अयोध्या में कमरा बुक कराने के नाम पर एक और साइबर ठगी, पुणे की महिला ने गंवाए 30 हजार रुपये
Ayodhya News अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद कमरा बुक कराने के नाम पर साइबर ठगी के मामले बढ़ गए हैं। जानकी महल और बिड़ला धर्मशाला के नाम पर सबसे ज्यादा धोखाधड़ी हो रही है। देश भर के श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग के चक्कर में ठगे जा रहे हैं। प्रतिष्ठानों को पत्र भेजकर भुक्तभोगी अपनी व्यथा बता रहे हैं।
रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या। पुणे निवासी अंजना हेडलकर की इच्छा थी कि वे परिवार के साथ राम मंदिर आकर रामलला का दर्शन करेंगी। अपनी इस कामना को लेकर उन्होंने यहां कमरा बुक कराने के लिए गूगल का सहारा लिया। गूगल पर उन्हें श्री जानकी महल ट्रस्ट का प्रचार दिखाई दिया। मनोनुकूल व्यवस्थाएं पढ़ कर उन्होंने 30 हजार रुपये में ऑनलाइन कमरे रिजर्व कराए। इस प्रक्रिया तक गूगल पर उपलब्ध नंबर ने सही कार्य किया, लेकिन पेमेंट के बाद अंजना ने जब सत्यापन के लिए पुन: उसी नंबर पर फोन किया, तो वह बंद मिला। इसके बाद उनके पांवों तले से जमीन खिसक गई।
साइबर ठगी में डूबी धनराशि वापस न मिलने पर उन्होंने जानकी महल ट्रस्ट कार्यालय को पत्र भेज कर अपनी व्यथा के साथ शिकायत दर्ज कराई। सिर्फ अंजना ही नहीं जयपुर के अनिल सिंह सहित ऐसे कई श्रद्धालु साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं, जिन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामनगरी आने के लिए ऑनलाइन कमरा बुक कराया था।
ऑनलाइन बुकिंग नहीं करता ट्रस्ट
जानकी महल ट्रस्ट के ट्रस्टी आदित्य सुलतानिया के अनुसार उनका ट्रस्ट कमरों के लिए ऑनलाइन बुकिंग नहीं करता है। फिर भी संस्था के नाम पर जनवरी से अब तक आठ माह में 400 लोग ठगे जा चुके हैं। इन सभी ने गूगल से सर्च कर कमरा बुक कराने के लिए ऑनलाइन भुगतान किया था।जानकी महल ट्रस्ट के बाद दूसरी संस्था रामजन्मभूमि संपर्क मार्ग के ठीक सामने स्थित बिड़ला धर्मशाला है, जिसके नाम पर आनलाइन कमरा बुक कराने के नाम सर्वाधिक ठगी हो रही है। वास्तविकता यह है कि ये दोनों ही प्रतिष्ठान ऑनलाइन कमरों की बुकिंग करते ही नहीं है। बिड़ला धर्मशाला के लेखाकार वेणु गोपाल के अनुसार प्रतिदिन सात-आठ लाेग ऐसे आते हैं, जो ऑनलाइन कमरा बुक कराने के नाम पर ठगी का शिकार होते हैं। मजबूरी में उन्हें वापस करना होता है। साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं को लेकर महादेवी बिड़ला धर्मशाला चैरिटेबल ट्रस्ट ने गत फरवरी माह से अग्रिम बुकिंग भी बंद कर दी है। जरूरतमंद व्यक्ति कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर ही कक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
शिकायत के बाद भी बढ़ रहीं घटनाएं
होटल बुकिंग के नाम पर श्रद्धालुओं के साथ ठगी के कई मामले पहले भी प्रकाश में आ चुके है। साइबर सेल में इसकी शिकायत भी भुक्तभोगियों ने पूरे प्रमाण के साथ की, लेकिन न ही अपराधी पकड़े गए और न ठगी की धनराशि ही वापस हुई। साइबर अपराधियों के इस दांव के आगे पुलिस की साइबर सेल भी धराशायी दिखाई पड़ती है।पहले तो प्राथमिकी दर्ज नहीं होती यदि दर्ज भी हो जाए तो उसकी लंबी विवेचना में भुक्तभोगियों की उम्मीदें दम तोड़ देती हैं। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार रामनगरी में आनलाइन होटल बुक कराने के अधिकांश मामले गैर प्रांतों के होते हैं। इसलिए संबंधित थाने पर ही प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए। कोतवाली अयोध्या में जनवरी से अब तक करीब 12 मुकदमे इसी तरह के दर्ज हो चुके हैं, जिनकी विवेचना चल रही है।
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