्रों के चिह्नित स्थान पर भरत और श्रीराम के प्रसंग उत्कीर्ण किए जाएंगे। उसी में नव ग्रह वाटिका व 27 नक्षत्रों के प्रतीक पौधों से युक्त नक्षत्र वाटिका विकसित करने को लेकर पूर्व में ही सांसद और प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ चर्चा हो चुकी है।
होंगी दस कुटियां व हवनकुंड
संयोजित अरण्य में तपोभूमि के अनुरूप दस कुटियां व बीच में हवनकुंड भी बनेगा, जिससे दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु अरण्य वास के साथ हवन-पूजन भी कर सकेंगे। इसके अलावा कायाकल्प के लिए प्रस्तावित माडल में भरत गुफा मंदिर को शामिल किया गया है। गया वेदी के पास घाटों पर गुलाबी पत्थर, शौचालय, यात्री विश्रामालय का निर्माण चल रहा है, जबकि मार्ग चौड़ा हो चुका है।
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