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Ayodhya News: ‘अयोध्या कांड’ की पूर्णता पर झूम उठी रामनगरी, कैसा था अयोध्या में आज पूरे दिन का हाल, पढ़िए यहां

Ram Mandir News अयोध्या कांड की पूर्णता पर झूम उठी रामनगरी। घर के साथ-साथ नगर को सजाने में भी लोगों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। प्रत्येक चौराहे पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का उल्लास दिखा। गुब्बारों कागज की झालरों से मार्गों को सज्जित किया गया था। मंदिरों की भी विशेष सजावट की गई। कहीं बिजली चलित झालरों ने अनुकृतियां सजाई गईं तो कहीं रंग-बिरंगी झालरें आकर्षण का केंद्र रहीं।

By Navneet Srivastava Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 22 Jan 2024 04:04 PM (IST)
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‘अयोध्या कांड’ की पूर्णता पर झूम उठी रामनगरी

जागरण संवाददाता, नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या। करीब पांच सौ वर्ष पूर्व जिस अयोध्या कांड का ‘अथ’ हुआ था, उसकी परमात्मा राम के दिव्य-भव्य भवन में स्वर्गिक आभा की संगति में विराजमान होने के साथ ‘इति’ हुई... और शबरी की भांति प्रतीक्षारत साधु-संत, माता जानकी की भांति सहनशील भारतीय समाज और हनुमान जी जैसे सच्चे रामभक्तों की चिर अभिलाषा भी।

प्रसन्नता से झूम उठी वैदिक ग्रंथों के अनुसार राजा और राज्य की परिकल्पना की हजारों वर्ष पुरानी नगरी ने अपने राम को अपने मनोरथ के अनुसार प्रतिष्ठित किया।

स्वर्णिम अध्याय सिद्ध होते देखा

सोमवार को लोगों ने इतिहास का सबसे स्वर्णिम अध्याय सिद्ध होते देखा। सैकड़ों करोड़ लोगों के नेत्रों का स्वप्न साकार होते देखा। अयोध्या को वह सब कुछ मिलते दिखा, जिसकी वह अधिकारी रही। जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल से पहले अछूत समझा जाता रहा। जिसे अनेक आघात सहने पड़े। जिसने उपेक्षा का दंश झेला। जिसे अपना सत्य प्रमाणित करने में पांच सदियां लग गईं...।

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जिस अयोध्या का वर्णन स्वयं रामजी ने रामचरित मानस में किया। जिसके साक्षी उनके पूर्ववर्ती महर्षि वाल्मीकि थे। जिसका पुनरुद्धार महाराज विक्रमादित्य ने किया। जिसकी ख्याति, स्वीकार्यता और प्रामाणिकता स्वर्ग समान है। जिसकी तुलना भी मात्र स्वर्ग से हो सकती थी। जिसका आश्रय सब चाहते हैं। जिसके पुरवासी सभी बनना चाहते हैं।

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ऐतिहासिक वर्ष, असाधारण माह और सदा के लिए अमरत्व को प्राप्त हुई ‘22 जनवरी’ परमानंद के नए युग का सूत्रपात करने के साथ विरासत के कैनवास पर अपूर्व, सबसे सुंदर, रमणीय, मनोहारी, चारु, रम्य, कमनीय और स्मरणीय चित्र सदृश रही, जिसकी प्रभा हजारों वर्षों तक विद्यमान रहेगी। जिसके साक्षी पुरवासी, अतिथि और दूरस्थ भक्त हैं। जिसके अनेकों प्रतिमान गढ़े जाएंगे। अनेकों उपमाएं दी जाएंगी। जिसकी परिणति हजारों वर्षों तक स्मरणीय, संग्रहणीय होगी। जिसका व्याप्ति वैश्विक है। जिसे शब्दों में बांधना असंभव है। जय सियाराम....।

दिन में दिखा दिवाली का दृश्य

सोमवार को दिन में ही दिवाली का दृश्य दिख। भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण होते ही आरंभ हुआ आतिशबाजी का क्रम देर रात तक चलता रहा। राजकीय इंटर कालेज में लगी पटाखों की दुकानों पर ग्राहकों का तांता लग गया। खरीदारों ने अनार, चटाई, फुलझड़ी आदि की जमकर खरीदारी की। बच्चों से लेकर बड़ों तक में आतिशबाजी का उत्साह दिखाई दिया। आसमान में राकेट भी खूब दिखे। लोगों ने शाम को घरों को दीयों से सज्जित किया। लोगों ने मोमबत्ती प्रज्वलित कर दीपावली के समान अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया।

जगह-जगह भोज-भंडारा

रामनगरी में सोमवार को जगह-जगह भोज-भंडारा आयोजित किया गया। सड़कों पर लोग झूमते-जाते दिखे। पूरे शहर में विभिन्न स्थानों पर डीजे लगाए गए थे, जहां लोग नाचते-गाते दिखाई दिए। कई स्थनों पर मंदिरों में के समक्ष भंडारा आयोजन किया गया था। नाका हनुमानगढ़ी पूरे दिन खुली रही। कहीं खिचड़ी, कहीं तहरी और कहीं पूड़ी-सब्जी, हलवा, बूंदी, लड्डू आदि का वितरण किया गया। लोगों ने स्व: प्रेरणा से भंडारों का आयोजन किया। दिन मेंं बाजार भले ही बंद रहे, लेकिन लोगों के उल्लास ने शहर को पूर्णता सजग और चहकता हुआ बनाए रखा।

बनाई रंगोली-सजाए द्वार

भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा से उल्लासित लोगों ने घरों की भी खूब सजावट की। लोगों ने घरों को रंगोली, फूल व बिजली चलित झालरों से सज्जित किया। जिस भांति मांगलिक आयोजनों व दीपावली आदि पर घरों की साज-सज्जा की जाती है, उसी भांति लोगों ने सजावट की।

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