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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के 6 दिन, दसविधि से लेकर शैयाधिवास तक... कब-कब क्या हुआ?

Ramlala Pran Pratistha आज अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। रामलला के आगमन को लेकर पूरे देश में उल्लास और पर्व का माहौल है। देशभर में माहौल राममय हो गया है। हर तरफ राम के भजन गूंज रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन रामभक्तों के लिए एक ऐतिहासिक पल है। आज मध्य दिवस में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

By Jagran News Edited By: riya.pandey Updated: Mon, 22 Jan 2024 08:18 AM (IST)
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जानें प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के छह दिन क्या-क्या हुआ

संवाद सूत्र, अयोध्या। Ramlala Pran Pratistha: सदियों का इंतजार खत्म हुआ। आज अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। रामलला के आगमन को लेकर पूरे देश में उल्लास और पर्व का माहौल है।  देशभर में माहौल राममय हो गया है। हर तरफ राम के भजन गूंज रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन रामभक्तों के लिए एक ऐतिहासिक पल है। आज पीएम मोदी के हाथों मध्य दिवस में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हुआ था। यह अनुष्ठान आज (22 जनवरी) को मृगशिरा नक्षत्र में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा तक चलेगा। अनुष्ठान के दौरान प्रतिदिन अलग-अलग पूजन हुआ है। आइए जानते हैं कि प्रतिष्ठान के बीते छह दिनों में क्या-क्या हुआ...

प्राण प्रतिष्ठा का पहला दिन


दसविधि से शुरू हुआ अनुष्ठान: रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान गत मंगलवार (16 जनवरी) से आरंभ हुआ था। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ की उपस्थिति में आचार्यों ने सरयू के सहस्त्रधारा घाट पर यजमान डॉ. अनिल मिश्र को दशविधि स्नान किया। साथ ही उन्होंने शुद्धोदक (सरयू जल) के साथ गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र, भस्म, कुशोदक (कुश मिश्रित जल), पंचगव्य (गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र) से स्नान किया। दो बार गोबर से स्नान किया।

यजमान ने पंचगव्य का प्राशन (चख) कर व्रत आरंभ किया। रामघाट स्थित विवेक सृष्टि में शिल्पकार अरुण योगीराज का पूजन कर मूर्ति को प्राप्त की गई। भगवान विष्णु व कर्मकुटी पूजन के पश्चात हवन हुआ। वैदिक परंपरा के अनुरूप ही भगवान के नेत्रों पर पट्टी बांधी गई।

अनुष्ठान का दूसरा दिन

जन्मभूमि पहुंचे रामलला: अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार (17 जनवरी) को रामलला अपनी जन्मभूमि पर पहुंचे और पालकी पर सवार हो उन्होंने राजप्रासाद का भ्रमण किया। पालकी पर भगवान की रजत चल प्रतिमा को पूरे वैभव से बैठाया गया। पालकी पर सर्दी से बचने के लिए रजाई, गद्दे व मसलन लगा था। जय सियाराम जय जय सियाराम के संकीर्तन के बीच रामलला ने पूरे परिसर का भ्रमण किया। ईष्ट व पुरवासियों का दर्शन किया।

इससे पहले डॉ. अनिल मिश्र ने सपत्नीक तीर्थ, सरयू पूजन, कलश, ब्राह्मण, बटुक, कुमारी, सुवासिनी पूजन किया। जलयात्रा निकली। सरयू नदी में घी से हवन व दुग्धाभिषेक हुआ। सरयू में ही फल, मिष्ठान, फूल व अक्षत आदि अर्पित किया गया। कुल नौ कलशों का उपयोग हुआ था। अनुष्ठान के प्रमुख आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित व मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ के निर्देशन में रामजन्मभूमि परिसर में कलश स्थापित हुआ। यहां पर रामलला की आरती व पूजन हुआ।

प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का तीसरा दिन

गंधाधिवास में रहे रात्रि भर रहे रामलला: गुरुवार (18 जनवरी) को तीसरे दिन रामलला की दोनों विग्रह का रजत चल व श्यामवर्णी अचल का प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान संस्कार विधिवत शुरू हो गया। यजमान डॉ. अनिल मिश्र व उनकी पत्नी ऊषा मिश्र ने शुभ मुहूर्त दोपहर एक बज कर 20 मिनट पर संकल्प लिया।

अधिवास से पहले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ व आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में भगवान गणेश और माता अंबिका का पूजन हुआ। यह क्रम वरुण, मातृ पूजन, पुण्याहवाचन से आगे बढ़ा। आयुष्य मंत्र का जाप हुआ। इसके बाद नंदी श्राद्ध, आचार्यादिऋत्विग्वरण, मधुपर्कपूजन, मंडप प्रवेश, दिग्दर्शन संस्कार हुआ।

मंडप वास्तु पूजन, वास्तु बलिदान, मंडप सूत्रवेष्टन, दुग्धधारा, जलधाराकरण, षोडष स्तंभ पूजन, तोरण, द्वार, ध्वज, आयुध, पताका, दिक्पाल, द्वारपाल आदि पूजन किया गया। इसके उपरांत रामलला का जलाधिवास हुआ। इसके उपरांत ही रामलला को गंधाधिवास में रात्रि विश्राम कराया गया।

प्राण प्रतिष्ठा का चतुर्थ दिन

अरणि मंथन से प्रकटे अग्निदेव: भगवान रामलला की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान चौथे दिन यज्ञ हवन के लिए बने मंडप में अग्नि प्रकट करने की प्राचीन विधि और अद्भुत नवग्रह यज्ञ का साक्षी बना। शुक्रवार को निर्धारित मुहूर्त सुबह नौ बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन विधि से अग्निदेव को प्रकट कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई। इस विधि में शमी व पीपल की लकड़ी के घर्षण से अग्नि को प्रकट किया जाता है।

अनुष्ठान में इसी अग्नि से पूजन का क्रम आगे बढ़ेगा। अग्नि को कुंड में सुरक्षित किया गया और यज्ञ-हवन आरंभ हुआ। मंडप में ही नवग्रह यज्ञ किया गया, जिसमें एक ग्रह की 1008 आहुतियां दी गईं। औषधि, केसर, घृत (घी), धान्य (अन्न) में अधिवास हुआ। उद्योगपति महेश भागचंदका सपत्नीक अनुष्ठान में सम्मिलित हुए। डॉ. अनिल मिश्र व उनकी पत्नी ऊषा मिश्रा मुख्य यजमान रहे।

प्राण प्रतिष्ठा का पंचम दिन

शर्कराधिवास में गुड का हुआ प्रयोग: शनिवार को वेद मंत्रों व राम मंत्रों से भी आहुति दी गई। प्रात: पूजा का क्रम गणेश पूजन, पंचाग, वास्तु व मंडप पूजन से प्रारंभ हुआ। मुख्य यजमान डा. अनिल कुमार मिश्रा व उनकी पत्नी ने यज्ञ मंडप की प्रधान पीठ की पूजा की व संकल्प लिया।

इसके बाद रामलला की भव्य पालकी निकली। इसमें भक्त संकीर्तन संग नृत्य भी करते रहे। श्रीराम जयराम, जय जय राम..., हर हर महादेव के जयकारे लगे। अबीर गुलाल भी उड़ा। भगवान को यज्ञ मंडप का चार बार और एक बार पूरे प्रासाद का भ्रमण कराया गया। अद्भुत व विहंगम वातावरण रहा। शर्कराधिवास, पुष्पाधिवास व फलाधिवास हुआ। शर्कराधिवास में भगवान को गुड़ में रखा गया। 81 कलशों के औषधीय जल से स्नपन संस्कार हुआ।

अनुष्ठान का छठा दिन 

शीशम के पलंग पर रामलला ने किया शैयाधिवास: छठे दिन रविवार को प्राण प्रतिष्ठा का क्रम वैदिक मंगलाचरण से प्रारंभ हुआ। रजत चल विग्रह की वैदिक पद्धित से पूजा हुई। यजमान के संकल्प का विधान पूरा कराया गया। बाद में रामलला को भ्रमण कराया गया।

संपूर्ण दिन परिसर में वेद मंत्रों के साथ ही रामनाम के मंत्रों से भी पूजा व हवन का क्रम भी जारी रहा। इसके पहले यज्ञ मंडप के चारों कपाट, जो चार वेदों का ही प्रतीक होते हैं, का पूजन हुआ। कुंडों में आचार्यों ने सामूहिक हवन की। पूर्वाह्न में ही रामलला का मधु अधिवास हुआ। 

बाद शाम को रामलला के विग्रह की शय्याधिवास का संस्कार किया गया। इस दौरान अराध्य को शीशम के पलंग पर सुलाया गया। आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि रामलला विराजमान, रामलला की रजत प्रतिमा व श्यामवर्णी प्रतिमा एक साथ नव्य भव्य मंदिर में विराजित की जाएगी। जहां पर आज मध्य दिवस में रामलला की प्रतिमा में प्रतिष्ठा की जाएगी।

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