रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के 6 दिन, दसविधि से लेकर शैयाधिवास तक... कब-कब क्या हुआ?
Ramlala Pran Pratistha आज अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। रामलला के आगमन को लेकर पूरे देश में उल्लास और पर्व का माहौल है। देशभर में माहौल राममय हो गया है। हर तरफ राम के भजन गूंज रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन रामभक्तों के लिए एक ऐतिहासिक पल है। आज मध्य दिवस में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
संवाद सूत्र, अयोध्या। Ramlala Pran Pratistha: सदियों का इंतजार खत्म हुआ। आज अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। रामलला के आगमन को लेकर पूरे देश में उल्लास और पर्व का माहौल है। देशभर में माहौल राममय हो गया है। हर तरफ राम के भजन गूंज रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन रामभक्तों के लिए एक ऐतिहासिक पल है। आज पीएम मोदी के हाथों मध्य दिवस में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हुआ था। यह अनुष्ठान आज (22 जनवरी) को मृगशिरा नक्षत्र में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा तक चलेगा। अनुष्ठान के दौरान प्रतिदिन अलग-अलग पूजन हुआ है। आइए जानते हैं कि प्रतिष्ठान के बीते छह दिनों में क्या-क्या हुआ...
प्राण प्रतिष्ठा का पहला दिन
दसविधि से शुरू हुआ अनुष्ठान: रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान गत मंगलवार (16 जनवरी) से आरंभ हुआ था। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ की उपस्थिति में आचार्यों ने सरयू के सहस्त्रधारा घाट पर यजमान डॉ. अनिल मिश्र को दशविधि स्नान किया। साथ ही उन्होंने शुद्धोदक (सरयू जल) के साथ गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र, भस्म, कुशोदक (कुश मिश्रित जल), पंचगव्य (गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र) से स्नान किया। दो बार गोबर से स्नान किया।
यजमान ने पंचगव्य का प्राशन (चख) कर व्रत आरंभ किया। रामघाट स्थित विवेक सृष्टि में शिल्पकार अरुण योगीराज का पूजन कर मूर्ति को प्राप्त की गई। भगवान विष्णु व कर्मकुटी पूजन के पश्चात हवन हुआ। वैदिक परंपरा के अनुरूप ही भगवान के नेत्रों पर पट्टी बांधी गई।
अनुष्ठान का दूसरा दिन
जन्मभूमि पहुंचे रामलला: अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार (17 जनवरी) को रामलला अपनी जन्मभूमि पर पहुंचे और पालकी पर सवार हो उन्होंने राजप्रासाद का भ्रमण किया। पालकी पर भगवान की रजत चल प्रतिमा को पूरे वैभव से बैठाया गया। पालकी पर सर्दी से बचने के लिए रजाई, गद्दे व मसलन लगा था। जय सियाराम जय जय सियाराम के संकीर्तन के बीच रामलला ने पूरे परिसर का भ्रमण किया। ईष्ट व पुरवासियों का दर्शन किया।
इससे पहले डॉ. अनिल मिश्र ने सपत्नीक तीर्थ, सरयू पूजन, कलश, ब्राह्मण, बटुक, कुमारी, सुवासिनी पूजन किया। जलयात्रा निकली। सरयू नदी में घी से हवन व दुग्धाभिषेक हुआ। सरयू में ही फल, मिष्ठान, फूल व अक्षत आदि अर्पित किया गया। कुल नौ कलशों का उपयोग हुआ था। अनुष्ठान के प्रमुख आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित व मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ के निर्देशन में रामजन्मभूमि परिसर में कलश स्थापित हुआ। यहां पर रामलला की आरती व पूजन हुआ।
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