राम मंदिर निर्माण के लिए एसबीआई नई दिल्ली में ट्रस्ट ने खाता खुलवाया था। निर्माण के लिए पिछले छह माह में विदेश से लगभग दस करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। खाते में सबसे ज्यादा राशि यूएसए के भक्तों ने भेजी है। वहीं दूसरे नंबर पर ब्रिटेन है। ट्रस्ट से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि विदेश से प्राप्त होने वाला दान धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
प्रवीण तिवारी,
अयोध्या। इसी वर्ष दिसंबर तक राम मंदिर का निर्माण पूर्ण करने का लक्ष्य है। इसे भव्य रूप देने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, कार्यदायी संस्थाएं एलएंडटी व टाटा कंसल्टेंसी जुटी हैं। अपने आराध्य के प्रासाद निर्माण के लिए देश के साथ ही विदेशी भक्त भी सतत निधि अर्पित कर रहे हैं। पिछले छह माह में विदेश से लगभग दस करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं।
यह राशि पांच सौ से अधिक भक्तों ने ट्रस्ट के खाते में सीधे भेजी है।
इसमें 60 प्रतिशत से अधिक दान देने वाले यूएसए में निवास करने वाले रामभक्त हैं। दूसरे नंबर पर ब्रिटेन के भक्त हैं। इसी क्रम में मारीशस, फिजी, फ्रांस व रूस के भक्तों ने भी श्रद्धा अर्पित की है। उक्त देशों के अलावा भी कई अन्य देशों के श्रद्धालुओं ने दान भेजा है।
दरअसल ट्रस्ट ने विदेश से दान प्राप्त करने के लिए विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत गत वर्ष अगस्त माह में एसबीआई नई दिल्ली में खाता खुलवाया था, लेकिन इसका संचालन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पहले जनवरी माह से प्रारंभ हुआ।
ट्रस्ट से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि विदेश से प्राप्त होने वाला दान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में इसमें और वृद्धि संभावित है। मंदिर निर्माण के लिए चले निधि समर्पण अभियान में कुल तीन हजार तीन सौ करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। इस राशि को एसबीआइ, बाब व पीएनबी में जमा किया गया है। अब तक इसमें सात से आठ सौ करोड़ की वृद्धि हुई है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब तक मिले ढाई सौ करोड़
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद भक्त निरंतर अपने आराध्य के चरणों में न्योछावर अर्पित कर रहे हैं। आनलाइन, आफलाइन व राम मंदिर में लगे दानपात्रों से लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये मिले हैं। आनलाइन दान की राशि एसबीआइ के अतिरिक्त पीएनबी व बैक आफ बड़ौदा में भी नित्य आती है। दानपात्र रामजन्मभूमि परिसर में रखे हैं। दर्शन करने वाले भक्त इसमें गुप्त दान करते हैं।
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