Move to Jagran APP

Ram Mandir: संघर्षों के महानायक प्रभु श्रीराम... सनातन और भारत के शौर्य का विराट प्रदर्शन है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा

Ram Mandir अवधपुरी में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा सही अर्थों में भारतीय अस्मिता और गौरव का सुअवसर है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम वर्तमान परिवेश में भारतीय स्वाभिमान और विजय के प्रतीक बनकर प्रतिष्ठापित हो रहे हैं। वर्तमान परिवेश में राम की प्रासंगिकता कहीं अधिक दिखती है। वैश्विक पटल पर भारत की पहचान विश्वगुरु की तरह पुनर्स्थापित करने में राम का प्रभुत्व आकर्षण का जरिया बन सकता है।

By Jagran News Edited By: Mohd Faisal Updated: Sat, 20 Jan 2024 01:31 PM (IST)
Hero Image
Ram Mandir: सनातन और भारत के शौर्य का विराट प्रदर्शन है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (फोटो एएनआई)
Ayodhya Ram Mandir: अवधपुरी में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा सही अर्थों में भारतीय अस्मिता और गौरव का सुअवसर है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम वर्तमान परिवेश में भारतीय स्वाभिमान और विजय के प्रतीक बनकर प्रतिष्ठापित हो रहे हैं। वर्तमान परिवेश में राम की प्रासंगिकता कहीं अधिक दिखती है।

संघर्षों से निकलकर ही महानायक बने भगवान राम

वैश्विक पटल पर भारत की पहचान विश्वगुरु की तरह पुनर्स्थापित करने में राम का प्रभुत्व आकर्षण का जरिया बन सकता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारतीय जन जन के रोम रोम में बसे राम का पुरुषार्थ उनकी संघर्षशीलता में है, न कि उनके देवत्व में। मानव से महामानव बने राम संघर्षों से निकलकर ही महानायक बने। इस महानायक का चरित्र असाधारण, अनुपम, अद्भुत और अनुकरणीय है, इसलिए ही वह हमारे आदर्श बने हैं।

राम के संघर्षों से जनता को मिलता है शक्ति और साहस

राम के रूप में भारत का मूल्य समस्त विश्व के समक्ष ऐसे अजेय योद्धा का स्थापित होता है जो असाधारण और अनुपम है। यही विलक्षणता राम को जनप्रिय और जन-जन सुखदाई बनाती है। राम के संघर्षों से साधारण जनता को शक्ति और साहस मिलता है। कभी न हारने वाले राम हजारों विपत्तियों से जूझते हैं। लक्ष्मण को शक्ति बाण लगा होता है, पत्नी जानकी शत्रुओं के कब्जे में है, तब राम बिलखते हुए भी सुदृढ़ होकर शत्रुओं से संघर्ष के लिए कठोर बनकर खड़े होते हैं।

सनातन और भारत के शौर्य का विराट प्रदर्शन है प्राण प्रतिष्ठा

राम आज के परिप्रेक्ष्य में हमारा लक्ष्य और उसकी प्राप्ति के संकल्पों की ऊर्जा बने हैं। तभी अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा करोड़ों भारतीयों को उल्लसित करती है। यह सुअवसर सनातन और भारत के शौर्य का विराट प्रर्दशन भी है। इसलिए भी राम हमारे लिए सहज और ग्राह्य हैं कि उनका जीवन बाल्यकाल से ही संघर्षमय रहा है। गुरु विश्वामित्र से राम और अनुज लक्ष्मण ने वीरोचित शिक्षा ग्रहण की और राक्षसी वृत्तियों का संहार किया। राम जब बड़े होते हैं, तब उनका पराक्रम और पुरुषार्थ उन्हें परम संघर्षों के लिए प्रेरित करता है।

देश के लिए उत्सव बना राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा

राम से शत्रुता का संताप महारथी और प्रकांड विद्वान रावण को भी है। यह तभी संभव होता है जब सीताहरण से विचलित, किंतु संशय से निकलकर संघर्षशील पराक्रमी राम समाधान तक रणकौशल से पहुंच पाते हैं। क्षत विक्षत जटायु के समक्ष राम दयालु और करुणा के सागर बनकर उपस्थित हुए और यहीं से उन्होंने युद्ध कर विजय और जनक सुता की सफल वापसी का संकल्प लिया। राम की इसी संघर्ष गाथा को भारतीय जनजीवन स्वयं के भीतर अवतरित होते देखता है और इसीलिए अयोध्या में राम के बाद रूप की प्रतिष्ठापना जनमानस के लिए उत्सव की तरह बन चुकी है। राम की यही छवि शक्तिवर्धक है।

अनूठे प्रेरणादायक और जीवंत प्रसंग हैं राम की संघर्षगाथाएं

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का अवसर भारतीय जन मानस को इसीलिए प्रेरणादायक और सार्थक दिखता है कि राम ने जीवन के अंदर नए अंदाज और जीने के समर्थवान आयाम जोड़े। अयोध्या के भव्य मंदिर में आयोजित इस अनुष्ठान से हर भक्त इसलिए भी स्वयं को जुड़ा हुआ पा रहा है कि हनुमान जैसे सेवक को धारण कर उन्हें अपना सर्वप्रिय भक्त और सखा मानने वाले राम सबके ग्राह्य और सर्वसुलभ हैं। राम की संघर्षगाथाएं सृष्टि के अनूठे प्रेरणादायक और जीवंत प्रसंग हैं जो जीने के लिए सामर्थ्यवान बनाती हैं।

इस अलौकिक शक्ति पुंज के अधिष्ठाता राम की मूर्ति का अयोध्या में उद्घाटन वास्तव में इसलिए ही जन जन को आकर्षित और आह्लादित कर देता है। राम जब अवधपुरी में सत्तारूढ़ होते हैं तो सभी के शोक जाते हैं और त्रैलोक हर्षित होता है। तभी तो राम की सर्वप्रियता, सर्वसाधारण के लिए सहज सुलभ और हर तरह की मर्यादा का मान रखने की संघर्षक्षमता उन्हें भारतीय पुरुषार्थ का आदर्श और मर्यादा पुरुषोत्तम बना देती है।

वर्तमान परिवेश में राम की यही लौकिक मर्यादाओं वाले पुरुषोत्तम स्वरूप की प्रतिमूर्ति बनकर अयोध्या अनुष्ठान के साथ सब में प्रकट होती प्रतीत हो रही है। राम की यही प्रासंगिकता और सार्वभौमिकता है जो अयोध्या अनुष्ठान को लोकप्रिय व भारतीय सांस्कृतिक नवजागरण का संदेशवाहक बना गई है।

(प्रियरंजन भारती, वरिष्ठ पत्रकार)

यह भी पढ़ें- Ram Mandir: 22 जनवरी को पधारेंगे रामलला, पढ़ें प्राण प्रतिष्ठा से लेकर दर्शन और टिकट से जुड़े सभी सवालों के जवाब

यह भी पढ़ें- Exclusive: 'पौराणिक घटना है प्रभु श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा', स्वामी मैथिलीशरण ने दिया Ram Mandir से जुड़े हर सवाल का जवाब

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।