Ram Mandir: राम मंदिर के गर्भगृह में विराजेंगे श्यामवर्णी रामलला
अयोध्या के राम मंदिर के मूल गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित होने वाला रामलला का विग्रह श्याम वर्ण का होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने मूर्ति चयन के लिए शुक्रवार को गुप्त मतदान किया। इसका परिणाम तो पांच से दस जनवरी के बीच सार्वजनिक किया जाएगा लेकिन सूत्रों ने बताया रामलला के जिस विग्रह को ट्रस्ट के अधिकाधिक सदस्यों ने पसंद किया है।
रमाशरण अवस्थी, अयोध्या। अयोध्या के राम मंदिर के मूल गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित होने वाला रामलला का विग्रह श्याम वर्ण का होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने मूर्ति चयन के लिए शुक्रवार को गुप्त मतदान किया। इसका परिणाम तो पांच से दस जनवरी के बीच सार्वजनिक किया जाएगा, लेकिन सूत्रों ने बताया, रामलला के जिस विग्रह को ट्रस्ट के अधिकाधिक सदस्यों ने पसंद किया, उसे अरुण योगीराज ने कर्नाटक की श्याम शिला से निर्मित किया है।
रामलला की तीन प्रतिमाएं निर्मित की गई हैं
मतदान का निर्णय ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के पास सुरक्षित रखा गया है। रामलला की तीन प्रतिमाएं निर्मित की गई हैं। इन प्रतिमाओं को अरुण योगीराज के अतिरिक्त गणेश भट्ट एवं सत्यनारायण पांडेय ने निर्मित किया है। तीनों मूर्तियों की ऊंचाई 51-51 इंच हैं, इन्हें आठ फीट ऊंचे आधार पर स्थापित किया जाएगा।पहले यह तय किया गया था कि बनने वाली तीनों मूर्तियों में से एक ही गर्भगृह में स्थापित होगी और शेष दो इच्छुक भक्तों को दे दी जाएंगी, लेकिन बाद में यह निर्णय लिया गया कि तीनों को ही मंदिर में अलग-अलग स्थापित किया जाएगा। शुक्रवार को ट्रस्ट के सदस्यों ने पहले मनोयोग से तीनों प्रतिमाओं का अवलोकन किया, तदुपरांत गुप्त मतदान के माध्यम से पसंद की प्रतिमा के बारे में विचार व्यक्त किया।
अरुण योगीराज की प्रतिमा चयनित किए जाने का अनुमान है
ट्रस्ट ने प्रतिमा निर्माण के लिए तीनों कलाकारों का चुनाव कई स्तर पर स्क्रीनिंग के बाद किया था। ट्रस्ट की प्राथमिकता अगाध आस्था का केंद्र होने की महनीयता से युक्त पांच वर्षीय बालक की निर्दोष ताजगी व्यक्त करती प्रतिमा थी और तीनों प्रतिमाएं इसी भावभूमि पर निर्मित की गई हैं। जिन अरुण योगीराज की प्रतिमा चयनित किए जाने का अनुमान है, वह कर्नाटक के मैसूर निवासी प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं। उनके पिता को वाडियार घराने के महलों को खूबसूरती देने के भी लिए जाना जाता था।
निर्मित प्रतिमा ट्रस्ट के सदस्यों की पसंद हो सकती है
दिल्ली स्थित इंडिया गेट के पीछे 30 फीट ऊंची सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छानुसार 2022 में अरुण योगीराज द्वारा ही निर्मित है। इसी वर्ष के मध्य में प्रतिमा निर्माण के लिए अरुण योगीराज का नाम आते ही यह संभावना थी कि उनके द्वारा निर्मित प्रतिमा ट्रस्ट के सदस्यों की पसंद हो सकती है। गणेश भट्ट भी कर्नाटक के शैली के प्रतिनिधि मूर्तिकार हैं और उन्होंने भी मैसूर में ही मिलने वाली श्याम शिला से प्रतिमा निर्मित की है जबकि राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय ने संगमरमर में रामलला को ढाला है। सत्यनारायण को पारंपरिक एवं समकालीन शैली का मिश्रण करने में माहिर माना जाता है।मूर्ति चयन में इन्होंने किया मतदान
मतदान में प्रख्यात अधिवक्ता के परासरन एवं उडुपी के स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ को छोड़कर ट्रस्ट के अन्य सभी 15 सदस्य उपस्थित रहे। इनमें ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि, महासचिव चंपतराय, राम मंदिर समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, युगपुरुष स्वामी परमानंद, अयोध्या राजा बिमलेंद्रमोहन मिश्र, डा. अनिल मिश्र, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्रदास, केंद्र में तैनात आइएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार, उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव संजय प्रसाद, जिलाधिकारी नितीश कुमार शामिल रहे।
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