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UP By-Election: यूपी की इस विधानसभा सीट में 'एक अनार सौ बीमार' जैसे हालात, BJP-सपा में टिकट के लिए मचा घमासान

उपचुनाव की तिथि भले घोषित न हुई हो लेकिन दावेदार मैदान में उतर गए हैं। इसके साथ ही समर्थकों संग प्रतिदिन गांव-गांव घूम जनसंपर्क करने में जुटे हुए हैं। वहीं टिकट हथियाने के लिए भी एड़ी-चोटी का जोर भी लगा रहे हैं। सत्तासीन पार्टी से भी कई दावेदार सामने आए हैं। यह विधानसभा सीट अभी रिक्त है। यहां से वर्तमान में कोई विधायक नहीं है।

By Rajesh Kumar Srivastava Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 16 Jul 2024 07:39 PM (IST)
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यूपी की इस विधानसभा सीट पर टिकट के लिए घमासान
लवलेश कुमार मिश्र, अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव की तिथि भले घोषित न हुई हो, पर चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार मैदान में उतर गए हैं। वह अपने समर्थकों के साथ प्रतिदिन गांव-गांव घूम न केवल जनसंपर्क कर रहे, बल्कि टिकट हथियाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर भी लगा रहे हैं।

प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा में तो कई दावेदार सामने आए ही हैं, मुख्य विपक्षी दल सपा में भी एक अनार-सौ बीमार जैसी स्थिति है। टिकट के इच्छुक नेता पूरे लाव-लश्कर के साथ राजधानी लखनऊ तक का चक्कर लगा रहे हैं।

मिल्कीपुर सीट के लिए भी होना है उपचुनाव

लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर सुरक्षित सीट सपा के विधायक अवधेश प्रसाद के फैजाबाद सीट से सांसद चुने जाने के कारण रिक्त हुई है। सांसद बनने के सप्ताहभर बाद ही उन्होंने विधायक पद से त्याग पत्र दे दिया था। अब इस सीट के लिए उपचुनाव होना है।

उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारी की तेज

माना जा रहा कि लोकसभा चुनाव में रिक्त हुईं प्रदेश की अन्य विधानसभा सीटों के साथ ही मिल्कीपुर के लिए भी उपचुनाव होगा। यद्यपि अभी राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी तिथि नहीं घोषित की है, पर उपचुनाव सीटों के रिक्त होने के छह माह बाद संपन्न होना अनिवार्य होता है। इस कारण बहुत जल्द तारीखों की घोषणा होना तय माना जा रहा। इसी को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है।

सूत्रों की मानें तो अंदरखाने दावेदारों की स्क्रीनिंग भी की जा रही है। इसमें उनका क्षेत्र में जनाधार, छवि, पार्टी कार्यक्रमों में उनकी सहभागिता आदि बिंदुओं पर आकलन किया जा रहा है।

हर चुनाव में मतदाताओं ने बदला मिजाज

मिल्कीपुर सुरक्षित सीट किसी भी दल की पारंपरिक नहीं रही। कुछ को छोड़ दें तो लगभग हर चुनाव में स्थानीय मतदाताओं ने अपने जनप्रतिनिधि को बदला है। वर्ष 2012 के चुनाव में जहां सपा से अवधेश प्रसाद विधायक चुने गए तो 2017 में भाजपा के गोरखनाथ बाबा ने उनसे सीट झटक ली थी। 2022 के चुनाव में फिर सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के गोरखनाथ को शिकस्त देकर चुनाव जीता था।

खाली विस सीट पर उपचुनाव को जीतने की जुगत भाजपा

मिल्कीपुर व गोसाईगंज विस सीट पर हुई हार की टीस भाजपा नेताओं को खूब सालती रही। इस बीच अवधेश प्रसाद सांसद चुन लिए गए तो खाली विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को सत्तासीन भाजपा हर कीमत पर जीतना चाहती है, परंतु कई दावेदारों के सामने आ जाने से उसके लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है।

यद्यपि चुनाव घोषित होते ही पार्टी नेतृत्व उम्मीदवार तय कर लेगा, लेकिन दावेदार पहले ही टिकट पक्का करने के लिए आलाकमान को अपने पक्ष में करने को आतुर हैं। इसके लिए इंटरनेट मीडिया व अन्य माध्यमों के जरिये शक्ति प्रदर्शन भी किया जा रहा है।

भाजपा से गोरखनाथ तो सपा से अजीत प्रबल दावेदार

टिकट के लिए भाजपा व सपा में अब तक कई दावेदार सामने आ चुके हैं। भाजपा से पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा तो प्रबल दावेदार माने ही जा रहे हैं, उनके अलावा नीरज कनौजिया, पूर्व जिपं सदस्य सियाराम रावत, काशीराम रावत, पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी, राममोहन भारती आदि भी जोर लगाए हैं। यही स्थिति सपा व बसपा में भी है।

वैसे तो सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद को प्रबल दावेदार बताया जा रहा है, लेकिन इनके साथ सूरज चौधरी व अन्य भी लखनऊ तक जोर-आजमाइश में जुटे हैं।

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