Ram Mandir: अनुष्ठान में अरणि मंथन विधि से अग्निदेव को किया गया प्रकट, महेश भागचंदका बने प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे यजमान
भगवान रामलला की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान चौथे दिन यज्ञ हवन के लिए बने मंडप में अग्नि प्रकट करने की प्राचीन विधि और अद्भुत नवग्रह यज्ञ का साक्षी बना। निर्धारित मुहूर्त सुबह नौ बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन विधि से अग्निदेव को प्रकट कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई। इस विधि में शमी व पीपल की लकड़ी के घर्षण से अग्नि को प्रकट किया जाता है।
नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या। भगवान रामलला की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान चौथे दिन यज्ञ हवन के लिए बने मंडप में अग्नि प्रकट करने की प्राचीन विधि और अद्भुत नवग्रह यज्ञ का साक्षी बना। शुक्रवार को निर्धारित मुहूर्त सुबह नौ बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन विधि से अग्निदेव को प्रकट कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई। इस विधि में शमी व पीपल की लकड़ी के घर्षण से अग्नि को प्रकट किया जाता है। अनुष्ठान में इसी अग्नि से पूजन का क्रम आगे बढ़ेगा।
अग्नि को कुंड में सुरक्षित किया गया और यज्ञ-हवन आरंभ हुआ। मंडप में ही नवग्रह यज्ञ किया गया, जिसमें एक ग्रह की 1008 आहुतियां दी गईं। जीवनदायी तत्वों में भगवान के विग्रह के अधिवास का क्रम भी चलता रहा। बीती रात भगवान गंधाधिवास में रहे। शुक्रवार को औषधि, केसर, घृत (घी), धान्य (अन्न) में अधिवास हुआ।
महेश भागचंदका बने दूसरे यजमान
शुक्रवार को एक और यजमान अनुष्ठान से जुड़े। उद्योगपति महेश भागचंदका सपत्नीक अनुष्ठान में सम्मिलित हुए। महेश भागचंदका पांच अगस्त 2020 को हुए भूमि पूजन में भी यजमान थे। उनके साथ ही यजमान डा. अनिल मिश्र व उनकी पत्नी ऊषा मिश्रा ने अनुष्ठान में पूजन अर्चन किया।भगवान गणेश व माता अंबिका के पूजन से चौथे दिन का अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। अरणि मंथन के उपरांत वेदपारायण के साथ पूजन का क्रम आगे बढ़ाया गया। देवप्रबोधन, कुंडपूजन, पंच भू संस्कार हुए। यज्ञ के लिए ग्रह स्थापन, असंख्यात रुद्रपीठस्थापन, प्रधान देवता स्थापन से पूजन के क्रम को आगे बढ़ाया गया।राजाराम-भद्र-श्रीरामयंत्र-बीठदेवता-अंग देवता-आवरण देवता की महापूजा हुई। यह क्रम वरुण मंडल, योगिनी मंडल स्थापन, क्षेत्रपाल मंडल स्थापन, ग्रह होम, स्थाप्यदेव होम, प्रासाद वास्तु शांति एवं सायंकाल आरती हुई। बीते मंगलवार को प्राण प्रतिष्ठा विधान की शुरुआत यजमान के दशविधि स्नान के साथ प्रारंभ हुई थी।
यजमान ने सरयू स्नान करने के बाद कर्मकुटी का पूजन किया था तो बुधवार को सरयू से जलयात्रा लेकर मंदिर पहुंचे थे। बुधवार को रजत प्रतिमा का परिसर भ्रमण कराया गया था। बुधवार देर रात रामलला का अचल विग्रह मंदिर परिसर में पहुंच गया था, जिसे गुरुवार को स्थापित कर दिया गया था। गुरुवार को जलाधिवास हुआ था।
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