Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा समारोह में यजमान होंगे डॉ. रवींद्र नारायण सिंह… कौन हैं ये शख्स, लंदन से ली है डिग्री
पांच सदी के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के केंद्र विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष होंगे। आगामी 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के यजमान विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र नारायण सिंह होंगे। वह 14 जनवरी के बाद यहां आएंगे। वह पूजन में सपत्नीक सम्मिलित होंगे। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य ने इसकी पुष्टि की है।
नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या। पांच सदी के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के केंद्र विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष होंगे। आगामी 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के यजमान विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र नारायण सिंह होंगे। वह 14 जनवरी के बाद यहां आएंगे। वह पूजन में सपत्नीक सम्मिलित होंगे। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य ने इसकी पुष्टि की है।
कौन हैं डाॅ. आरएन सिंह?
डाॅ. आरएन सिंह बिहार के सहरसा जिले के गोलमा के मूल निवासी हैं। डॉ. आरएन सिंह ऑर्थो सर्जन हैं और पटना में रह कर प्रैक्टिस करते हैं। वह पद्मश्री से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। उन्होंने लंदन से एफआरसीएस की डिग्री प्राप्त की है। हालांकि, कुछ और लोग भी सपत्नीक यजमान बन सकते हैं, लेकिन उनके नाम अभी सामने नहीं आए हैं। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की योजना है कि यजमान के रूप में समाज के प्रत्येक वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। इसमें सबसे पहले विहिप अध्यक्ष डॉ. आरएन सिंह का नाम सामने आया है।
प्रधानमंत्री समेत 7000 लोग होंगे शामिल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश भर के करीब सात हजार प्रतिष्ठित लोग सम्मिलित होंगे। भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के लिए बुधवार से कुंड बनाए जाएंगे। अनुष्ठान के लिए कुल नौ कुंड बनाए जाएंगे। इसके लिए मंडप भी तैयार किए गए हैं।
16 जनवरी से आरंभ होगा पूजन
कुंड निर्माण के विशेषज्ञ पंडित दत्तात्रेय नारायण रटाटे के निर्देशन में कुंड बनाए जाएंगे। वह सांगवेद महाविद्यालय वाराणसी के आचार्य हैं। उनके साथ ही गजानन जोधकर, अरुण दीक्षित, सुनील दीक्षित व अनुपम दीक्षित यहां रहेंगे। सभी कुंड दो गुणे दो फीट के होंगे।प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन 16 जनवरी से आरंभ होगा। 16 जनवरी को मां सरयू का पूजन किया जाएगा। इस दौरान आचार्यगण अनुष्ठान के लिए सामग्री आदि का प्रबंध देखेंगे। अनुष्ठान में प्रयुक्त होने वाली सामग्री भी अलग-अलग प्रांतों से आई है। उदाहरण के तौर पर तीर्थों का जल, महाराष्ट्र से समिधा लाई गई है। इसके लिए ट्रस्ट ने अलग से स्टोर भी बनाया है।यह भी पढ़ें: वाह! रामलला के स्वागत में… 13 हजार फीट से कूदी अनामिका, पूरी दुनिया में हो रही चर्चा; बचपन में ही कमा लिया था नाम
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