Ram Mandir: गर्भगृह में स्थापित होगी अरुण योगीराज की बनाई रामलला की प्रतिमा, ये है खासियत
Ram Mandir पूरे देश को 22 जनवरी का इंतजार है। इस इंतजार के बीच रामलला की उस मूर्ति का भी चयन हो गया है जो गर्भगृह में विराजमान होगी। नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में मैसूर (कर्नाटक) के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। ट्रस्ट महासचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में पूजित प्रतिमाओं का भी सम्मान किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। रामलला के अयोध्या में विराजमान होने का दिन लगातार पास आ रहा है। अब बस पूरे देश को 22 जनवरी का इंतजार है। इस इंतजार के बीच रामलला की उस मूर्ति का भी चयन हो गया है, जो गर्भगृह में विराजमान होगी।
नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में मैसूर (कर्नाटक) के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह घोषणा श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने की।
अरुण योगीराज की बनाई प्रतिमा होगी विराजमान
दैनिक जागरण ने अपने सूत्रों के माध्यम से 30 दिसंबर के अंक में ही बता दिया था कि अरुण योगीराज द्वारा श्यामवर्ण की प्रतिमा को ही नवनिर्मित राम मंदिर में स्थापित किया जाएगा। चंपत राय ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि ट्रस्ट के सदस्यों ने आम सहमति से अरुण योगीराज द्वारा निर्मित प्रतिमा पसंद की है।चंपत राय ने की तारीफ
ट्रस्ट के महासचिव ने अरुण योगीराज की कला की प्रशंसा करते हुए बताया कि केदारनाथ में स्थापित शंकराचार्य तथा दिल्ली के इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा के मूर्तिकार योगीराज ही हैं। वह देश के प्रमुख मूर्तिकार हैं। ट्रस्ट महासचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में पूजित प्रतिमाओं का भी सम्मान किया जाएगा।
हर रोज होगी पूजा-अर्चना
चंपत राय ने बताया कि 22 जनवरी को गर्भगृह में रामलला के विग्रह की स्थापना से जुड़ी तैयारियों को ध्यान में रखकर वैकल्पिक गर्भगृह में विराजे रामलला का दर्शन 21 व 22 जनवरी को बंद रखे जाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। इस दौरान रामलला की नियमित पूजा-आरती एवं भोग-राग का क्रम निर्बाध रूप से चलेगा।प्राण प्रतिष्ठा में होगा वाद्यों का वादन
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान विभिन्न प्रांतों के प्रतिनिधि वाद्यों का वादन होगा। इनमें उत्तर प्रदेश का पखावज, बांसुरी और ढोल, कर्नाटक की वीणा, महाराष्ट्र की सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्य प्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार का पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावण हत्था, पश्चिम बंगाल का सरोद एवं श्रीखोल, आंध्र प्रदेश का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का नागस्वरम, तविल और मृदंगम तथा उत्तराखंड का हुड़का शामिल है।
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