UP News सात साल में दो बार मरने वाले व्यक्ति की कहानी हैरान करने वाली है। पहली बार 2010 में और दूसरी बार 2017 में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस बीच उनकी सारी संपत्ति दूसरे के नाम हो गई। अब वह अपने आप को जीवित साबित करने और अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रमोद दुबे,
अयोध्या।
सात वर्ष में एक व्यक्ति की दो बार मृत्यु हो गई। पहली बार वर्ष 2010 में जबकि दूसरी बार ठीक सात साल बाद 2017 में। जीवित रहते हुए अपनी मौत की जानकारी होने पर वृद्ध के पैरों के तले से जमीन खिसक गयी। इस बीच उसकी पूरी प्रापर्टी दूसरे के नाम अंकित हो चुकी थी।
वह स्वयं को जीवित सिद्ध करने व प्रापर्टी अपने नाम वापस पाने के लिए वर्षों अधिकारियों के सामने पेश होकर सफाई देता रहा। दोनों बार की मौत का प्रमाणपत्र भी बना हुआ है। यह कुचक्र कृष्ण कुमार के भतीजे की तरफ से चाचा की संपत्ति हड़पने के लिए रचा गया।
2010 में जारी हुआ था पहला मृत्युप्रमाण पत्र
शहर के आचार्य नगर नाका निवासी कृष्णकुमार अग्रवाल का पहला मृत्यु प्रमाण पत्र सीएचसी मसौधा से जारी हुआ है। यह प्रमाणपत्र दस अगस्त वर्ष 2010 को जारी किया गया, जिस पर सावित्री सिंह रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु का हस्ताक्षर है। इस प्रमाणपत्र में कृष्ण कुमार की मौत की तिथि 19 जुलाई 2010 दर्शायी गई है।
दूसरा मृत्यु प्रमाणपत्र उसी नाम और पते पर एक अगस्त 2017 को नगर निगम से जारी हुआ है। इसमें कृष्ण कुमार के मृत्यु की तिथि 22 जुलाई 2017 अंकित है।
अपना मृत्यु मृत्यु प्रमाणपत्र बनने की जानकारी कृष्ण कुमार को अपनी प्रापर्टी पर लोन लेने के लिए खतौनी निकालने के बाद हुई। अपने जीवित होने का प्रमाण देते-देते कृष्णकुमार ने जुलाई 2017 में दम तोड़ दिया। उसके बाद उनके पुत्र अंबुज अग्रवाल पिता की संपत्ति पाने के लिए प्रमाणपत्र को फर्जी साबित कराने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन सावित्री सिंह के हस्तक्षर से 2010 में मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ था, उन्होंने ही तीन अक्टूबर 2022 को लिख कर दिया कि उनकी तरफ से कोई प्रमाणपत्र नहीं जारी किया गया है और उनके दस्तखत भी नही हैं।
इसके आधार पर दस अक्टूबर 2023 को तहसीलदार न्यायिक और 16 जुलाई 2024 को अपर उप जिलाधिकारी सदर ने आदेश जारी कर प्रभात कुमार के नाम से दर्ज कृष्णकुमार अग्रवाल की प्रापर्टी को उनकी पत्नी सुधा, पुत्र अंबुज और नितिन अग्रवाल के नाम पर वापस कर दिया।
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