Gandhi Jayanti Special: गांधी जी दो बार अयोध्या आए, सरयू में स्नान किया; बापू का रामनगरी कनेक्शन
बापू के निधन के कुछ ही दिनों बाद संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष एवं बाद में आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ कई अन्य कांग्रेस पदाधिकारी बापू की अस्थियां लेकर अयोध्या आए थे। बापू के अस्थि विसर्जन की स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए सरयू तट पर ही गांधी ज्ञान मंदिर की स्थापना की गई।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Mon, 02 Oct 2023 06:45 AM (IST)
जागरण संवाददाता, अयोध्या: स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र महात्मा गांधी आराध्य की नगरी के प्रति भी आस्थावान थे। वह न सिर्फ दो बार अयोध्या आए बल्कि, सरयू स्नान कर रामनगरी के प्रति अपनी आस्था अर्पित की थी। हालांकि, अयोध्या यात्रा के दौरान भी उनका ध्येय भारत की स्वतंत्रता ही था और इसी क्रम में उन्होंने यहां सभा भी की थी।
जालपा देवी मंदिर के करीब मैदान में सभा की थी
जयंती पर यह जानना रोचक है कि दो बार की यात्रा में महात्मा जी का दिन किस प्रकार यहां बीता। महात्मा जी सबसे पहले यहां वर्ष 1921 में राष्ट्रव्यापी दौरे के क्रम में आए थे। वह 20 फरवरी को रामनगरी पहुंचे। उन्होंने जालपा देवी मंदिर के करीब मैदान में सभा की थी।
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तत्समय न तो यातायात के पर्याप्त साधन थे, न ही वर्तमान की भांति संचार व्यवस्था, लेकिन जिले में उनके कदम रखने से लेकर सभास्थल तक पहुंचने तक उनकी एक झलक पाने की मार्ग के दोनों ओर खड़े लोगों की उत्सुकता चरम पर थी। सभा के बाद धारा रोड स्थित बाबू शिवप्रसाद की कोठी में बापू ने रात्रि विश्राम किया था।
अगले दिन भोर में उन्होंने सरयू में स्नान किया था। इसके बाद वर्ष 1929 में विभिन्न प्रांतों का दौरा करते हुए बापू दूसरी बार भी अयोध्या आए थे। निधन के उपरांत बापू की अस्थियां देश की जिन चुनिंदा पवित्र नदियों में विसर्जित की गई, उनमें से एक सरयू भी थी।
बापू के निधन के कुछ ही दिनों बाद संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष एवं बाद में आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ कई अन्य कांग्रेस पदाधिकारी बापू की अस्थियां लेकर अयोध्या आए थे। बापू के अस्थि विसर्जन की स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए सरयू तट पर ही गांधी ज्ञान मंदिर की स्थापना की गई। उनकी स्मृतियों को सहेजने के लिए सिविल लाइंस में गांधी पार्क की भी स्थापना की गई।
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