350 मुस्लिमों के साथ रामलला के दर्शन करने पहुंचे राजा रईस और शेर अली खान, कहा- ऐसा कर के हम सभी काफिर…
UP News - राजा रईस और प्रांत संयोजक शेर अली खान लखनऊ से छह दिन की पदयात्रा करके 350 मुस्लिम श्रद्धालुओं के साथ दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचे थे। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुड़े मुस्लिम श्रद्धालुओं के साथ यात्रा में मंच की सीता रसोई भी चल रही थी जो श्रद्धालुगण के जलपान और भोजन की सात्विक व्यवस्था कर रही थी।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। 350 मुस्लिम श्रद्धालु छह दिन की पदयात्रा कर मंगलवार को लखनऊ से अयोध्या रामलला के दर्शन को पहुंचे। दल का नेतृत्व राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय संयोजक राजा रईस और प्रांत संयोजक शेर अली खान ने किया। दर्शन के बाद सभी श्रद्धालुओं की आंखों में गर्व के आंसू और जिह्वा पर श्रीराम का नाम था।
राजा रईस और प्रांत संयोजक शेर अली खान लखनऊ से छह दिन की पदयात्रा करके 350 मुस्लिम श्रद्धालुओं के साथ दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचे थे। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुड़े मुस्लिम श्रद्धालुओं के साथ यात्रा में मंच की सीता रसोई भी चल रही थी, जो श्रद्धालुगण के जलपान और भोजन की सात्विक व्यवस्था कर रही थी।
इस तरह लखनऊ से अयोध्या के बीच के लगभग 150 किलोमीटर की दूरी को इस दल ने छह दिनों में पूरा किया। इस दौरान हर 25 किलोमीटर के बाद यात्रा एक पूर्व निर्धारित स्थान पर रात्रि विश्राम के लिए रुकती थी और फिर अगली सुबह निकल पड़ती थी।
इस तरह छह दिनों के अथक परिश्रम के बाद फटे जूते, जख्मी और छालों से भरे पैरों के साथ श्रद्धालुओं ने आखिरकार श्रीराम को पा लिया, उनके विग्रह का दर्शन कर।
राम हम सभी के पूर्वज थे, हैं और रहेंगे
मंच के मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि इमाम ए हिंद श्रीराम के दर्शन का यह पल उनके पूरे जीवनकाल के लिए सुखद स्मृति के रूप में रहेगा।मंच के संयोजक राजा रईस ने कहा कि राम हम सभी के पूर्वज थे, हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मुल्क, हमारी सभ्यता, हमारा संविधान नहीं सिखाता है आपस में बैर रखना। अगर कोई अलग धर्म का इंसान किसी अलग धर्म के इबादतगाह या पूजास्थल पर चला जाए, तो इसका मतलब यह कतई नहीं मानना चाहिए कि उसने खुद का धर्म और मजहब छोड़ दिया है।
अगर उमेर इलियासी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शिरकत करने गए या हम सभी 350 मुस्लिम श्रद्धालु दर्शन करने आए, तो देश और इंसानियत का सम्मान करते हुए मान बढ़ाने आए। ऐसा कर के हम सभी काफिर नहीं हो गए, कोई जुर्म नहीं किया। बल्कि इस देश की मिल्लत मोहब्बत संस्कृति को मजबूत करने का काम किया है।
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