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आज पूरी होगी चिर अभिलाषा, प्राण प्रतिष्ठा पर पढ़िए सीएम योगी का आलेख

CM Yogi Article रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर आलेख लिखकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मन भाव को प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपरांत अयोध्याधाम विश्वभर के रामभक्तों पर्यटकों शोधार्थियों जिज्ञासुओं के स्वागत के लिए तत्पर है। इस भव्य समारोह में श्रीरामलला के समक्ष यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे।

By Yogi Adityanath Edited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 22 Jan 2024 11:03 AM (IST)
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आज पूरी होगी चिर अभिलाषा, प्राण प्रतिष्ठा पर पढ़िए सीएम योगी का आलेख

योगी आदित्यनाथ, लखनऊ। सगुन होंहि सुंदर सकल मन प्रसन्न सब केर। प्रभु आगवन जनाव जनु नगर रम्य चहुं फेर।।

शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद आज चिर अभिलाषा पूरी होने का वह क्षण आया है, जिससे पूरे देश की आत्मा झंकृत है, आनंदित है, मुदित है। हो भी क्यों न, अपने रामलला को उनके भव्य घर में देखना जन-जन का अभीष्ट पूरा होना है और इस कारण पूरा भारत विभोर और भाव विह्वल है। सनातन संस्कृति के प्राण रघुनंदन राघव रामलला अपनी जन्मभूमि अवधपुरी में नव्य-भव्य-दिव्य मंदिर में अपने भक्तों के भावों से भरे संकल्प स्वरूप सिंहासन पर प्रतिष्ठित होंगे, तो मानो पीढ़ियों का संघर्ष और पूर्वजों का व्रत सफल होगा। इसीलिए अयोध्या में आज जैसे पूरा विश्व सिमट आया है। 33 कोटि के देवता अपने ईष्ट की अगवानी को तैयार हैं। हर आंख आनंदित और भीगी है। अवधपुरी में गूंज रहा श्रीराम का उद्घोष आकाश तक गुंजायमान है।

इस भव्य समारोह में श्रीरामलला के समक्ष यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे। अयोध्या धाम में लघु भारत के दर्शन होंगे। पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रमी संवत 2080 सोमवार को वह शुभ घड़ी 12 बजकर पांच मिनट से शुरू होगी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी श्याम वर्ण की अलौकिक बाल रूप धारी दिव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान होंगे। उनके साथ राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डा. मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति समारोह को गौरवमयी बनाएगी।

देश में यह पहला अवसर है, जबकि 150 परंपराओं के संतगण और सभी विधाओं के श्रेष्ठ 25 हजार लोग एक ही परिसर में एकत्र होंगे। 12 बजकर 55 मिनट पर रामलला का सुशोभित रूप से सभी के समक्ष होगा। करोड़ों आखें इसकी साक्षी होंगी और समय मानो थम जाएगा। राष्ट्र में ऐसे समवेत उल्लास और आनंदमय वातावरण का दूसरा उदाहरण हाल की कई शताब्दियों में देखने को नहीं मिलता। अयोध्या गौरवान्वित है कि उसे शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, अकाली, निरंकारी, गौड़ीय, कबीरपंथी सहित सभी धर्म, संप्रदाय और परंपराओं के स्वागत का अवसर मिला है।

जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि, उत्तर दिसि बह सरजू पावनि।

जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा, मम समीप नर पावहिं बासा।।

प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला के अधिवास की सारी परंपराएं पूरी हो चुकी हैं। यह ईश्वरीय कृपा है कि मैं प्रभु ने इस कार्य का निमित्त मुझे बनाया। हर उस व्यक्ति पर प्रभु की कृपा है जो इस सदी के सबसे बड़े यज्ञ का कारक बना और जिसने इसे देखा। भावनाओं का ज्वार प्रवाहमान है। हर जिह्वा पर राम-राम है। समूचा राष्ट्र राममय है। इसी दिन की प्रतीक्षा में दर्जनों पीढ़ियां अधूरी कामना लिए धराधाम से साकेतधाम को प्रस्थान कर गई।

आज श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा भर नहीं हो रही, अपितु लोक आस्था व जनविश्वास भी पुनर्प्रतिष्ठित हो रहा है। अपने खोए हुए गौरव की पुनर्प्राप्ति कर रामनगरी विभूषित हो रही है। न्याय व सत्य के संयुक्त विजय का उल्लास अतीत की कटु स्मृतियों को विस्मृत कर नए कथानक रच रहा है। यह पावन बेला समाज में समरसता की सुधा सरिता प्रवाहित कर रही है।

अवधपुरी प्रभु आवत जानी, भई सकल सोभा के खानी।

बहइ सुहावन त्रिबिध समीरा, भई सरजू अति निर्मल नीरा।।

श्रीराम का नाम ही पूरे देश को एक सूत्र में बांध सकता है और इसे श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति महायज्ञ की यात्रा में सबने देखा। इस यज्ञ ने न केवल सनातन आस्था तथा विश्वास को और बढ़ाया बल्कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना जागरण के ध्येय में भी सफल सिद्ध हुआ। देश के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी। संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पांति, विचार-दर्शन, पंथ-उपासना पद्धति से ऊपर उठकर रामकाज के लिए स्वयं का उत्सर्ग किया।

कौसल्यादि मातु सब मन अनंद अस होइ।

आयउ प्रभु श्री अनुज जुत कहन चहत अब कोइ।।

देश में राजनीति, विज्ञान, उद्योग, खेल, कला, संस्कृति, साहित्य के श्रेष्ठ विद्वानों का यहां एकत्र होना अभूतपूर्व है। पहली बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों तथा द्वीपों के वासी भी यहां आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता की ओर से मैं पावन अयोध्याधाम आने वाले सभी अतिथियों का हृदय से अभिनंदन करता हूं।

  • 12:05 बजे दोपहर से शुरू होगी प्राण प्रतिष्ठा की शुभ घड़ी
  • 12:55 बजे दोपहर तक चलेगा प्राण प्रतिष्ठा का समारोह
  • 33 कोटि के देवता अपने ईष्ट की अगवानी को तैयार

रामभक्तों, पर्यटकों और शोधार्थियों के स्वागत के लिए अयोध्याधाम तत्पर

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपरांत अयोध्याधाम विश्वभर के रामभक्तों, पर्यटकों, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं के स्वागत के लिए तत्पर है। इसी उद्देश्य के साथ प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार अयोध्यापुरी में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। अयोध्या की पंचकोसी, 14 कोसी तथा 84 कोसी परिक्रमा की परिधि में आने वाले सभी धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों के पुनरुद्धार का कार्य त्वरित गति से हो रहा है। यह प्रयास सांस्कृतिक संवर्धन, पर्यटन को प्रोत्साहन तथा रोजगार के अवसर भी सृजित करने वाले हैं।

मेरे निजी जीवन के लिए भी आनंद का अवसर

22 जनवरी 2024 का यह दिन मेरे निजी जीवन के लिए भी सबसे बड़े आनंद का अवसर है। यह रामजन्मभूमि मुक्ति का संकल्प ही था, जिसने मुझे पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का पुण्य सान्निध्य प्राप्त कराया। आज मेरे दादागुरु ब्रह्मलीन महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज और पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज एवं अन्य पूज्य संतगण भौतिक शरीर से साक्षी नहीं बन पा रहे, किंतु निश्चित ही उनकी आत्मा को असीम संतोष की अनुभूति हो रही होगी। मेरा सौभाग्य है कि जिस संकल्प के साथ मेरे पूज्य गुरुजन आजीवन संलग्न रहे, उसकी सिद्धि का मैं साक्षी बन रहा हूं।

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