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Ayodhya: प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का पहला दिन आज, 7 दिनों इन 50 वैदिक क्रियाओं के सहगामी बनेंगे यजमान; पूरी डिटेल

अनुष्ठान का प्रारंभ यजमान के स्नान से होगा। यजमान डॉ मिश्र शुद्धोदक (सरयू जल) के साथ गाय के दूध दही घी गोबर गोमूत्र भस्म कुशोदक (कुश मिश्रित जल) पंचगव्य से स्नान करेंगे। गोबर से उनका दो बार स्नान होगा।इसके बाद पंचगव्य के प्राशन (चखने) से उनका व्रत आरंभ हो जाएगा। मंगलवार शाम चार बजे रामघाट स्थित विवेक सृष्टि ट्रस्ट परिसर में रखी रामलला की प्रतिमा का कर्मकुटी संस्कार होगा।

By Navneet Srivastava Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 16 Jan 2024 03:24 PM (IST)
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Ayodhya: प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का पहला दिन आज

नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या। पांच सदी और डेढ़ अरब लोगों में सबसे सौभाग्यशाली डॉ अनिल मिश्र व उनकी पत्नी ऊषा मिश्रा प्रथम यजमान के रूप में मंगलवार से भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान पर बैठ गए हैं। 22 जनवरी तक यजमान करीब 50 वैदिक प्रक्रियाओं के सहगामी बनेंगे। 

अनुष्ठान का प्रारंभ यजमान के स्नान से होगा। यजमान डॉ मिश्र शुद्धोदक (सरयू जल) के साथ गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र, भस्म, कुशोदक (कुश मिश्रित जल), पंचगव्य से स्नान करेंगे। गोबर से उनका दो बार स्नान होगा।इसके बाद पंचगव्य के प्राशन (चखने) से उनका व्रत आरंभ हो जाएगा।

मंगलवार शाम चार बजे रामघाट स्थित विवेक सृष्टि ट्रस्ट परिसर में रखी रामलला की प्रतिमा का कर्मकुटी संस्कार होगा। विशेष बात यह है कि मूर्तिकार अरुण योगीराज भगवान की प्रतिमा समर्पित करने से पहले आचार्यों से प्रतिमा को अंतिम रूप देख कर आग्रह करेंगे कि यदि कोई कमी हो तो तो वह अभी उसे दूर कर सकते हैं।

यह प्रक्रिया शास्त्रों में निहित है। भगवान को सरयू जल से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद यजमान और आचार्यगण भगवान के नेत्रों पर पट्टी बांधेंगे, जिसे 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खोलेंगे।

17 जनवरी के अनुष्ठान: जलयात्रा, तीर्थ पूजन, कलश पूजन, कलशयात्रा। रामलला की प्रतिमा का परिसर में भ्रमण।

18 जनवरी के अनुष्ठान: पुजारी प्रधान संकल्प, गणेशांबिका पूजन, वरुण पूजन, मातृ का पूजन, सप्तधृतमातृ का पूजन, आयुष्य मंत्रजप, नंदी श्राद्ध, आचार्यादिऋत्विग्वरण, मधुपर्कपूजन, मंडप प्रवेश, दिग्दर्शन, मंडप वास्तु पूजन, वास्तु बलिदान, मंडप सूत्रवेष्टन, दुग्धधारा, जलधाराकरण, षोडष स्तंभ पूजन, षोडशस्तम्भ पूजन व जलाधिवास, गंधादिवास।

19 जनवरी के अनुष्ठान: गणपति आदि स्थापित देवता पूजन (स्थापन क्रमेण), वेद पारायण, देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुंड पूजन, पंचभूसंस्कार, अग्नि प्राकट्य, अग्निस्थापन, ग्रह स्थापना, असंख्यातरुद्र-पीठ-स्थापन, प्रधान स्थापना, वरुणमंडल, योगिनी मंडल स्थापना, क्षेत्रपाल मंडल स्थापना, ग्रहहोम, स्थाप्य देव होम, प्रसाद वास्तु शांति, धान्याधिवास।

20 जनवरी के अनुष्ठान: नित्यपूजन-हवन-पारायण आदि कार्य, प्रातः शर्कराधिवास, फलाधिवास, 81 कलशों के औषधीय जल से सर्पण, प्रसाद अभिषेक, पिंडिकाधिवास, पुष्पाधिवास।

21 जनवरी के अनुष्ठान: नित्यपूजन-हवन-पारायण आदि कार्य, प्रातः माधवाधिवास, मूर्तिस्त्रपन, महापूजा, प्रसाद परिक्रमा, शय्याधिवास, तत्वन्यास, महान्यासदि, शांतिक-पौष्टिक- अघोर-व्यातिहोम, रात्रि जागरण।

22 जनवरी के अनुष्ठान: नित्यपूजन-हवन-पारायण आदि कार्य, देवप्रबोधन, प्रतिष्ठा पूर्व कृत्य, देव प्राण प्रतिष्ठा, महापूजा, आरती, प्रसादोत्सर्ग, पूर्णाहुति, कर्मेश्वररार्पणम्, ब्राह्मण भोजन, प्रैषात्मक पुण्याहवाचन, आशीर्वाद, कर्म समाप्ति।

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