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Ram Mandir Ayodhya: प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व रात्रि में शीशम के पलंग पर शयन करेंगे रामलला, 21 जनवरी की रात में संपन्न होगा शैय्याधिवास

Ram Mandir ट्रस्ट ने इस पलंग को अयोध्या में ही निर्मित कराया है। इसके अलावा भगवान के लिए गद्दा रजाई चादर व तकिया भी खरीदे गए हैं। वस्त्र भी तैयार हैं। इसी अधिवास के दौरान कुश से भगवान के ह्दय काे स्पर्श कर न्यास वाचन कर संबंधित पूजन प्रक्रिया भी संपन्न कराई जाती है। बाद में सुबह उन्हें विधिवत जागरण कराने के बाद सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाता है।

By Praveen Tiwari Edited By: Vinay Saxena Updated: Mon, 08 Jan 2024 07:46 PM (IST)
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22 जनवरी को मध्य दिवस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा होगी।
प्रवीण तिवारी, अयोध्या। रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पहले विधिवत पूजन अर्चन करने की तैयारी हो रही है। उनके विग्रह की जीवन कारक द्रव्यों के अलावा शैय्या अधिवास की विशेष योजना है। इस प्रक्रिया में रामलला को शीशम केे नवनिर्मित पलंग पर शयन कराया जाएगा। ट्रस्ट ने इस पलंग को अयोध्या में ही निर्मित कराया है। इसके अलावा भगवान के लिए गद्दा, रजाई, चादर व तकिया भी खरीदे गए हैं। वस्त्र भी तैयार हैं।

इसी अधिवास के दौरान कुश से भगवान के ह्दय काे स्पर्श कर न्यास वाचन कर संबंधित पूजन प्रक्रिया भी संपन्न कराई जाती है। बाद में सुबह उन्हें विधिवत जागरण कराने के बाद सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाता है। शैय्या अधिवास 21 जनवरी को रात्रि में होगा। 22 को मध्य दिवस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा होगी।

वाराणसी से आए वैदिक आचार्यों के अनुसार सिंहासन (आसन) पर पहले कूर्म शिला व स्वर्ण से निर्मित कच्छप़़, ब्रहा शिला का भी अधिवास होता है। तीन पिंडिका भी रखी जाएंगी।

आचार्यों के अनुसार इसके अलावा भगवान के आसन के ठीक नीचे श्रीराम यंत्र की प्रतिष्ठा की जाएगी, जिस तरह भूमि पूजन में पांच शिलाओं के साथ अलग- अलग द्रव्य रखे जाते हैं, उसी तरह रामलला के आसन का भी पूजन किया जाएगा।

आसन के नीचे रखे जाएंगे कुल 45 द्रव्‍य

आसन के नीचे कुल 45 द्रव्य रखे जाएंगे। इसमें नौ रत्नों में हीरा, पन्ना, मोती माणिक्य, पुखराज व लहसुनिया, मूंगा, नीलम, गोमेद के अलावा पारा, सप्त धान्य व विविधि औषधियां हैं। यह प्रकिया पूर्ण होने के बाद नवीन विग्रह को आसान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा।

इसी के बाद गोघृत व शहद मिश्रण से युक्त स्वर्ण शलाका से भगवान के नेत्र उन्मीलित किये जाएंगे। भगवान को दर्पण दिखाया जाएगा। तंत्र, मंत्र व यंत्र तीन विधाओं से भगवान की अर्चना की प्रक्रिया संपन्न होगी।

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