Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के साथ सहेजा जा रहा रघुकुल का राज चिह्न, वाल्मीकि रामायण में है जिक्र
Ayodhya Ram Mandir अयोध्या में भव्य श्रीराम का मंदिर सज रहा है। इतिहास के सबसे भव्य मंदिर में श्रीराम के जीवन से जुड़ी हर एक घटना को संजोया जाएगा। इस मंदिर में जहां श्रीराम के जीवनकाल को दर्शाया जा रहा है तो वहीं इस मंदिर में रघुकुल का राजचिह्न भी सहेजा जा रहा है। ध्वजा पताका पर एक खास वृक्ष को बनाया जा रहा है जो रघुकुल का प्रतीक था।
रघुवरशरण, अयोध्या। रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों को अंतिम स्पर्श देने के साथ रघुकुल का राजचिह्न भी सहेजा जा रहा है। यह राजचिह्न कोविदार का वृक्ष था। कोविदार कचनार की प्रजाति का वृक्ष होता है, जो श्रीराम और उनके युग में अयोध्या एवं प्रयाग के आस-पास प्रचुरता से उपलब्ध था।
अयोध्या के राजचिह्न के रूप में कोविदार का वृक्ष का संदर्भ वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में मिलता है। अब इसी को अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर में सजाया जाएगा।
जब कोविदार वृक्ष देख लक्ष्मण ने पहचानी थी सेना
जब भरत श्रीराम को अयोध्या लौटा लाने के उद्देश्य से सेना सहित चित्रकूट पहुंचते हैं और सेना श्रीराम की पर्णकुटी के समीप पहुंचती है, तब श्रीराम को कोलाहल का अनुभव होता है। श्रीराम लक्ष्मण से कोलाहल के बारे में पता करने को कहते हैं, लक्ष्मण आती हुई सेना के आगे चल रहे रथ की ध्वजा पर कोविदार वृक्ष का अंकन देख कर तुरंत पहचान लेते हैं कि यह अयोध्या की सेना है, जो भरत के नेतृत्व में हमारी ओर आ रही है।डा. ललित मिश्र ने इस वृक्ष की ओर ध्यान कराया आकर्षित
राम मंदिर परिसर के प्लांटेशन के लिए अनुबंधित संस्था जीएमआर का ध्यान इस ओर प्राच्य भारतीय विद्याविद् (इंडोलॉजिस्ट) एवं ग्लोबल इंसाइक्लोपीडिया आफ दी रामायण- नई दिल्ली के संयोजक डा. ललित मिश्र ने करीब छह माह पूर्व ही आकृष्ट कराया। उन्होंने दिल्ली स्थित जीएमआर के मुख्यालय में कोविदार की प्रामाणिकता एवं महत्ता के संदर्भ में प्रेजेंटेशन दिया। इसी के फलस्वरूप आज राम मंदिर परिसर कोविदार के दो पौधों से सुसज्जित किया जा चुका है।
पहला हाइब्रिड प्लांट
ललित मिश्र को न केवल वाल्मीकि रामायण के अध्ययन के दौरान कोविदार से परिचित होने का अवसर मिला, बल्कि हरिवंश पुराण में भी कोविदार का उल्लेख मिला। इसके अनुसार ऋषि कश्यप ने पारिजात में मंदार का सार मिलाकर मिलाकर कोविदार का पौधा तैयार किया। यह संभवत: पहला हाइब्रिड प्लांट था।15 से 25 मीटर ऊंचा
कोविदार अपनी पहचान और महत्ता से भले वंचित हो गया हो, किंतु यह अभी भी प्राप्य है। 15 से 25 मीटर तक ऊंचा यह वृक्ष फूल एवं फलदार भी होता है। इसमें बैगनी रंग के फूल खिलते हैं, जो कचनार के फूल जैसे होते हैं। इसका फल स्वादिष्ट एवं पौष्टिक माना जाता है।
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