Ram Mandir: 'अयोध्या मत जाओ, वहां खून-खराबा होगा' कहने वालों को रामभक्तों ने दिया जवाब; कहा- अब रामनगरी...
मोदी-योगी को राम-लक्ष्मण की जोड़ी मानते हुए कहते हैं कि अब राम विरोधियों का अंत भी तय है। राम के रूप में पीएम मोदी ही विरोधियों को परास्त कर राम राज्य की स्थापना करेंगे। लंबे समय तक उपेक्षित-तिरस्कृत रही अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू होने के साथ ही विकास की गंगा भी बहने लगी थी लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना है।
अजय जायसवाल, अयोध्या। अयोध्या में राम जन्म भूमि मंदिर की ओर जाने वाली सड़क के फुटपाथ पर लगी बड़ी टीवी स्क्रीन पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को टकटकी लगाकर देख रहे कर्नाटक के राघवेन्द्र दास और जम्मू-कश्मीर के उमा दास की आंखों से आंसू छलक रहे थे। पूछने पर बोले- फटे टेंट में भी अपने रामलला को देख आंसू छलक आते थे, लेकिन आज खुशी के आंसू हैं।
मोदी-योगी को राम-लक्ष्मण की जोड़ी मानते हुए कहते हैं कि अब राम विरोधियों का अंत भी तय है। राम के रूप में पीएम मोदी ही विरोधियों को परास्त कर राम राज्य की स्थापना करेंगे।
लंबे समय तक उपेक्षित-तिरस्कृत रही अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू होने के साथ ही विकास की गंगा भी बहने लगी थी, लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना है।
जिस तरह से देश-दुनिया के रामभक्त, पर्यटक अब रामलला की नगरी में आने के साथ ही रामलला के दर्शन करने को आतुर दिख रहे हैं, उससे निश्चित तौर पर अयोध्या में विकास की गाथा का विस्तार होगा।
कितने करोड़ रुपये तक का हो सकता है निवेश?
माना जा रहा है कि धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाली अयोध्या में औसतन प्रतिदिन तीन लाख श्रद्धालु आएंगे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद कुछ दिनों तक हर दिन छह-सात लाख श्रद्धालुओं के अयोध्या आने का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में मोदी-योगी की सरकार का फोकस अयोध्या पर आगे भी कम होने वाला नहीं है। जानकारों कहते हैं कि अगले एक दशक में अयोध्या में 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो सकता है।
राजनीति पर रहेगा पूरा प्रभाव
अयोध्या आने वालों में दूसरे देशों के अलावा देश के अन्य राज्यों के निवासी भी होंगे, इसलिए उनके यहां आने-जाने से देश-प्रदेश की राजनीति पर भी बड़ा प्रभाव पड़ते दिख रहा है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह का किसी तरह का निमंत्रण न मिलने पर भी जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के हजारों रामभक्त अयोध्या की सड़कों, गलियों और फुटपाथ पर थे। यहां आए श्रद्धालु कहते हैं कि रामजी ने चाहा तभी तो यहां है।
कश्मीर से आए 75 वर्षीय उमादास कहते हैं कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए मोदी-योगी का सत्ता में रहना जरूरी है। वह कहते हैं कि अब विरोधियों का सत्यानाश तय है क्योंकि उन्होंने भगवान के बुलावे तक को ठुकराया।
हमारे राजा राम तो ऐसे हैं कि उनकी शरण में आने वाले सभी पापियों को भी माफ कर देते हैं। कर्नाटक से आए राघवेन्द्र दास कहते हैं कि विरोधी तो हमारे राम को काल्पनिक बताते रहे, लेकिन रामलला को मंदिर में विराजने वाले मोदी को अबकी कर्नाटक वाले फिर सत्ता में लाने का काम करेंगे।
'अयोध्या मत जाओ- होगा खून खराबा'
बिहार के खगड़िया से पत्नी बीना देवी के साथ आए राम पुकार बताते हैं कि वहां तो विरोधी कह रहे थे कि बड़ा खून-खराबा होगा, इसलिए अयोध्या मत जाओ, लेकिन यहां जो देख रहे हैं। उससे तय है कि अबकी बिहार के चुनाव में में उनके ही अस्तित्व को खतरा है, जो सदैव राम के अस्तित्व को नकारते रहे।
बंगाल से आए प्रसन्नजीत व पलाश बताते हैं कि ‘दीदी’ के राज में राम भक्तों को बड़ा कष्ट है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि मोदी एक न एक दिन बंगालियों को तमाम कष्टों से मुक्ति दिलाएंगे। गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की मांग करते राजस्थान के लालजी भाई मानते हैं कि रामकाज करने वाले मोदी जी यह भी करेंगे।
चुनाव में लिखी जाएगी राजनीति गाथा
हरियाणा से पैदल आए महावीर दास, गुजरात के गनेश गिरी, महाराष्ट्र के राजीव महाराज, गाजियाबाद से नंगे पैर आए अरुण, कर्नाटक के सिद्धार्थ व सुनील, मध्य प्रदेश के रमेश व गजाधर, छत्तीसगढ़ के जय नारायन आदि भी मानते हैं कि अब तो मोदी के आगे उन्हें कोई नहीं दिखता। लोगों के मनोभाव से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अबकी लोकसभा चुनाव में अयोध्या ही राजनीति की नई गाथा भी लिखने वाली है।
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