रामोत्सव 2024: जुग जुग जियसु ललनवा, 'अवध' के भाग जागल हो... किन्नरों ने मोदी-योगी को दुआओं से नवाजा
अयोध्या का किन्नर समाज पुलकित हो उठे रोम-रोम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दुआएं दे रहा है। उनका कहना है कि इस गौरव को लौटाने वाले दोनों नायकों पर प्रभु श्रीराम सदा सहाय हों और दसों दिशाओं में इनका यशोगान होता रहे। ये वही किन्नर समाज है जिसने रामलला के जन्म पर बधाई गाकर नेग स्वीकार करने के चलन को प्रचलन में लाया।
जागरण टीम, अयोध्या। दिग्विजयी सम्राट राजा दशरथ की जन्म-जन्मांतर से अधूरी इच्छा रामलला की किलकारियों से कुछ इस तरह पूरी हुई कि न केवल अवधपुरी, बल्कि 14 भुवन समेत समूचा ब्रह्मांड भी मंगलगान से गुंजायमान हो उठा, जिस प्रकार वर्षों से बंजर रही भूमि को वर्षा के जल ने सींचा हो, उसी कृतज्ञता के भाव के साथ राजा दशरथ ने गुरु श्रेष्ठ, प्रजाजन, सेवक-सेविकाओं, नाऊ और दाई के लिए हर्षित मन से नाना रत्न अलंकार से शोभित भेंट देने का निश्चय किया।
अब संकट सामने यह था रघुकुल की परंपरा है 'प्राण जाय पर वचन न जाए' मगर प्रभु के प्राकट्य से आह्लादित जनमानस राजा की भिक्षा नहीं, अपने इष्ट के दीदार मात्र की मंशा रखता था। संकट ये उत्पन्न हुआ कि वचन के मुताबिक निकाली गई नेग भला कौन ले, दुविधा की इस घड़ी में आज समाज का सबसे वंचित वर्ग अपने प्रिय राजा के वचनों का मान रखने सामने आता है।नेग सहर्ष स्वीकार करता है और 'जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो', 'प्रकटे हैं चारो भैया-अवध में बाजे बधइया' जैसी भेंटे नाच-गाकर उल्लासित मन से नवपल्लवित पुष्प को सकल ब्रह्मांड के 'आदित्य' होने का वरदान देता है। 500 वर्षों के पराभव काल के बाद अब प्रभु श्रीराम के त्रेतायुगीन उसी वैभव को कलियुग में एक बार फिर साकार होता देख यह समाज उल्लास से भर उठा है।
अयोध्या का किन्नर समाज पुलकित हो उठे रोम-रोम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दुआएं दे रहा है। उनका कहना है कि इस गौरव को लौटाने वाले दोनों नायकों पर प्रभु श्रीराम सदा सहाय हों और दसों दिशाओं में इनका यशोगान होता रहे।
खुद प्रभु श्रीराम ने भी किन्नरों के अप्रतिम त्याग को सिर-माथे नवाया
ये वही किन्नर समाज है, जिसने रामलला के जन्म पर बधाई गाकर नेग स्वीकार करने के चलन को प्रचलन में लाया। ये वही समाज है कि जब वन को निर्वासित जनप्रिय युवराज राम से मिलकर उनके आदेश पर चरण पादुका को सिर पर सुशोभित करते हुए भरत नंदीग्राम के लिए अयोध्या की सकल नर-नारी रूपी जनमानस के साथ प्रस्थान कर गए थे, लेकिन वहीं तमसा नदी के किनारे 14 वर्ष समाज से दूर रहकर किन्नर वनवास की अवधि के दौरान निरंतर राम राजा के यशोगान के निमित्त साधना आराधना में लीन रहे। ये वही समाज है, जब प्रभु श्रीराम रावण के दम्भ रूपी लंका के ध्वंस के उपरांत लौटे तो श्रीराम ने उन्हें गले लगाकर उनके अप्रतिम त्याग को सिर माथे नवाया था।हम राम जी का दिया खाते हैं, बस उन्हीं का गुण गाते हैं
गद्दीपति व अयोध्या जिले की किन्नर समाज की अध्यक्ष पिंकी मिश्रा ने बताया कि किन्नरों ने श्रीराम को गोद में लिया, ढोलक-मजीरा बजाकर बधाई गाई, बलाइयां लीं और उस नेग को स्वीकार किया जिसे राजा दशरथ के लाख अनुरोध के बाद भी कोई नहीं स्वीकार कर रहा था।वहीं, जब वनवास से राम जी लौटकर आए तो किन्नरों ने बताया कि प्रभु हमने अयोध्या से दूर रहकर आपका इंतजार करते हुए साधना-अराधना और यशोगान किया। प्रभु श्रीराम ने उनके इस अप्रतिम समर्पण को शीश झुकाकर प्रणाम किया और आशीर्वाद दिया कि जिस भी घर में दो से तीन प्राणी होंगे, मांगलिक कार्य होगा तो आप उनको बधाइयां व आशीर्वाद देंगे तथा बदले में नेग लेंगे।
तब से यह परंपरा आज के दिन तक निरंतर कायम है। अहो भाग्य, राम जी फिर पधार रहे हैं। अपार खुशी है राम जी अपने राजमहल में विराजमान हो रहे हैं तो हम किन्नर झोली फैलाकर यह मांग कर रहे हैं कि भले एक पैसा ही सही, हमें राम जी का नेग दिया जाए क्योंकि हम राम जी का ही दिया खाते हैं और उन्हीं के गुण गाते हैं।
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