अयोध्या में बस गया तंबुओं का सुंदर शहर, 15 से 20 हजार लोगों के ठहरने का है प्रबंध; जानें कब से शुरू होगा संचालन, क्या मिलेंगी सुविधाएं
तीर्थ क्षेत्र पुरम के व्यवस्था प्रमुख और विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री गजेंद्र सिंह के अनुसार 10 जनवरी से आवासन व्यवस्था संचालित हो जाएगी। 22 जनवरी के बाद हम शैया की संख्या बढ़ाएंगे ताकि फरवरी तक अतिथियों को कोई परेशानी न हो। कारसेवक पुरम में तो अस्थायी नगरों का संचालन प्रारंभ भी हो गया है। यहां एक हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था है।
पवन तिवारी/प्रवीण तिवारी, अयोध्या। ओ अभ्यागत...करते स्वागत...इस शिविर नगर में अभिनंदन। अयोध्या की सनातन परंपरा रही है अतिथियों के सत्कार की चिंता। तभी तो रामनगरी के भीतर शिविर नगर बसे हैं। एक नहीं अनेक। इन अस्थायी नगरों में 15 से 20 हजार लोगों के भोजन-आवासन का प्रबंध रहेगा।
सबसे पहले आपको ले चलते हैं बाग बिजेसी के तीर्थ क्षेत्र पुरम। उपनगर सा है यह। इस उपनगर के भीतर छह लघु नगर हैं। व्यवस्थापक इन लघु नगरों को नगर की ही संज्ञा देते हैं। इन नगरों का नामकरण भी है। उन विभूतियों के नाम, जो राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी रहे। महंत परमहंस रामचंद्र दास नगर, महंत अवेद्यनाथ नगर, स्वामी वामदेव नगर, मोरोपंत पिंगले नगर, ओंकार जी नगर, अभिरामदास नगर। तीर्थ क्षेत्र पुरम में छह भोजनालय हैं।
पेयजल के लिए 11 पंप। कमरों में अटैच स्नानागार के अलावा 200 शौचालय बाहर की ओर भी हैं। इस नगर में 1200 कक्षों में 3600 शैया हैं। यानी एक कक्ष में तीन। दो नगर ऐसे हैं, जिनमें सिर्फ डारमेट्री हैं। इनमें चार हजार अतिथियों के रहने की व्यवस्था है। एक ऐसी डारमेट्री भी है जिसमें 1600 लोग ठहर सकेंगे।
तीर्थ क्षेत्र पुरम के भीतर महंत रामचंद्र दास परमहंस जी नगर- जागरण
तीर्थक्षेत्र पुरम में सतों का नगर अलग है। यही नहीं, अतिथियों के वाहन लाने वाले चालकों के लिए 500 शैया की डारमेट्री अलग है। इसके अलावा व्यवस्था देखने वाले वालंटियर्स के लिए अलग डारमेट्री है।तीर्थ क्षेत्र पुरम के व्यवस्था प्रमुख और विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री गजेंद्र सिंह के अनुसार 10 जनवरी से आवासन व्यवस्था संचालित हो जाएगी। 22 जनवरी के बाद हम शैया की संख्या बढ़ाएंगे, ताकि फरवरी तक अतिथियों को कोई परेशानी न हो।
कारसेवक पुरम में तो अस्थायी नगरों का संचालन प्रारंभ भी हो गया है। यहां एक हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। अभी यहां 400 लोग ठहरे भी हैं। इनमें उत्तराखंड से रामलीला मंचन के लिए आए 248 सदस्यों का दल और व्यवस्था संभाल रहे लगभग 100 कार्यकर्ता भी हैं।
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