लल्लू सिंह ने नहीं किए थे हनुमानजी के दर्शन…; अयोध्या के लोगों पर फूटा भाजपा की हार का ठीकरा तो मिला ये जवाब
रामनगरी की शीर्ष पीठ दशरथ महल के पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य इंटरनेट मीडिया पर छिड़े उस अभियान से बेहद दुखी हैं जिसके तहत भाजपा की पराजय के लिए रामनगरी को कलंकित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव में किसी की जय और किसी की पराजय न केवल आम बात है बल्कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी पक्ष अथवा व्यक्ति को चुनने की स्वतंत्रता नागरिकों का मौलिक अधिकार है।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। कोई कह रहा है कि अयोध्या वासियों ने सीता पर भी संदेह किया तो कोई कह रहा कि अयोध्या जाएंगे तो प्रसाद-पानी लेकर जाएंगे। लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार को लेकर लोग तरह-तरह के कटाक्ष रामनगरी पर कर रहे हैं। इस दोषारोपण से अयोध्या आहत है।
रामनगरी की शीर्ष पीठ दशरथ महल के पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य इंटरनेट मीडिया पर छिड़े उस अभियान से बेहद दुखी हैं, जिसके तहत भाजपा की पराजय के लिए रामनगरी को कलंकित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चुनाव में किसी की जय और किसी की पराजय न केवल आम बात है, बल्कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी पक्ष अथवा व्यक्ति को चुनने की स्वतंत्रता नागरिकों का मौलिक अधिकार है। ऐसे में फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की पराजय का ठीकरा अयोध्या और यहां के लोगों पर फोड़ा जाना अलोकतांत्रिक एवं अन्यायपूर्ण है।
प्रोटोकॉल से ऊब गई थी जनता
जानकीघाट के महंत जन्मेजयशरण याद दिलाते हैं कि भाजपा प्रत्याशी ने स्वयं कोई प्रयास नहीं किया, वह कहीं वोट मांगने नहीं गए, हनुमानजी का दर्शन तक करने नहीं आए। उनकी पराजय का दूसरा पहलू यह है कि यहां आए दिन सत्ताधीशों के आगमन के प्रोटोकॉल का बोझ भाजपा से ऊबन पैदा करने वाला रहा। अयोध्या के लोगों को अपने ही नगर में बेगाना बन जाना पड़ा।
आरएसएस से पूछें- क्यों हारे
बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेशदास दो टूक कहते हैं कि अयोध्या को लांछित करने वालों को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, विहिप और आरएसएस से पूछना चाहिए कि अयोध्या में भाजपा को क्यों पराजित होना पड़ा। हम तो अयोध्या को लंबे समय से जिताते रहे हैं। इस बार भी लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से अयोध्या ही ऐसी है, जिसने भाजपा प्रत्याशी को सफलता दिलाई।भाजपा की पराजय से अयोध्या व्यथित
पत्थर मंदिर के महंत मनीषदास ने कहा, अयोध्या पर आक्षेप लगाने की जगह यहां का दर्द साझा किया जाना चाहिए। हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत कृष्णकुमारदास के अनुसार, भाजपा की पराजय से अयोध्या पहले से ही व्यथित थी और भाजपा को हराने के आक्षेप से तो अयोध्या का दर्द असह्य हो गया है।
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