Ram Mandir: कड़ाके की ठंड में भी कम नहीं हो रहा आस्था का ज्वार, हर आंख में रामलला को निहारने की ललक; युवाओं से लेकर बुजुर्गों में भारी उत्साह
कड़ाके की ठंड और शीतलहरी बड़े-बड़ों की परीक्षा ले रही है किंतु बिड़ला मंदिर के सामने से रामजन्मभूमि पथ की ओर उमड़ने वाला आस्था का ज्वार इस चुनौती को बौना सिद्ध करता है। इस ज्वार में युवाओं की बड़ी संख्या के साथ बुजुर्ग भी कम नहीं होते। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने रामलला के दर्शनार्थियों के लिए नव्य अयोध्या में बनी टेंट सिटी का पूजन कर शुरुआत की।
रघुवरशरण, अयोध्या। श्रीराम लोक के प्राण हैं। नवनिर्मित मंदिर में रामलला के विग्रह की स्थापना के साथ यह थाती नए सिरे से आलोकित हो रही है। नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में रामलला की स्थापना हुए सात दिन होने को हैं, किंतु इससे उपजी उल्लास की भावधारा अभी भी प्रवाहमान है। हर आंख में रामलला को निहारने की ललक है। रविवार को सुबह के नौ बजे हैं।
आस्था का ज्वार हर चुनौती को बौना सिद्ध कर रही है
कड़ाके की ठंड और शीतलहरी बड़े-बड़ों की परीक्षा ले रही है, किंतु बिड़ला मंदिर के सामने से रामजन्मभूमि पथ की ओर उमड़ने वाला आस्था का ज्वार इस चुनौती को बौना सिद्ध करता है। इस ज्वार में युवाओं की बड़ी संख्या के साथ बुजुर्ग भी कम नहीं होते, जो यह बताते हैं कि श्रीराम भारतीयों की उच्च प्राथमिकता हैं। इसकी पुष्टि पुणे से आईं बुजुर्ग हेमलता से होती है, जो उम्र और थकान की चिंता किए बिना राम मंदिर की सीढि़यां चढ़ने का असफल प्रयास कर रही होती हैं।
रामलला को निहारने दूर-दूर से आ रहे लोग
विशेष सुरक्षा बल के जवान उन्हें संभाल कर सिंहद्वार तक पहुंचाते हैं। रामलला को आंखों से लेकर हृदय में समाहित कर श्रद्धालुओं का प्रवाह कहीं अधिक संतुष्टि के साथ प्रत्यावर्तित हो रहा होता है। इसी के साथ आस्था के महोत्सव का नया आयाम प्रशस्त होता है।
श्रद्धालुओं के सत्कार के लिए स्थान-स्थान पर सेवा के प्रकल्प सज्जित होते हैं। यह स्वत: स्फूर्त है और इसका आयोजक कोई एक नहीं है, बल्कि यह लोक से अनुप्राणित है। होली-दीपावली की तरह। राम मंदिर के निकट ही स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड में गत 11 दिनों से राम भक्तों के लिए संचालित निश्शुल्क भोजनालय का रविवार को दोपहर में समापन हो रहा होता है।
यद्यपि इस भोजनालय पर गत सप्ताह जैसा दबाव नहीं रह गया है। प्रसाद ग्रहण करने वालों में जितने दूर-दराज के श्रद्धालु होते हैं, उससे अधिक आसपास के होते हैं। तथापि गुरुद्वारा के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह अपने अनुज चरनजीत सिंह के साथ व्यवस्था में पूरी तत्परता से लगे होते हैं।
परिक्रमा मार्ग एवं राम पथ सहित अन्य मार्गों पर भ्रमण करते हुए बड़ी संख्या में निश्शुल्क भोजनालय मिलते हैं। इनमें कई अनायास हैं। इस भाव से कि नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठापना के अविस्मरणीय अवसर पर आने वाले श्रद्धालुओं को किंचित भी असुविधा न होने पाए। चाय-जलपान के भी स्टाल लोकोत्सव की बानगी देते हैं।
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