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रामोत्सव 2024: रामलला का काज, योगी का सौभाग्य… सदियों बाद आई सुमंगल घड़ी के वाहक भी बने मुख्यमंत्री योगी

25 मार्च 2020 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ब्रह्म मुहूर्त का समय। दशकों तक फटे तिरपाल में विराजमान रामलला को अपनी गोद में उठाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्थायी रूप से सुसज्जित मंदिर में प्रतिस्थापित कराया था और सोमवार 22 जनवरी 2024 (पौष माह शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि) को श्रीराम अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हो रहे हैं तो गर्भगृह में साक्षी बनने का अवसर भी योगी आदित्यनाथ को मिला।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 23 Jan 2024 12:12 AM (IST)
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रामोत्सव 2024: रामलला का काज, योगी का सौभाग्य…

डिजिटल डेस्क, अयोध्या। 25 मार्च 2020 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, ब्रह्म मुहूर्त का समय। दशकों तक फटे तिरपाल में विराजमान रामलला को अपनी गोद में उठाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्थायी रूप से सुसज्जित मंदिर में प्रतिस्थापित कराया था और सोमवार  22 जनवरी 2024 (पौष माह, शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि) को श्रीराम अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हो रहे हैं तो गर्भगृह में साक्षी बनने का अवसर भी योगी आदित्यनाथ को मिला। 

कभी महाराज दशरथ, मां कौशल्या की गोद में खेलने वाले रामलला को अपनी गोद में लेकर अस्थायी मंदिर में ले जाने वाले योगी आदित्यनाथ पर श्रीराम की कृपा बरस रही है। अस्थायी मंदिर हो या स्थायी मंदिर, श्रीराम ने दोनों संयोग के साक्षी बनने का सौभाग्य करोड़ों सनातनियों में सिर्फ योगी आदित्यनाथ को दिया। 

प्रभु की कृपा भयऊ सब काजू, जनम हमार सुफल भा आजू....

गोरक्षपीठ से जुड़ी पांच पीढ़ियों ने राममंदिर आंदोलन को गति दी, लेकिन यह सौभाग्य योगी आदित्यनाथ को ही मिला कि टेंट से अस्थायी मंदिर और स्थायी मंदिर में श्रीरामलला के विराजमान होने के वे साक्षी बने। योगी आदित्यनाथ का पुलकित हो रहा रोम-रोम भी आज कह रहा होगा 'प्रभु की कृपा भयऊ सब काजू, जनम हमार सुफल भा आजू...'

योगी ने श्रीराम को सिर माथे पर बैठाया तो श्रीराम ने उन्हें दिल में बसाया 

यह सिर्फ ईश्वरीय कृपा ही नहीं, बल्कि प्रभु श्रीराम की इच्छा भी थी। कैसे मुमकिन था कि राजा दशरथ, माता कौशल्या समेत अपने गुरु की गोद में खेलने वाले रामलला एक संत की गोद में विराजते। स्वयं भगवान राम ने इस दायित्व के लिए योगी आदित्यनाथ को चुना था। यदि वह पल जेहन में समाए तो याद कीजिए अस्थायी मंदिर की तरफ नंगे पांव बढ़ते भक्ति भाव में डूबे योगी धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हैं। 

इस दौरान एक पल ऐसा भी आता है, जब योगी आदित्यनाथ रामलला को अपने सिर माथे पर उठा लेते हैं। जिन प्रभु श्रीराम को सिर्फ मारुतिनंदन हनुमान जी ही अपने कंधों पर बिठा पाए थे। उन प्रभु श्री राम के स्वरूप को योगी आदित्यनाथ अपने सिर माथे पर धारण कर लेते हैं। योगी आदित्यनाथ को यह सौभाग्य यूं ही नहीं मिलता, बल्कि दुनिया के करोड़ों सनातनियों में सिर्फ और सिर्फ योगी आदित्यनाथ को श्रीराम स्वयं ही यह अवसर देते हैं। 

दया अगर लिखने बैठूं होते हैं अनुवादित राम

किसी की लिखी दो पंक्तियां याद आती हैं... दया अगर लिखने बैठूं होते हैं अनुवादित राम, रावण को भी नमन किया, ऐसे थे मर्यादित राम.... मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से जुड़ी पावन गाथाओं को हम सुनते हैं। श्रीराम जी के दया-क्षमा, मर्यादा-प्रेम के कई किस्से सुने हैं, लेकिन कलिकाल में श्रीराम की कृपा कैसे बरसती है, यह योगी आदित्यनाथ को मिले अवसर से दिख जाती है। जब उनकी कृपा इस संत पर पड़ती है। इसके सबसे बड़े कृपा पात्र बने योगी आदित्यनाथ को मिले इस अवसर को देख यह लाइनें हर जुबां से बरबस ही निकल पड़ती है। 

राम के राज्य यूपी के संचालन का मौका भी योगी के हाथ

राम जिस अयोध्या के लला हैं, वह नगरी यूपी में आती है। दशकों तक उपेक्षित रही अयोध्या के दिन बदलने और असुरक्षा, भय-अराजकता से पीड़ित यूपी की तस्वीर बदलकर रामराज्य लाने के लिए श्रीराम ने यहां की कमान संत योगी आदित्यनाथ के हाथों में दे दी। 

24 करोड़ यूपीवासी हों या 140 करोड़ भारतवासी, सभी जानते और मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के बाद यूपी में रामराज्य की शुरुआत हुई। यहां गरीब सिरमाथे पर बैठाए जा रहे हैं। गरीब सत्ता के पास नहीं जाता, बल्कि सरकार खुद गरीबों के पास जाती है। डबल इंजन (केंद्र की मोदी व यूपी की योगी) सरकार उनके रहने-खाने और सिर ढकने की भी व्यवस्था कर रही है। 

कभी माफिया से भयाक्रांत यूपी की सत्ता राम जी कृपा से योगी आदित्यनाथ के हाथों में आई तो यहां रामराज्य हो गया। महिलाओं का सम्मान होने लगा, गरीबों को बिना भेदभाव दो वक्त की रोटी मिलने लगी और प्रतिभाओं का सम्मान होने लगा। यही नहीं, करोड़ों सनातनियों की 500 वर्षों की इच्छा पूरी हुई और 22 जनवरी 2024 को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजित हो गए।

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