श्रीराम के लिए अनोखा उपहार: माता सीता की जन्मस्थली से आए ये खास तोहफे, 5,000 हीरों के हार से बढ़ेगी रामलला की शोभा
Ram Mandir Inauguration भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या भारत के लोगों के लिए आध्यात्मिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। वहीं प्राण प्रतिष्ठा के लिए माता सीता की जन्मस्थली से ढ़ेरों उपहार और सूरत के एक हीरा व्यापारी समेत कई जगहों से बहुमूल्य उपहार रामनगरी में भेजे जा रहे हैं। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के साथ आए 500 लोगों ने महासचिव चंपतराय को उपहार भेंट किए।
डिजिटल डेस्क, अयोध्या। Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरे देश में उत्साह है। 22 जनवरी को दोपहर में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला विराजमान होने हैं।
भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या भारत के लोगों के लिए आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। वहीं प्राण प्रतिष्ठा के लिए माता सीता की जन्मस्थली से ढ़ेरों उपहार और सूरत के एक हीरा व्यापारी समेत कई जगहों से बहुमूल्य उपहार भी रामनगरी में भेजे जा रहे हैं।
राम मंदिर की थीम पर 5000 से अधिक हीरों वाला हार
प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सूरत के एक हीरा व्यापारी ने 5000 से अधिक अमेरिकी हीरों का उपयोग करके राम मंदिर की थीम पर एक हार बनाया है। हीरा व्यापारी ने इसे अयोध्या में राम मंदिर को उपहार में देने का फैसला किया है।
रसेश ज्वेल्स के निदेशक कौशिक काकड़िया ने बताया कि इसमें हार में 5000 से अधिक अमेरिकी हीरे का इस्तेमाल किया गया है। यह दो किलोग्राम चांदी से बना है। हम अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर से प्रेरित हैं।
काकड़िया ने बताया, यह किसी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं है। हम इसे राम मंदिर को उपहार में देना चाहते हैं। हमने इसे इस इरादे से बनाया था कि हम भी राम मंदिर को कुछ उपहार देना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि रामायण के मुख्य पात्रों को हार की डोर में उकेरा गया है। अयोध्या में रामलला (शिशु भगवान राम) के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए वैदिक अनुष्ठान मुख्य समारोह से एक सप्ताह पहले यानी 16 जनवरी से शुरू है। प्राण प्रतिष्ठा में अब दो दिन शेष हैं।
माता सीता के जन्मभूमि से रामलला के लिए पहुंचे उपहार
वहीं माता जानकी की जन्मभूमि से रामलला के लिए उपहार रामनगरी पहुंच गए। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के साथ आए पांच सौ लोगों ने महासचिव चंपतराय को उपहार भेंट किए। मिथिला की परंपरा के अनुरूप माता सीता के प्राकट्य स्थल से 21 सौ टोकरियों में 10 हजार उपहार भेंट किए गए। जिस प्रकार से विवाह की रस्म के समय जामाता को उपहार भेंट किये जाते हैं, उसी प्रकार प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए उपहार आए हैं।
इस अवसर पर चौपाल के साथ माता जानकी की प्राकट्य स्थली सीतामढ़ी के पुनौराधाम के महंत किशोरीदास, रामबालकदास, राजकुमारदास, भूषणदास, महंत विश्वमोहनदास, महंत सुखदेवदास आदि उपस्थित रहे। इसके साथ ही उज्जैन से 65 बोरी भुना चना, एक बोरी चावल व 10 बोरी रेवड़ी, गुजरात के कच्छ से 108 किलो देशी घी भेजा गया है।
मानस पर्यावरण संरक्षण संस्थान लखनऊ से रामायण कालीन पांच वट वृक्षों के पौधे, स्कंद पुराण से संबंधित बेल, बरगद, पीपल, आंवला, सीता अशोक वृक्षों का समूह, पंचपल्लव में पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर, आम के पौधे आदि भेजे गए हैं।
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