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Exclusive: भजन गायिका Tripti Shakya का इंटरव्यू, बॉलीवुड के नजरिए पर की बात; राम मंदिर के लिए बेझिझक PM को दिया क्रेडिट

Exclusive प्रख्यात भजन गायिका तृप्ति शाक्या ने श्री राम के लिए एक प्यारा सा भजन सुनाया। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में गुप्तार घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आयी तृप्ति शाक्या से जागरण ने बातचीत की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्रेडिट दिया। उन्होंने राम मंदिर पर बॉलीवुड के नजरिए पर भी बात की।

By Rajesh Kumar Srivastava Edited By: Swati Singh Updated: Sat, 20 Jan 2024 04:18 PM (IST)
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भजन Tripti Shakya का इंटरव्यू, बॉलीवुड के नजरिए पर की बात

संवाद सूत्र, अयोध्या। भगवान राम मंदिर में विराज रहे हैं। यह एक युगांतरकारी पल है। राम का स्थान मन में है। वे साधना का केंद्र हैं। ये कहना है बॉलीवुड की प्रख्यात भजन गायिका तृप्ति शाक्या का। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में गुप्तार घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आयी तृप्ति शाक्या से जागरण ने बातचीत की।

उनसे कई सवाल किए गए और उन्होंने उसके जवाब दिए हैं... प्रस्तुत है प्रमुख अंश:

प्रश्न- भगवान राम कुछ घंटों में मंदिर में विराजेंगे। कैसा महसूस कर रही हैं?

उत्तर - यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। इस पल के लिए 500 वर्ष संघर्ष हुआ। यह उसकी अद्भुत परिणति है। प्रभु राम भव्य मंदिर में भव्यता और दिव्यता से विराज रहे हैं, यह प्रतिष्ठा की बात है। सदियों पुरानी तपस्या पूरी हो रही है। यह तपस्या प्रभु राम ने भी की। प्रभु का 500 वर्षों का वनवास अब खत्म हो रहा है। बहुप्रतीक्षित सपना साकार हो रहा है।

प्रश्न- बॉलीवुड इस समारोह को कैसे देखता है?

उत्तर- बॉलीवुड हो  या टालीवुड, सब बहुत खुश हैं। सारे सिंगर्स और एक्टर्स में उत्साह है। देश-दुनिया में हर्ष का माहौल है। माहौल राममय है। हर ओर जय श्रीराम का उद्घोष सुनाई दे रहा है। लोग उत्साहित हैं। ये गौरव का विषय है। राम और रामायण के पात्रों से हमारा ऐसा जुड़ाव है, जिसे अनुभव किया जा सकता है। शब्दों में व्यक्त करना आसान नहीं।

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प्रश्न- कुछ लोग कहते हैं कि इसका श्रेय लेने की राजनीतिक कोशिश हो रही है। इस पर क्या सोचती हैं?

उत्तर- जो कार्य करेगा, श्रेय भी उसे ही मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। राम मन का विषय और आस्था का केंद्र हैं। वे तर्क का विषय नहीं हैं। आस्था तर्क से परे है। इसलिए मंदिर निर्माण में सक्रिय योगदान का क्रेडिट तो पीएम मोदी को ही जाता है। इसका श्रेय किसी और को क्यों! इस पर सवाल उठाना ही नासमझी है।

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प्रश्न- अनेक विपक्षी दल इस समारोह में नहीं आ रहे हैं। इस पर क्या कहेंगी?

उत्तर- जिसे भगवान चाहेंगे, बुलाएंगे, वे ही आ पाएंगे। ऐसे आयोजनों की अपनी गरिमा है। उस पर सवाल कैसा!

प्रश्न- भावी पीढ़ी से क्या कहेंगी?

उत्तर- 'घड़ी सुंदर है अब आयी, कि मंदिर राम आये हैं। जो सदियों से था एक सपना, अवध में राम आये हैं।' युवा अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के लिए आगे आएं। राम हमारे रोम रोम में हैं। वे प्रभु राम की विरासत को सहेजने में योगदान करें।

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