रोमांच से भरी है यूपी के इस सीट की सियासत, आम चुनावों का प्रमुख किरदार रहा है ये कद्दावर नेता; 20 साल बाद की थी शानदार वापसी
इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री को दो लाख 11 हजार 525 मत व मित्रसेन को एक लाख 57 हजार 315 मत मिले थे। वह कुल दो बार संसद सदस्य निर्वाचित हुए हैं। 2024 में गठबंधन के कारण यह सीट सपा के खाते में चली गई। इस वजह से वह चुनाव मैदान में नहीं हैं। पहली बार वह 1984 में संसद सदस्य निर्वाचित हुए थे।
प्रवीण तिवारी, अयोध्या। यहां की सियासी पट्टी रोमांच से भरी पड़ी है। जनता ने लोकसभा चुनाव में कभी बेहद करीबी मुकाबला देखा तो कभी एक तरफा मुकाबले भी सामने आए। अस्सी के दशक से अब तक हुए अधिकांश आम चुनावों में मित्रसेन यादव, निर्मल खत्री, विनय कटियार व लल्लू सिंह प्रमुख किरदार रहे।
इनके बीच सिमटे मुकाबले आज भी लोगों की जुबान पर हैं। इन सभी ने लोकसभा चुनाव में कभी जीत दर्ज की तो कभी हार का मुंह देखा। होने जा रहे 2024 के लोकसभा चुनाव में पिछले चुनावों के इन नायकों की खूब चर्चा हो रही है। इसमें निर्मल खत्री ही अलहदा किरदार हैं, जिन्होंने लंबे अंतराल के बाद भी लोकसभा पहुंचने का कीर्तिमान बनाया है।
20 वर्ष बाद बेहतरीन वापसी
हार मिलने के बाद भी उन्होंने दो दशक तक नियमित रूप से सौम्य अंदाज से सियासी पारी को संवारा। जब उन्हें 2009 में मौका मिला तो उन्होंने उसे बखूबी भुनाया। 20 वर्ष बाद बेहतरीन वापसी की। लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और संसद पहुंचे। इस चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी मित्रसेन यादव को हराया था।इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री को दो लाख 11 हजार 525 मत व मित्रसेन को एक लाख 57 हजार 315 मत मिले थे। वह कुल दो बार संसद सदस्य निर्वाचित हुए हैं। 2024 में गठबंधन के कारण यह सीट सपा के खाते में चली गई। इस वजह से वह चुनाव मैदान में नहीं हैं।
पहली बार वह 1984 में संसद सदस्य निर्वाचित हुए थे। आठवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री ने सीपीआइ प्रत्याशी मित्रसेन यादव को हराया था। इसमें निर्मल खत्री को एक लाख 73 हजार 152 मत व मित्रसेन को 68 हजार 660 मत मिले थे।
इसके बाद 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में मित्रसेन यादव ने कांग्रेस के निर्मल खत्री को अत्यंत रोमांचक व नजदीकी मुकाबले में हराया था। इसके अलावा निर्मल खत्री आधा दर्जन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।राजनीति के शुरुआती दौर में निर्मल खत्री कांग्रेस के टिकट पर ही 1980 में विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए व प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बने थे। बाद में वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।
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