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Ram Mandir: गर्भगृह में कुछ इस तरह स्थापित की गई है रामलला की मूर्ति, सूर्य भगवान खुद लगाएंगे माथे पर तिलक

Ram Mandir Pran Pratishtha अयोध्या में बने राम मंदिर में आज प्रभु श्रीराम विराजमान होंगे। इस दिव्य और भव्य मंदिर को बनाने में न सिर्फ सनातनी मूल्यों को ध्यान में रखा गया है बल्कि वैज्ञानिकों ने भी कमाल कर दिया है। दरअसल राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति को कुछ इस तरह स्थापित किया गया है कि खुद भगवान सूर्य श्रीराम का तिलक करेंगे।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Mon, 22 Jan 2024 09:38 AM (IST)
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गर्भगृह में कुछ इस तरह स्थापित की गई है रामलला की मूर्ति

रघुवरशरण, अयोध्या। आज अयोध्या नगरी में प्रभु श्रीराम विराजमान होने वाले हैं। राम मंदिर स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने के साथ अति उन्नत वैज्ञानिक युक्ति का भी परिचायक है। यह वैशिष्ट्य प्रत्येक वर्ष राम जन्मोत्सव के अवसर पर परिभाषित होगा, जब सूर्य की रश्मियां तीन तल के राम मंदिर के भूतल पर पर स्थापित रामलला के ललाट पर उतरकर उनका अभिषेक करेंगी।

40 महीने पूर्व राम मंदिर के भूमिपूजन के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूर्यवंशी श्रीराम का सूर्याभिषेक कराने के लिए इस यह इच्छा व्यक्त की थी और इसे संभव बनाना वैज्ञानिकों के लिए चुनौती भी थी।

वैज्ञानिकों ने कर दिया करिश्मा

संबंधित वैज्ञानिकों ने इस अभियान को चुनौती के रूप में लिया और अब वह इसे संभव करने की सुदृढ़ कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने विशेष दर्पण और लेंस-आधारित उपकरण तैयार किया है। इस उपकरण को आधिकारिक तौर पर ‘सूर्य तिलक तंत्र’ नाम दिया गया है। इस अभियान को सफल बनाने में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ), रुड़की की केंद्रीय भूमिका रही है।

करना पड़ेगा अगले साल तक इंतजार

विज्ञान के इस करिश्मा को साकार होते देखने के लिए अगले वर्ष के राम जन्मोत्सव की प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। सीबीआरआइ के निदेशक डा. प्रदीप कुमार रमनचारला के अनुसार मंदिर का निर्माण पूर्ण होने के ही बाद सूर्य तिलक तंत्र पूरी तरह प्रभावी हो पाएगा। अभी तीन तल के मंदिर का भूतल ही निर्मित हुआ है। यद्यपि गर्भगृह एवं भूतल में सूर्य तिलक यंत्र के उपकरण यथास्थान संयोजित भी किए जा चुके हैं।

गियरबॉक्स, परावर्तक दर्पण और लेंस की व्यवस्था

सूर्य तिलक यंत्र में एक गियरबॉक्स, परावर्तक दर्पण और लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि शिकारे के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भ गृह में लाया जाएगा। यह सुनिश्चित करने में सीबीआरआइ के वैज्ञानिकों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) ने सहायता दी। इसी सहायता के फलस्वरूप सूर्य के पथ पर नजर रखने के लिए आप्टिकल लेंस और पीतल के ट्यूब का निर्माण किया गया। आईआईए स्थितीय खगोल विज्ञान पर आवश्यक विशेषज्ञता से युक्त संस्थान माना जाता है।

छह मिनट तक चलेगा रामलला का सूर्याभिषेक

सूर्य तिलक तंत्र को सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने इस तरह डिजाइन किया है कि हर साल रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग छह मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के विग्रह के माथे पर पड़ेंगी।

चमत्कारी विरासत

ट्रस्ट के न्यासी आचार्य राधेश्याम इस तकनीक को राम मंदिर की विरासत से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना है कि रामजन्मभूमि असाधारण भूमि रही है और यहां की दिव्यता से ही जाने-अनजाने प्रेरित हो प्रधानमंत्री ने रामलला के सूर्याभिषेक की परिकल्पना की और अब उसे हमारे वैज्ञानिक साकार करने को तैयार हैं।

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