गुलाबी ठंड शुरू होने के साथ ही रामलला की बदली दिनचर्या, अब गुनगुने जल से कर रहे स्नान
गुलाबी ठंड के साथ रामलला की दिनचर्या में बदलाव हुआ है। अब रामलला का जागरण चार बजे होता है जबकि पहले यह साढ़े तीन बजे होता था। स्नान के लिए गुनगुना पानी प्रयुक्त किया जाता है। मंगला आरती साढ़े चार बजे से होती है और श्रृंगार आरती पहले छह बजे होती थी अब साढ़े छह बजे होती है। ठंड बढ़ने पर गर्म खाद्य पदार्थों का भोग भी लगाया जाएगा।
प्रवीण तिवारी, अयोध्या। गुलाबी ठंड शुरू होने के साथ ही रामलला की दिनचर्या में भी परिवर्तन हो गया है। सुबह जागरण से लेकर रात्रि में शयन आरती तक का समय बदल गया है। दर्शन अवधि में भी बदलाव हुआ है। इसके अलावा अब बालकराम के स्नान के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं। ठंडे पानी की जगह गुनगुना पानी प्रयुक्त किया जाने लगा है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, रामलला के भोग राग में भी गर्म खाद्य पदार्थों का प्रयोग शुरू हो जाएगा। श्रृंगार आरती से पहले रामलला को गुनगुने पानी से स्नान कराया जाता है।
अब जागरण भोर में चार बजे
शारदीय नवरात्र से पहले रामलला का जागरण ब्रह्म मुहूर्त में लगभग साढ़े तीन बजे कराया जाता था, लेकिन बदली दिनचर्या के अनुरूप अब जागरण भोर में चार बजे कराया जाता है। इसके बाद उन्हें मधुपर्क, पेड़ा व अखंड फल का भोग लगता है। इसके बाद उनकी मंगला आरती होती है। मंगला आरती पहले चार बजे से होती थी, जो अब साढ़े चार बजे से लेकर चार बज कर 40 मिनट तक संपन्न होती है।
मंगला आरती के बाद और श्रृंगार आरती के पहले ही रामलला को स्नान व विविध द्रव्याें से उनका वैदिक रीति से अभिषेक कराया जाता है। इस प्रक्रिया में ही गुनगुने पानी का प्रयोग अर्चक करते हैं। इस दौरान पंचामृत से भी अभिषेक होता है। इसके बाद आराध्य को आभूषण व नवीन वस्त्र धारण कराये जाते है।
भोग पूर्व निर्धारित द्रव्यों व खाद्य पदार्थों का लगता है। साथ ही श्रृंगार आरती की जाती है। श्रृंगार आरती सुबह पहले छह बजे होती थी, लेकिन अब साढ़े छह बजे प्रारंभ होती है। सात बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिया जाता है। सुबह लगभग नौ बजे उन्हें बाल भोग अर्पित किया जाता है। इसके बाद दोपहर 11 : 45 बजे तक दर्शन चलता है।
इसके बाद राजभोग लगाकर मध्याह्न आरती की जाती है। डेढ़ बजे तक दर्शन बंद रहता है। एक बजकर 35 मिनट से चार बजे तक भक्त प्रभु का निर्बाध दर्शन करते हैं। फिर रामलला को बाल भोग अर्पित किया जाता है। शाम सात बजे संध्या आरती होती है। फिर दर्शन नौ बजे तक दर्शन होता है। सवा नौ बजे से पौने दस बजे के बीच भोग व शयन आरती होती है। इसके बाद रामलला को शयन कराया जाता है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।