ऋष्यमूक पर्वत पर राम पहुंचे तो वहां से शुरू हुआ उनका सफरब्रह्माजी के पुत्र जामवंत का रामायण में ऋष्यमूक पर्वत से रोल शुरू हुआ। वहां धनुष बाण से सुसज्जित दो युवक वन में चले आ रहे थे। सुग्रीव ने कहा यह दोनों कौन हो सकते हैं कहीं दुश्मन तो नहीं। इस पर उनका पहला डायलाग था कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती...
जितेंद्र उपाध्याय, भदोही।
जून 1985 में शुरू हुए धारावाहिक रामायण के प्रमुख पात्र श्रीराम यानि अरुण गोविल, लक्ष्मण बने सुनील लहरी को अयोध्या से श्रीराम मंदिर उद्घाटन अवसर पर उपस्थित रहने का निमंत्रण मिल चुका है।
इस सीरियल के रामादल के बुद्धिमान व बलशाली माने जाने वाले पात्र जामवंत यानि भदोही के हरिहरपुर निवासी राजशेखर उपाध्याय को भी अयोध्या के आमंत्रण की प्रतीक्षा है। उन्होंने कहा कि श्रीराम का बुलावा आ जाए तो उनका जीवन धन्य हो जाए।
1982 में दूरदर्शन पर विक्रम बेताल नामक सीरियल आता था। इसे निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर का प्रोडक्शन हाउस बना रहा था। राजशेखर उपाध्याय इसमें दगेड़ू का सपना कहानी में कंवरजीत सिंह पेंटल के साथ सपना देखने वाले दगड़ू का अभिनय इन्होंने किया था।
इसी दौरान रामानंद सागर ने रामायण सीरियल की रूपरेखा बनाई। रामचरित मानस की चौपाई सुनाते हुए कहते हैं- जामवंत कह सुनु रघुराया, जा पर नाथ करहुं तुम्ह दाया। ताहि सदा शुभ कुसल निरंतर, सुर नर मुनि प्रसन्नता ऊपर।। नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी, सहसहु मुख न जाई सो बरनी। पवनतनय के चरित सुहाए, जामवंत रघुपतिहि सुनाए।।
यह कहते हुए वे भावुक हो गए। बोले प्रभु की ही कृपा थी उन्हें राष्ट्रीय फलक पर प्रसिद्ध मिली।
ऋष्यमूक पर्वत पर राम पहुंचे तो वहां से शुरू हुआ उनका सफर
ब्रह्माजी के पुत्र जामवंत का रामायण में ऋष्यमूक पर्वत से रोल शुरू हुआ। वहां धनुष बाण से सुसज्जित दो युवक वन में चले आ रहे थे।
सुग्रीव ने कहा यह दोनों कौन हो सकते हैं, कहीं दुश्मन तो नहीं। इस पर उनका पहला डायलाग था कि, हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती..., हनुमानजी को रूप बदलकर उनकी पहचान को भेजा कि यह दोनों कौन हैं। जामवंत यानि राजशेखर की बुलंद आवाज में यह डायलाग इतना प्रसिद्ध हुआ कि वे देश भर में जाने-पहचाने जाने लगे।
श्रीराम के पात्र को अरुण गोविल का हुआ चयन
बताते हैं कि श्रीराम का किरदार निभाने को आडिशन के बाद अभिनेता कुणाल का पहले चयन हुआ लेकिन बाद में अरुण गोविल इसके लिए सबसे उत्तम साबित हुए। एक-एक कर अन्य पात्रों का चयन हुआ। जामवंत के रोल के लिए आये तमाम कलाकारों में कोई भी संस्कृत में लिखा आधे पेज का डायलाग नहीं बोल नहीं पा रहा था, ऐसे में उन्होंने पहली ही बार में पूरा डायलाग बोल दिया तो रामानंद सागर ने उन्हें गले लगा लिया और जामवंत का रोल दे दिया।
बुलंद आवाज से ही उनकी अलग ही पहचान बनी। उस दौरान इस सीरियल में सबसे ज्यादा पैसा लेने वाले कलाकार दारा सिंह व सुमंत का रोल करने वाले को मिल रहा था। बाकी किरदारों का मेहनताना निश्चित नहीं था। जो मिल जाता वह उनका था, कोई कलाकार इस सीरियल के लिए कुछ मांगता भी नहीं था।
27 साल के थे जब निभाया यह रोल
अब 68 के हो गए
राजशेखर बताते हैं कि जामवंत की भूमिका निभाने के दौरान उनकी उम्र 27 साल की थी। उस दौरान मजबूत शरीर, बुलंद आवाज थी। अब वह 68 साल के हो गए हैं। कहा कि उनका रोल उत्तर रामायण के बाद समाप्त हुआ था। वैसे वह तमाम सीरियल, फिल्म में काम कर चुके हैं। अब स्वास्तिक प्रोडेक्शन भी पुन: रामायण बना रहा है। इसमें भी अभिनय रहेगा।
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